रुद्रप्रयाग /देहरादून : उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों ने आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है. केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहित बीते दो सालों से आंदोलनरत हैं. अब पुरोहितों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर खून से पत्र लिखा है.
यह पत्र तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने अपने खून से लिखा है. इसके अलावा पुरोहितों ने धाम में सरकार और देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ जमकर प्रदर्शन भी किया.
बता दें कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के गठन हुए दो साल हो चुके हैं. जब से बोर्ड का गठन हुआ है, तब से उत्तराखंड के चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन जारी है. केदारनाथ धाम में बीते दो महीने पहले बोर्ड के विरोध में सात दिनों तक शीर्षासन आंदोलन करने वाले अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित समाज के राष्ट्रीय युवा उपाध्यक्ष आचार्य संतोष त्रिवेदी ने अपने खून से लिखा पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा है.
खून से लिखे हुए पत्र में उन्होंने कहा है कि देवस्थानम बोर्ड का गठन कर सनातम धर्म की पौराणिक परंपराओं के साथ छेड़छाड़ हुई है. बीते दो सालों से चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों का बोर्ड के खिलाफ आंदोलन जारी है. ऐसे में प्रधानमंत्री को अपने स्तर से बोर्ड को जल्द भंग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि तीर्थ पुरोहितों को प्रधानमंत्री से बहुत उम्मीदें थी, लेकिन उनकी उम्मीदें धरी की धरी रह गई हैं.
सरकार और बोर्ड के विरोध में रैली निकालकर प्रदर्शन करते हुए तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि अब बोर्ड को भंग करने के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी.
यदि बोर्ड को भंग नहीं किया जाता है तो पुरोहित अब आमरण अनशन करेंगे. बता दें कि केदारनाथ धाम में अब तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन तेज होता जा रहा है. पुरोहित रोजाना मंदिर परिसर से लेकर हेलीपैड तक रैली निकालकर प्रदर्शन और धरना भी दे रहे हैं.
17 अगस्त से शुरू होगा प्रदेश स्तरीय आंदोलन
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग किए जाने की मांग को लेकर चारधाम तीर्थपुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत समिति ने 17 अगस्त से प्रदेश स्तरीय आंदोलन का ऐलान किया है. 17 अगस्त के बाद चारधाम समेत ऊखीमठ, खरसाली, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, ऋषिकेश और देहरादून में धरना प्रदर्शन किया जाएगा. पहले क्रमिक अनशन किया जाएगा, फिर आमरण अनशन करने की भी योजना है. प्रदेश सरकार का पुतला भी फूंका जाएगा. इसके बाद 16 सितंबर को सीएम आवास कूच किया जाएगा.
बता दें कि पिछले दो महीने से तीर्थपुरोहित और हक-हकूकधारियों का धरना प्रदर्शन जारी है. हालांकि, अभी तक धरना दे रहे तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों को मंदिर परिसर में धरना देने से मना नहीं किया गया था, लेकिन बीते सोमवार को पुलिस प्रशासन ने एक आदेश की कॉपी को दिखाते हुए केदारनाथ परिसर में धरना न देने की बात कही, जिससे तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश और बढ़ गया. यह आदेश करीब एक साल पुराना है जो 16 सितंबर 2020 को देवस्थानम बोर्ड के सीईओ की ओर से जारी किया गया था.
मंदिर से 200 मीटर की परिधि में नहीं कर सकते प्रदर्शन
उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन की ओर से 16 सितंबर 2020 को जारी किए गए आदेश के अनुसार, केदारनाथ देवस्थानम के 200 मीटर की परिधि और वैलीब्रिज से मंदिर तक के मुख्य पहुंच मार्ग में किसी भी तरह के धरना/प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया गया था.
आदेश में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि अगर कोई इस आदेश का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ धारा 37 के तहत कार्रवाई की जाएगी. करीब एक साल पहले जारी इस आदेश को लेकर पुलिस प्रशासन, केदारनाथ धाम में धरना दे रहे तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों को हटाने की कोशिश कर रहा है.
नहीं बनी हाई पावर कमेटी
16 जुलाई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की पहली बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए हाई पावर कमेटी का गठन किया जाएगा. अभी तक कमेटी का गठन नहीं हो पाया और न ही इस बाबत कोई आदेश जारी हुआ है.
मुख्यमंत्री का जवाब
बोर्ड के बढ़ते विरोध को देखते हुए भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गोलमोल जवाब दिया है. उनका कहना है कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में जो तीर्थ पुरोहित, हक-हकूकधारी समेत पुजारी आते हैं, उन सभी की बात को राज्य सरकार सुनेगी. उसके बाद निर्णय लेगी.
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उन्होंने कहा कि इनकी समस्याओं के निराकरण के लिए हाई पावर कमेटी बनाई गई है जो जल्द ही काम करना शुरू कर देगी.