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रांची में डॉक्टर-इंजीनियर की टीम ने बनाई एंटी डिप्रेशन डिवाइस, आत्महत्या का ख्याल आते ही बज उठेगा अलार्म

कोई व्यक्ति डिप्रेशन में है, इसका पता लगाने के लिए अब तक डॉक्टर्स को लंबी काउंसेलिंग करनी पड़ती है, लेकिन अब कुछ मिनटों में ही डिवाइस के जरिए डिप्रेशन का पता लगाया जा सकता है. रांची के तीन डॉक्टर-इंजीनियर ने एक एंटी डिप्रेशन डिवाइस (Anti Depression Device) बनाई है, जिससे यह संभव हो पाएगा. इस डिवाइस का नाम हाइब्रिड डिप्रेशन डिटेक्शन सिस्टम (Hybrid Depression Detection System) रखा गया है.

Three doctor-engineers from Ranchi made anti depression device
Three doctor-engineers from Ranchi made anti depression device
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Published : Aug 6, 2022, 5:31 PM IST

रांची: अगर किसी व्यक्ति में डिप्रेशन के लक्षण हैं या उसके डिप्रेशन से पीड़ित होने की आशंका है, तो स्पेशल डिवाइस (Anti Depression Device) वाले हेडबैंड या टोपी से इसकी सूचना मिल जायेगी. इस नायाब डिवाइस को रांची स्थित मशहूर मानसिक चिकित्सालय सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री के डॉ निशांत गोयल, बीआईटी के डॉ राकेश सिन्हा और रांची के ट्रिपल आईटी की लेक्चरर शालिनी महतो की टीम ने मिलकर डेवलप किया है. इस डिवाइस को केंद्र सरकार की एमएसएमई मिनिस्ट्री ने स्टार्टअप के तौर पर 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर कर ली है.

गौरतलब है कि स्टार्टअप के नये और इनोवेटिव आइडिया पर काम करने के लिए केंद्र सरकार की एमएसएमई मिनिस्ट्री ने कुछ वर्ष पहले आर्थिक सहायता की योजना शुरू की है. इसके लिए झारखंड टूल रूम से इस वर्ष 19 आइडिया का प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा गया था. इनमें से दो प्रस्तावों को मंजूरी मिली है. एंटी डिप्रेशन डिवाइस (Anti Depression Device) का यह आइडिया उनमें से एक है.

इस डिवाइस का नाम हाइब्रिड डिप्रेशन डिटेक्शन सिस्टम (Hybrid Depression Detection System) है. शालिनी बताती हैं कि इस डिवाइस को हेडबैंड या टोपी में लगाया जायेगा. इसे पहनने से व्यक्ति के ब्रेन से सिग्नल इससे जुड़े सर्वर के जरिए मोबाइल एप तक पहुंचेंगे और इस बात के स्पष्ट संकेत देंगे कि व्यक्ति में डिप्रेशन के लक्षण या इसकी आशंकाएं हैं या नहीं. इतना ही नहीं, यदि व्यक्ति के मन में सुसाइडल अटेंप्ट जैसे ख्याल आ रहे हों तो भी यह डिवाइस ऐप पर संकेत भेजकर अलर्ट कर देगी. इस ऐप के जरिए उस व्यक्ति के परिजनों और डॉक्टरों को भी उसकी मानसिक स्थिति का पता चल जायेगा.

शालिनी के मुताबिक डिप्रेशन आज के दौर की बहुत बड़ी समस्या है. कोई व्यक्ति डिप्रेशन में है, इसका पता लगाने के लिए अब तक डॉक्टर्स को लंबी काउंसेलिंग करनी पड़ती है. अब इस डिवाइस की मदद से यह काम आसान हो जायेगा. डिप्रेशन को रोकने और सही समय पर इसके उपचार के लिए तकनीक का इस्तेमाल कैसे हो, इसपर लंबे रिसर्च के बाद इस डिवाइस को विकसित करने में सफलता मिली है. केंद्र सरकार इसे व्यावसायिक इस्तेमाल वाले प्रोडक्ट के तौर पर तैयार करने के लिए 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता के साथ-साथ तकनीकी-वैधानिक सहायता भी उपलब्ध करायेगी. इस डिवाइस की कीमत 30 हजार रुपये तक हो सकती है. फंडिंग से इसके प्रोडक्शन की लागत और कम हो सकती है.

रांची: अगर किसी व्यक्ति में डिप्रेशन के लक्षण हैं या उसके डिप्रेशन से पीड़ित होने की आशंका है, तो स्पेशल डिवाइस (Anti Depression Device) वाले हेडबैंड या टोपी से इसकी सूचना मिल जायेगी. इस नायाब डिवाइस को रांची स्थित मशहूर मानसिक चिकित्सालय सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री के डॉ निशांत गोयल, बीआईटी के डॉ राकेश सिन्हा और रांची के ट्रिपल आईटी की लेक्चरर शालिनी महतो की टीम ने मिलकर डेवलप किया है. इस डिवाइस को केंद्र सरकार की एमएसएमई मिनिस्ट्री ने स्टार्टअप के तौर पर 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर कर ली है.

गौरतलब है कि स्टार्टअप के नये और इनोवेटिव आइडिया पर काम करने के लिए केंद्र सरकार की एमएसएमई मिनिस्ट्री ने कुछ वर्ष पहले आर्थिक सहायता की योजना शुरू की है. इसके लिए झारखंड टूल रूम से इस वर्ष 19 आइडिया का प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा गया था. इनमें से दो प्रस्तावों को मंजूरी मिली है. एंटी डिप्रेशन डिवाइस (Anti Depression Device) का यह आइडिया उनमें से एक है.

इस डिवाइस का नाम हाइब्रिड डिप्रेशन डिटेक्शन सिस्टम (Hybrid Depression Detection System) है. शालिनी बताती हैं कि इस डिवाइस को हेडबैंड या टोपी में लगाया जायेगा. इसे पहनने से व्यक्ति के ब्रेन से सिग्नल इससे जुड़े सर्वर के जरिए मोबाइल एप तक पहुंचेंगे और इस बात के स्पष्ट संकेत देंगे कि व्यक्ति में डिप्रेशन के लक्षण या इसकी आशंकाएं हैं या नहीं. इतना ही नहीं, यदि व्यक्ति के मन में सुसाइडल अटेंप्ट जैसे ख्याल आ रहे हों तो भी यह डिवाइस ऐप पर संकेत भेजकर अलर्ट कर देगी. इस ऐप के जरिए उस व्यक्ति के परिजनों और डॉक्टरों को भी उसकी मानसिक स्थिति का पता चल जायेगा.

शालिनी के मुताबिक डिप्रेशन आज के दौर की बहुत बड़ी समस्या है. कोई व्यक्ति डिप्रेशन में है, इसका पता लगाने के लिए अब तक डॉक्टर्स को लंबी काउंसेलिंग करनी पड़ती है. अब इस डिवाइस की मदद से यह काम आसान हो जायेगा. डिप्रेशन को रोकने और सही समय पर इसके उपचार के लिए तकनीक का इस्तेमाल कैसे हो, इसपर लंबे रिसर्च के बाद इस डिवाइस को विकसित करने में सफलता मिली है. केंद्र सरकार इसे व्यावसायिक इस्तेमाल वाले प्रोडक्ट के तौर पर तैयार करने के लिए 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता के साथ-साथ तकनीकी-वैधानिक सहायता भी उपलब्ध करायेगी. इस डिवाइस की कीमत 30 हजार रुपये तक हो सकती है. फंडिंग से इसके प्रोडक्शन की लागत और कम हो सकती है.

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