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'कोर्ट की अवमानना' वाले बयान पर घिरे सीएम बिप्लब देब, टीएमसी ने बोला हमला

वीडियो में सीएम देब को सरकारी आदेशों को लागू करने के दौरान 'अदालत की अवमानना' से डरने वाले लोक सेवकों पर तंज कसते हुए सुना जा सकता है. स्थानीय भाषा में बोलते हुए उन्होंने कहा, इससे व्यवस्था में किस तरह की समस्याएं पैदा होंगी? मैं जानना चाहता हूं कि अदालत की अवमानना के आरोप में किसे जेल भेजा गया है? मैं यहां हूं. आपके जेल जाने से पहले मैं जाऊंगा. इसके बाद वहां मौजूद लोगों ने तालियां भी बजाईं.

टीएमसी ने बोला हमला
टीएमसी ने बोला हमला
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Published : Sep 27, 2021, 10:19 AM IST

Updated : Sep 27, 2021, 4:19 PM IST

अगरतला: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने सरकारी अधिकारियों से कहा है कि वे अदालत की अवमानना ​​के बारे में चिंता न करें क्योंकि पुलिस उनके नियंत्रण में है और ऐसे में किसी को जेल भेजना आसान नहीं है. देब ने त्रिपुरा सिविल सर्विस ऑफिसर्स एसोसिएशन के द्विवार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि अधिकारियों का एक वर्ग इस तरह अदालत की अवमानना ​​​​का हवाला दे रहा है जैसे कि यह अवमानना कोई बाघ हो, लेकिन वास्तव में 'मैं बाघ हूं.'

देब की इस टिप्पणी पर विवाद खड़ा हो गया है. विपक्ष ने कहा कि उनके शासन में लोकतंत्र दांव पर है. मुख्यमंत्री ने शनिवार को रवींद्र भवन में आयोजित कार्यक्रम में कहा, 'आजकल, अधिकारियों का एक वर्ग अदालत की अवमानना ​​से डरता है. वे अदालत की अवमानना ​​का हवाला देते हुए यह कहकर किसी फाइल को नहीं छूते हैं कि परेशानी खड़ी हो जाएगी. अगर मैं ऐसा करता हूं तो मुझे अदालत की अवमानना ​​के लिए जेल भेजा जाएगा.'

उन्होंने कहा, 'समस्या कहां है? अदालत की अवमानना ​​के आरोप में अब तक कितने अधिकारियों को जेल भेजा गया है? मैं यहां हूं, आप में से किसी को भी जेल भेजे जाने से पहले मैं जेल जाऊंगा.'

  • .@BjpBiplab is a DISGRACE to the entire nation!

    He shamelessly mocks Democracy, MOCKS the Hon'ble JUDICIARY and seemingly gets away with it!

    Will the SUPREME COURT take cognizance of his comments that reflect such grave disrespect? pic.twitter.com/0qEAdBQ54r

    — Abhishek Banerjee (@abhishekaitc) September 26, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

देब ने कहा कि किसी को जेल भेजना आसान नहीं है क्योंकि इसके लिए पुलिस की जरूरत होती है. देब राज्य के गृह मंत्री भी हैं.

उन्होंने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा था, 'और, मैं पुलिस को नियंत्रित करता हूं. अधिकारी इस तरह हालात का हवाला दे रहे हैं जैसे कि अदालत की अवमानना ​​​कोई बाघ हो! मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं बाघ हूं. सरकार चलाने वाले पास शक्ति होती है.'

पढ़ें: त्रिपुरा में राजनीतिक हिंसा सीपीएम की विरासत : सीएम बिप्लब देब

मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर एक पूर्व मुख्य सचिव के साथ अपने अनुभव का भी जिक्र किया था. उन्होंने मुख्य सचिव का मजाक उड़ाते हुए कहा था, 'हमारे एक मुख्य सचिव ने कहा कि अगर वह सिस्टम से बाहर काम करते है तो उन्हें अदालत की अवमानना ​​के लिए जेल भेजा जाएगा... फिर मैंने उन्हें जाने दिया.'

विपक्षी माकपा ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान से पता चलता है कि वह न्यायपालिका का सम्मान नहीं करते.

माकपा के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा, 'यह दर्शाता है कि वह न्यायपालिका का सम्मान नहीं करते, जो लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है. उनके शासन में लोकतंत्र दांव पर है.'

तृणमूल कांग्रेस ने भी देब हमला किया और उच्चतम न्यायालय से उनकी टिप्पणियों पर संज्ञान लेने का आग्रह किया. टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट किया, 'बिप्लब देब पूरे देश के लिए एक अपमान हैं! वह बेशर्मी से लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाते हैं, माननीय न्यायपालिका का मज़ाक उड़ाते हैं. क्या सर्वोच्च न्यायालय उनकी टिप्पणियों का संज्ञान लेगा?'

इससे पहले उन्होंने यह दावे कर विवाद खड़ा कर दिया था कि 'महाभारत के युग' के दौरान इंटरनेट मौजूद था. रवींद्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजों के विरोध में अपना नोबेल पुरस्कार लौटा दिया था.

अगरतला: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने सरकारी अधिकारियों से कहा है कि वे अदालत की अवमानना ​​के बारे में चिंता न करें क्योंकि पुलिस उनके नियंत्रण में है और ऐसे में किसी को जेल भेजना आसान नहीं है. देब ने त्रिपुरा सिविल सर्विस ऑफिसर्स एसोसिएशन के द्विवार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि अधिकारियों का एक वर्ग इस तरह अदालत की अवमानना ​​​​का हवाला दे रहा है जैसे कि यह अवमानना कोई बाघ हो, लेकिन वास्तव में 'मैं बाघ हूं.'

देब की इस टिप्पणी पर विवाद खड़ा हो गया है. विपक्ष ने कहा कि उनके शासन में लोकतंत्र दांव पर है. मुख्यमंत्री ने शनिवार को रवींद्र भवन में आयोजित कार्यक्रम में कहा, 'आजकल, अधिकारियों का एक वर्ग अदालत की अवमानना ​​से डरता है. वे अदालत की अवमानना ​​का हवाला देते हुए यह कहकर किसी फाइल को नहीं छूते हैं कि परेशानी खड़ी हो जाएगी. अगर मैं ऐसा करता हूं तो मुझे अदालत की अवमानना ​​के लिए जेल भेजा जाएगा.'

उन्होंने कहा, 'समस्या कहां है? अदालत की अवमानना ​​के आरोप में अब तक कितने अधिकारियों को जेल भेजा गया है? मैं यहां हूं, आप में से किसी को भी जेल भेजे जाने से पहले मैं जेल जाऊंगा.'

  • .@BjpBiplab is a DISGRACE to the entire nation!

    He shamelessly mocks Democracy, MOCKS the Hon'ble JUDICIARY and seemingly gets away with it!

    Will the SUPREME COURT take cognizance of his comments that reflect such grave disrespect? pic.twitter.com/0qEAdBQ54r

    — Abhishek Banerjee (@abhishekaitc) September 26, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

देब ने कहा कि किसी को जेल भेजना आसान नहीं है क्योंकि इसके लिए पुलिस की जरूरत होती है. देब राज्य के गृह मंत्री भी हैं.

उन्होंने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा था, 'और, मैं पुलिस को नियंत्रित करता हूं. अधिकारी इस तरह हालात का हवाला दे रहे हैं जैसे कि अदालत की अवमानना ​​​कोई बाघ हो! मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं बाघ हूं. सरकार चलाने वाले पास शक्ति होती है.'

पढ़ें: त्रिपुरा में राजनीतिक हिंसा सीपीएम की विरासत : सीएम बिप्लब देब

मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर एक पूर्व मुख्य सचिव के साथ अपने अनुभव का भी जिक्र किया था. उन्होंने मुख्य सचिव का मजाक उड़ाते हुए कहा था, 'हमारे एक मुख्य सचिव ने कहा कि अगर वह सिस्टम से बाहर काम करते है तो उन्हें अदालत की अवमानना ​​के लिए जेल भेजा जाएगा... फिर मैंने उन्हें जाने दिया.'

विपक्षी माकपा ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान से पता चलता है कि वह न्यायपालिका का सम्मान नहीं करते.

माकपा के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा, 'यह दर्शाता है कि वह न्यायपालिका का सम्मान नहीं करते, जो लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है. उनके शासन में लोकतंत्र दांव पर है.'

तृणमूल कांग्रेस ने भी देब हमला किया और उच्चतम न्यायालय से उनकी टिप्पणियों पर संज्ञान लेने का आग्रह किया. टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट किया, 'बिप्लब देब पूरे देश के लिए एक अपमान हैं! वह बेशर्मी से लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाते हैं, माननीय न्यायपालिका का मज़ाक उड़ाते हैं. क्या सर्वोच्च न्यायालय उनकी टिप्पणियों का संज्ञान लेगा?'

इससे पहले उन्होंने यह दावे कर विवाद खड़ा कर दिया था कि 'महाभारत के युग' के दौरान इंटरनेट मौजूद था. रवींद्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजों के विरोध में अपना नोबेल पुरस्कार लौटा दिया था.

Last Updated : Sep 27, 2021, 4:19 PM IST
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