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पेरारिवलन रिहाई मामला : स्टालिन बोले, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के अधिकारों के बरकरार रखा

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Published : May 19, 2022, 2:02 PM IST

Updated : May 19, 2022, 5:18 PM IST

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बुधवार को कहा कि एजी पेरारिवलन मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले ने राज्य सरकार के अधिकार को मजबूती से स्थापित किया है. उन्होंने कहा कि फैसला संघवाद और राज्य की स्वायत्तता के सिद्धांतों की बहुत बड़ी जीत है.

पेरारीवलन रिहाई मामला , Perarivalan release case
पेरारीवलन रिहाई मामला , Perarivalan release case

चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बुधवार को कहा कि एजी पेरारिवलन मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले ने राज्य सरकार के अधिकार को मजबूती से स्थापित किया है. उन्होंने कहा कि फैसला संघवाद और राज्य की स्वायत्तता के सिद्धांतों की बहुत बड़ी जीत है. शीर्ष अदालत के समक्ष पेरारिवलन मामले में सुनवाई को याद करते हुए स्टालिन ने कहा कि राज्य सरकार की दलीलें इस मामले पर अपने अधिकार स्थापित करने पर थीं. उन्होंने एक बयान में कहा कि सरकार ने तर्क दिया कि उसके पास पेरारिवलन को रिहा करने का पूरा अधिकार है क्योंकि आईपीसी की धारा 302 संविधान की राज्य सूची में शामिल सार्वजनिक व्यवस्था के तहत आती है.

पढ़ें : राजीव गांधी के हत्यारे से गर्मजोशी से मिले तमिलनाडु के सीएम, कांग्रेस असहज

पेरारिवलन की रिहाई का स्वागत करते हुए स्टालिन ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले में कहा गया है कि राज्यपाल को राज्य सरकार के नीतिगत फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. यह बहुत महत्वपूर्ण है. साथ ही फैसले में कहा गया कि अगर राज्यपाल कार्रवाई नहीं करते हैं तो अदालत हस्तक्षेप करेगी. यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऐसे मामलों में केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाने की जरूरत नहीं है.

चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बुधवार को कहा कि एजी पेरारिवलन मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले ने राज्य सरकार के अधिकार को मजबूती से स्थापित किया है. उन्होंने कहा कि फैसला संघवाद और राज्य की स्वायत्तता के सिद्धांतों की बहुत बड़ी जीत है. शीर्ष अदालत के समक्ष पेरारिवलन मामले में सुनवाई को याद करते हुए स्टालिन ने कहा कि राज्य सरकार की दलीलें इस मामले पर अपने अधिकार स्थापित करने पर थीं. उन्होंने एक बयान में कहा कि सरकार ने तर्क दिया कि उसके पास पेरारिवलन को रिहा करने का पूरा अधिकार है क्योंकि आईपीसी की धारा 302 संविधान की राज्य सूची में शामिल सार्वजनिक व्यवस्था के तहत आती है.

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पेरारिवलन की रिहाई का स्वागत करते हुए स्टालिन ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले में कहा गया है कि राज्यपाल को राज्य सरकार के नीतिगत फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. यह बहुत महत्वपूर्ण है. साथ ही फैसले में कहा गया कि अगर राज्यपाल कार्रवाई नहीं करते हैं तो अदालत हस्तक्षेप करेगी. यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऐसे मामलों में केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाने की जरूरत नहीं है.

Last Updated : May 19, 2022, 5:18 PM IST
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