ETV Bharat / bharat

TMC की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा ने खाली किया सरकारी बंगला

Mahua Moitra case- तृणमूल कांग्रेस की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा को उच्च न्यायालय की ओर से अपना सरकारी बंगला खाली करने के लिए कहा गया था. मोइत्रा के वकील शादान फरासत ने शुक्रवार को बताया कि महुआ मोइत्रा ने सरकारी बंगला खाली कर दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

Photo taken from Mahua Moitra Social Media
फोटो महुआ मोइत्रा सोशल मीडिया से लिया गया है
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 19, 2024, 12:59 PM IST

Updated : Jan 19, 2024, 1:24 PM IST

नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार को अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया. उनके वकील ने यह जानकारी दी. एक अधिकारी ने बताया कि संपदा निदेशालय ने आधिकारिक बंगला खाली कराने के लिए सुबह एक दल भेजा था. इसके आसपास के इलाके में अवरोधक लगाए थे. मोइत्रा के वकील शादान फरासत ने पत्रकारों से कहा कि टेलीग्राफ लेन पर महुआ मोइत्रा के बंगले 9बी को प्राधिकारियों के पहुंचने से पहले आज सुबह 10 बजे खाली कर दिया गया. फरासत ने कहा कि बेदखल की कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

मोइत्रा के वकील ने क्या कहा?
मोइत्रा के वकील शादान फरासत ने कहा कि मकान का कब्जा संपदा निदेशालय (Captured Estate Directorate) के अधिकारियों को सौंप दिया गया है. इस सप्ताह की शुरुआत में संपदा निदेशालय ने मोइत्रा को बंगला खाली करने का नोटिस भेजा था. मोइत्रा को पिछले महीने लोकसभा से निष्कासित किया गया था. मोइत्रा को गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली. उच्च न्यायालय ने संपदा निदेशालय के नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और उनसे सरकारी बंगला खाली करने के लिए कहा.

न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने कहा कि अदालत के समक्ष किसी विशेष नियम का उल्लेख नहीं किया गया है, जो सदस्यता रद्द होने पर सांसदों को सरकारी आवास से बेदखल करने से संबंधित हो.

क्या है मामला?
एथिक्स कमेटी द्वारा उनके आचरण को अनैतिक पाए जाने के बाद 8 दिसंबर को मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था. उन पर अपने संसदीय पोर्टल का उपयोग करके संसद में प्रश्न पूछने की अनुमति देने के बदले में व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था. रिश्वत के आरोप को खारिज करते हुए, मोइत्रा ने कहा कि उन्होंने पोर्टल पर अपने प्रश्नों को टाइप करने में अपने कर्मचारियों की मदद लेने के लिए क्रेडेंशियल्स साझा किए. इस आरोप से वह इनकार करती हैं.

तृणमूल कांग्रेस नेता ने निष्कासन कार्यवाही के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था क्योंकि लोकसभा से उनके निष्कासन के खिलाफ उनकी याचिका उच्चतम न्यायालय में लंबित है. संपदा निदेशालय ने उन्हें सार्वजनिक परिसर अधिनियम, 1971 के अनुसार 8 जनवरी को बेदखली का नोटिस जारी किया था. अधिनियम के अनुसार, आवासीय आवास के आवंटी को अयोग्य होने के बाद परिसर खाली करने के लिए एक महीने का समय होता है. फिर, यदि आवंटी ने एक महीने के भीतर घर खाली नहीं किया है, तो बेदखली नोटिस जारी किया जाता है, जिसमें जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया जाता है. सुनवाई के लिए समय देने के बाद, संपत्ति अधिकारी बेदखली का आदेश जारी करता है, जिसके बाद बेदखली की जाती है

ये भी पढ़ें-

नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार को अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया. उनके वकील ने यह जानकारी दी. एक अधिकारी ने बताया कि संपदा निदेशालय ने आधिकारिक बंगला खाली कराने के लिए सुबह एक दल भेजा था. इसके आसपास के इलाके में अवरोधक लगाए थे. मोइत्रा के वकील शादान फरासत ने पत्रकारों से कहा कि टेलीग्राफ लेन पर महुआ मोइत्रा के बंगले 9बी को प्राधिकारियों के पहुंचने से पहले आज सुबह 10 बजे खाली कर दिया गया. फरासत ने कहा कि बेदखल की कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

मोइत्रा के वकील ने क्या कहा?
मोइत्रा के वकील शादान फरासत ने कहा कि मकान का कब्जा संपदा निदेशालय (Captured Estate Directorate) के अधिकारियों को सौंप दिया गया है. इस सप्ताह की शुरुआत में संपदा निदेशालय ने मोइत्रा को बंगला खाली करने का नोटिस भेजा था. मोइत्रा को पिछले महीने लोकसभा से निष्कासित किया गया था. मोइत्रा को गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली. उच्च न्यायालय ने संपदा निदेशालय के नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और उनसे सरकारी बंगला खाली करने के लिए कहा.

न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने कहा कि अदालत के समक्ष किसी विशेष नियम का उल्लेख नहीं किया गया है, जो सदस्यता रद्द होने पर सांसदों को सरकारी आवास से बेदखल करने से संबंधित हो.

क्या है मामला?
एथिक्स कमेटी द्वारा उनके आचरण को अनैतिक पाए जाने के बाद 8 दिसंबर को मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था. उन पर अपने संसदीय पोर्टल का उपयोग करके संसद में प्रश्न पूछने की अनुमति देने के बदले में व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था. रिश्वत के आरोप को खारिज करते हुए, मोइत्रा ने कहा कि उन्होंने पोर्टल पर अपने प्रश्नों को टाइप करने में अपने कर्मचारियों की मदद लेने के लिए क्रेडेंशियल्स साझा किए. इस आरोप से वह इनकार करती हैं.

तृणमूल कांग्रेस नेता ने निष्कासन कार्यवाही के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था क्योंकि लोकसभा से उनके निष्कासन के खिलाफ उनकी याचिका उच्चतम न्यायालय में लंबित है. संपदा निदेशालय ने उन्हें सार्वजनिक परिसर अधिनियम, 1971 के अनुसार 8 जनवरी को बेदखली का नोटिस जारी किया था. अधिनियम के अनुसार, आवासीय आवास के आवंटी को अयोग्य होने के बाद परिसर खाली करने के लिए एक महीने का समय होता है. फिर, यदि आवंटी ने एक महीने के भीतर घर खाली नहीं किया है, तो बेदखली नोटिस जारी किया जाता है, जिसमें जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया जाता है. सुनवाई के लिए समय देने के बाद, संपत्ति अधिकारी बेदखली का आदेश जारी करता है, जिसके बाद बेदखली की जाती है

ये भी पढ़ें-

Last Updated : Jan 19, 2024, 1:24 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.