चेन्नई: तमिलनाडु में दिव्यांगों के लिए एक अनूठा संग्रहालय तैयार किया गया है. इसका उद्देश्य दिव्यांगों को आधुनिक उपकरणों का उपयोग करने में मदद करना है. यह संग्रहालय सुलभ उपकरणों, सहायक तकनीकों और एक सुलभ घर के मॉडल को प्रदर्शित करता है. यह लाभार्थियों को उपकरणों को सीखने और उपयोग करने में मदद करेगा.
मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने सोमवार को लगभग 2,500 वर्ग फुट क्षेत्र में एक करोड़ रुपये की लागत से राज्य सरकार द्वारा स्थापित संग्रहालय का उद्घाटन किया था. यह संग्रहालय कई चीजों के अलावा, जीवन को आसान बनाने के लिए एक समावेशी हाउस मॉडल है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, 'संग्रहालय दक्षिण भारत में अपनी तरह का पहला संग्रहालय है. इसे विकलांगता-विशिष्ट मॉडल के बजाय एक डोमेन-विशिष्ट मॉडल के रूप में तैयार किया गया है.'
लाइव डोमेन में एक सुलभ घर का मॉडल शामिल है जबकि वर्क डोमेन में संचार, शिक्षा, व्यावसायिक और अनुकूलित कार्यस्थल समाधानों की रूपरेखा तैयार किया गया है. प्ले डोमेन में बागवानी, खेल, कला और संगीत जैसी गतिविधियां शामिल हैं. मुख्यमंत्री ने 21 अप्रैल को विधानसभा को सूचित किया था कि वह दिव्यांग कल्याण आयुक्तालय कार्यालय का निरीक्षण करेंगे और विकलांगों की समस्याओं के समाधान के लिए काम करेंगे. इसी के मद्देनजर स्टालिन ने आयुक्तालय का दौरा किया और संग्रहालय का उद्घाटन किया. साथ ही उन्होंने अधिकारियों और दिव्यांगों से भी बातचीत की.
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संग्रहालय नवीनतम सहायक उपकरणों को प्रदर्शित करता है, जिन्हें लाइव-वर्क-प्ले मॉड्यूल के अनुसार क्यूबिकल के साथ एक दीवार पर लगे यूनिट पर व्यवस्थित किया गया है. साथ ही दिव्यांगों के लिए रोजगार के अवसरों को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के लिए संग्रहालय में एक समर्पित स्थान आवंटित किया गया है. संग्रहालय 21 प्रकार की अक्षमताओं के तहत आने वाले लोगों के लिए बहुत मददगार होगा. मुख्यमंत्री ने कल्याणकारी सहायता योजना के तहत 7,219 लाभार्थियों के लिए 9.5 करोड़ रुपये प्रदान किए. इनमें ट्राइसाइकिल, व्हील चेयर, मोटर चालित सिलाई मशीन, श्रवण यंत्र और मोटर चालित वाहन शामिल हैं.