थूथुकुडी : तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक से एक बड़े घोटाले की सूचना मिल रही है. तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक की शुरुआत 1929 में नादर बैंक के नाम से हुई थी. इसका मुख्यालय थूथुकुडी में है. वर्तमान में, यह बैंक पूरे भारत में 17 राज्यों, 4 केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 533 शाखाओं और 12 क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ संचालित हो रहा है. तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक इन दिनों लगातार विवादों में रहा है. जानकारों के मुताबिक यह पहली बार है कि आयकर विभाग ने सशस्त्र पुलिस सुरक्षा के तहत किसी बैंक के मुख्यालय पर छापा मारा है.
पिछली 27 तारीख की सुबह 10.15 बजे चेन्नई, मदुरै, त्रिची, सेलम और कोयम्बटूर जिलों से आयकर विभाग के 16 खुफिया अधिकारी 6 गाड़ियों में बैंक के प्रधान कार्यालय पहुंचे. उन्होंने बैंक के सीईओ कृष्णन से पूछताछ की. बैंक के प्रधान कार्यालय स्थित दोनों परिसरों में बैंक के प्रमुख अधिकारियों से भी गहन पूछताछ की गयी. जानकारी के मुताबिक, बैंक प्रबंधन द्वारा दायर वित्तीय विवरण में कुछ लेनदेन पर संदेह जताया गया है जिसकी जांच आयकर अधिकारी कर रहे हैं.
जांच के दौरान किसी भी बाहरी व्यक्ति को बैंक प्रधान कार्यालय में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई. वहीं, हमेशा की तरह सिर्फ बैंक कर्मचारी ही उचित पहचान पत्र दिखाकर कार्यालय में दाखिल हुए. इसके अलावा, आयकर विभाग के अधिकारियों की छापेमारी के दौरान तूतीकोरिन दक्षिण, मध्यभाग पुलिस और सशस्त्र पुलिस सुरक्षा ड्यूटी पर थी.
छापेमारी करीब 20 घंटे तक चली और आयकर अधिकारी बैंक के मुख्य कार्यालय से पांच बैग से ज्यादा महत्वपूर्ण दस्तावेज ले गए. इसके बारे में बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 285 बी.ए. के तहत तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक के मुख्य कार्यालय में एक वैधानिक जांच की गई. बैंक की ओर से कहा गया है कि बैंक ने जांच में पूरा सहयोग किया. आयकर अधिकारियों के संदेहों का उचित स्पष्टीकरण दिया जाएगा. इस छापेमारी के कारण बैंक का कोई कामकाज प्रभावित नहीं हुआ.
आयकर विभाग ने शुक्रवार को घोषणा की है कि तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक, जिसका मुख्य कार्यालय थूथुकुडी में है, ने 4,410 करोड़ रुपये का उचित हिसाब नहीं दिया है. आयकर विभाग की ओर से बताया गया कि 27 तारीख को इनकम टैक्स इंटेलिजेंस डिवीजन के अधिकारियों ने थूथुकुडी स्थित बैंक के मुख्य कार्यालय में तलाशी ली थी. पिछले पांच वर्षों के खातों की समीक्षा से पता चला कि वित्तीय लेनदेन विवरण में खातों का उचित हिसाब नहीं दिया गया था.
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दस हजार बैंक खातों में नकद निवेश में 2,700 करोड़ रुपये, क्रेडिट कार्ड से संबंधित लेखांकन में 110 करोड़ रुपये, लाभांश निवेश में 200 करोड़ रुपये और शेयरों में 600 करोड़ रुपये और जनता को देय ब्याज में 500 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिल पाया है.