भरतपुर. आज से 50 वर्ष पूर्व बाघों के संरक्षण के लिए भारत में वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर चलाया गया था. आज इसी प्रोजेक्ट का नतीजा है कि देश में बाघों की आबादी 10 गुना बढ़ गई है. राजस्थान के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व समेत देश के कई टाइगर रिजर्व फुल हो गए हैं. बाघों के कुनबा में यह वृद्धि शुभ संकेत हैं, लेकिन अब भारत सरकार और राज्य सरकारों को मिलकर इनके संरक्षण के लिए और नए टाइगर रिजर्व बनाने की जरूरत है.
50 साल में दस गुना से अधिक वृद्धि : देश में बाघों का तेजी से शिकार होने की वजह से वर्ष 1973 में बाघों की संख्या महज 268 रह गई थी. ऐसे में भारत सरकार ने बाघों को सुरक्षा प्रदान करने, उनकी संख्या में वृद्धि करने के लिए वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया था. इस प्रोजेक्ट का साल दर साल बीतने के दौरान बेहतर परिणाम देखने को मिला. एक तरफ जहां टाइगर रिजर्व की संख्या में बढ़ोतरी हुई, वहीं बाघों की संख्या में भी खासी बढ़ोतरी देखने को मिली है.
देश के कई टाइगर रिजर्व फुल : बेहतर मैनेजमेंट के चलते देश में बाघों की संख्या में अच्छी वृद्धि हुई है. रणथम्भौर टाइगर रिजर्व समेत देश के कई टाइगर रिजर्व ऐसे हैं, जिनमें आज की तारीख में क्षमता (टाइगर रिजर्व) से अधिक बाघ विचरण कर रहे हैं. यही वजह है कि रणथम्भौर के कई बाघ धौलपुर और अन्य क्षेत्रों में विचरण कर रहे हैं. धौलपुर में तो एक बाघिन ने दो बार शावकों को जन्म भी दिया है.
1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत देश के 9 टाइगर रिजर्व को शामिल किया गया. धीरे-धीरे प्रोजेक्ट में टाइगर रिजर्व की संख्या बढ़ाई गई और आज देश के 53 में से 52 टाइगर रिजर्व टाइगर प्रोजेक्ट में शामिल हैं. प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघ संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों का ही नतीजा है कि यह संख्या बढ़कर 2022 में 3167 हो गई
- सुनयन शर्मा, सेवानिवृत्त डीएफओ
474 बाघ बाहर, नए रिजर्व की जरूरत : एक्सपर्ट का मानना है कि टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या अधिक होने पर बाघ रिजर्व से बाहर पलायन कर रहे हैं. रणथंभौर में 56 बाघों के लायक क्षमता है, लेकिन विर्तमान में 75 से अधिक बाघ हैं. ऐसे में करीब 6 बाघ रणथंभौर से बाहर अलग-अलग क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं. यही स्थिति देश के कई दूसरे टाइगर रिजर्व की है. वन मंत्रालय के वर्ष 2018 के आंकड़ों के अनुसार देश में 474 बाघ टाइगर रिजर्व से बाहर विचरण कर रहे हैं. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि जिन क्षेत्रों में बाघ विचरण कर रहे हैं, उन क्षेत्रों को संरक्षित किया जाए और नए टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित किया जाए. राजस्थान के रणथंभौर, मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, पेंच टाइगर रिजर्व समेत देश के कई रिजर्व में बाघों की संख्या अधिक है.