ETV Bharat / bharat

कोरोना को हराने के लिए मिलकर करना होगा काम - कोरोना संक्रमितों के आंकड़े

कोरोना की दूसरी लहर बहुत ही खतरनाक होती जा रही है. जाहिर है, इसके खिलाफ केंद्र, राज्य और नागरिकों को मिलकर लड़ना होगा. सबको अपनी-अपनी जिम्मेवारी निभानी होगी. केंद्र सरकार का यह दायित्व है कि वह टीके की उपलब्धता सुनिश्चित करवाए. राज्यों को इसके वितरण की अच्छी व्यवस्था करनी होगी. आम नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वे कोरोना पर रोक लगाने के लिए बने निर्धारित नियमों का कड़ाई से पालन करें.

etv bharat
कॉन्सेप्ट फोटो
author img

By

Published : Apr 15, 2021, 7:36 PM IST

हैदराबाद : पिछले करीब दो महीने से जिस गति से कोरोना का प्रकोप बढ़ा है, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उसके प्रति सबको आगाह किया है. महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, केरल और अन्य राज्यों में स्थिति चिंताजनक है.

इसी साल एक मार्च को 15,500 मामले दर्ज किए गए थे. लेकिन आज यह आंकड़ा दो लाख को पार कर चुका है. महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में डरावने दृश्य देखने को मिल रहे हैं, जहां एक ही चिता पर आठ-आठ शव जलाए जा रहे हैं. सरकारी अस्पतालों के बाहर शवों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

सचमुच, कोविड को नजरअंदाज करने का दुष्परिणाम आज देखने को मिल रहा है. अब तो केंद्र सरकार भी मान रही है कि इस साल कोरोना संक्रमितों के आंकड़े पिछले साल के मुकाबले अधिक होंगे. स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना के खिलाफ बनाए गए नियमों की खूब अनदेखी की गई. स्थानीय चुनावों, शादियों में जमावड़ा और अन्य कार्यक्रमों में लोग भारी संख्या में जुटते रहे. उन लोगों ने मान लिया था कि कोरोना नहीं है. उन्होंने न तो मास्क की परवाह की और न ही सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किया.

ऐसे में गंभीर सवाल उठ रहे हैं कि पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान जब कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया गया, तो इस बार इसकी अनदेखी क्यों की गई. कुंभ मेले की शुरुआत हुई और यह कहा गया कि हमारी भक्ति से कोरोना भाग जाएगा. इतनी बड़ी संख्या में लोगों के एकत्रित होने देने से कोरोना का खतरा और अधिक बढ़ेगा. यह सर्वविदित है. कोरोना के खिलाफ वैक्सीन का ट्रायल चल ही रहा था, लेकिन माहौल ऐसा बना दिया गया मानो बाजार में वैक्सीन पहुंच गई हो. इस लापरवाही के कारण कोरोना का प्रसार बढ़ा. विशेषज्ञ मानते हैं कि इन परिस्थितियों के अलावा वायरल म्यूटेशंस ने स्थिति और भी खराब कर दी. पिछले साल की तरह ही इस बार भी बेड, दवा और ऑक्सीजन की कमी से पूरा देश जूझ रहा है.

सरकार ने स्पूतनिक-5 वैक्सीन को आपातकाल में इजाजत दे दी है. कोवैक्सीन और कोविशिल्ड टीका पहले से मौजूद है. अब सरकार को चाहिए कि वह दवा कंपनियों और स्वास्थ्य केंद्रों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करे. स्वास्थ्य व्यवस्था का ढांचा प्रभावित न हो, इस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है.

भारत को वैक्सीन कैपिटल कहा जा रहा है. इसके बावजूद अब तक छह फीसदी आबादी ने टीका लिया है. कोरोना के खिलाफ टीका लगवाने की दर बढ़ानी होगी. विशेषज्ञों का कहना है कि कम से कम एक दिन में 50 लाख लोगों को टीका लगना चाहिए, तब जाकर स्थिति से हम निपट सकते हैं. केंद्र सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह लोगों के मन से टीके को लेकर जो भ्रांतियां हैं, उसे दूर करे और राज्यों को पर्याप्त मात्रा में टीका उपलब्ध करवाई जाए.

सरकार को यह बताना होगा कि टीके की वजह से लोगों की जान नहीं जा रही है. हमारा शरीर कोरोना से तभी लड़ सकता है, जब हम उस टीके को लगवाते हैं. टीके का उत्पादन करने वाली भारतीय कंपनियों ने मिशन कोविड सुरक्षा स्कीम के तहत 35 हजार करोड़ की मदद की मांग की है. सरकार का दायित्व है कि वह पूरी आबादी तक टीके को पहुंच सुनिश्चित करवाए.

केंद्र सरकार को इस वक्त टीके की कीमतों पर भी नियंत्रण रखना होगा. पी-फाइजर और मॉडर्ना की कीमतें नहीं बढ़े, इसके लिए अभी से ही कदम उठाने चाहिए. अभी अमेरिका ने जॉनसन एंड जॉनसन की सूई पर रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें : कम समय में अधिक टीकाकरण, यही है समस्या का समाधान

केंद्र सरकार ने ऑयल रिफाइनरी और स्टील प्लांट से ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चत करने को कहा है. यह एक अच्छा कदम है. इसी तरह से रेमडेसिविर दवा को लेकर भी कदम उठाने चाहिए. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी इसकी कालाबाजारी न कर पाए. समय की मांग है कि आम नागरिकों और केंद्र तथा राज्य सरकारों को मिलकर अपनी-अपनी जिम्मेवारी निभानी चाहिए, ताकि हम कोरोना के खिलाफ जंग में सफल हो सकें.

हैदराबाद : पिछले करीब दो महीने से जिस गति से कोरोना का प्रकोप बढ़ा है, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उसके प्रति सबको आगाह किया है. महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, केरल और अन्य राज्यों में स्थिति चिंताजनक है.

इसी साल एक मार्च को 15,500 मामले दर्ज किए गए थे. लेकिन आज यह आंकड़ा दो लाख को पार कर चुका है. महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में डरावने दृश्य देखने को मिल रहे हैं, जहां एक ही चिता पर आठ-आठ शव जलाए जा रहे हैं. सरकारी अस्पतालों के बाहर शवों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

सचमुच, कोविड को नजरअंदाज करने का दुष्परिणाम आज देखने को मिल रहा है. अब तो केंद्र सरकार भी मान रही है कि इस साल कोरोना संक्रमितों के आंकड़े पिछले साल के मुकाबले अधिक होंगे. स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना के खिलाफ बनाए गए नियमों की खूब अनदेखी की गई. स्थानीय चुनावों, शादियों में जमावड़ा और अन्य कार्यक्रमों में लोग भारी संख्या में जुटते रहे. उन लोगों ने मान लिया था कि कोरोना नहीं है. उन्होंने न तो मास्क की परवाह की और न ही सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किया.

ऐसे में गंभीर सवाल उठ रहे हैं कि पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान जब कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया गया, तो इस बार इसकी अनदेखी क्यों की गई. कुंभ मेले की शुरुआत हुई और यह कहा गया कि हमारी भक्ति से कोरोना भाग जाएगा. इतनी बड़ी संख्या में लोगों के एकत्रित होने देने से कोरोना का खतरा और अधिक बढ़ेगा. यह सर्वविदित है. कोरोना के खिलाफ वैक्सीन का ट्रायल चल ही रहा था, लेकिन माहौल ऐसा बना दिया गया मानो बाजार में वैक्सीन पहुंच गई हो. इस लापरवाही के कारण कोरोना का प्रसार बढ़ा. विशेषज्ञ मानते हैं कि इन परिस्थितियों के अलावा वायरल म्यूटेशंस ने स्थिति और भी खराब कर दी. पिछले साल की तरह ही इस बार भी बेड, दवा और ऑक्सीजन की कमी से पूरा देश जूझ रहा है.

सरकार ने स्पूतनिक-5 वैक्सीन को आपातकाल में इजाजत दे दी है. कोवैक्सीन और कोविशिल्ड टीका पहले से मौजूद है. अब सरकार को चाहिए कि वह दवा कंपनियों और स्वास्थ्य केंद्रों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करे. स्वास्थ्य व्यवस्था का ढांचा प्रभावित न हो, इस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है.

भारत को वैक्सीन कैपिटल कहा जा रहा है. इसके बावजूद अब तक छह फीसदी आबादी ने टीका लिया है. कोरोना के खिलाफ टीका लगवाने की दर बढ़ानी होगी. विशेषज्ञों का कहना है कि कम से कम एक दिन में 50 लाख लोगों को टीका लगना चाहिए, तब जाकर स्थिति से हम निपट सकते हैं. केंद्र सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह लोगों के मन से टीके को लेकर जो भ्रांतियां हैं, उसे दूर करे और राज्यों को पर्याप्त मात्रा में टीका उपलब्ध करवाई जाए.

सरकार को यह बताना होगा कि टीके की वजह से लोगों की जान नहीं जा रही है. हमारा शरीर कोरोना से तभी लड़ सकता है, जब हम उस टीके को लगवाते हैं. टीके का उत्पादन करने वाली भारतीय कंपनियों ने मिशन कोविड सुरक्षा स्कीम के तहत 35 हजार करोड़ की मदद की मांग की है. सरकार का दायित्व है कि वह पूरी आबादी तक टीके को पहुंच सुनिश्चित करवाए.

केंद्र सरकार को इस वक्त टीके की कीमतों पर भी नियंत्रण रखना होगा. पी-फाइजर और मॉडर्ना की कीमतें नहीं बढ़े, इसके लिए अभी से ही कदम उठाने चाहिए. अभी अमेरिका ने जॉनसन एंड जॉनसन की सूई पर रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें : कम समय में अधिक टीकाकरण, यही है समस्या का समाधान

केंद्र सरकार ने ऑयल रिफाइनरी और स्टील प्लांट से ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चत करने को कहा है. यह एक अच्छा कदम है. इसी तरह से रेमडेसिविर दवा को लेकर भी कदम उठाने चाहिए. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी इसकी कालाबाजारी न कर पाए. समय की मांग है कि आम नागरिकों और केंद्र तथा राज्य सरकारों को मिलकर अपनी-अपनी जिम्मेवारी निभानी चाहिए, ताकि हम कोरोना के खिलाफ जंग में सफल हो सकें.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.