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WB Panchayat Election : प. मिदनापुर का ऐसा नेता जो 53 सालों में कभी नहीं हारा चुनाव, जानें कौन हैं 'अपराजित गोपाल'

दासपुर के गोपाल चंद्र नंदी 1965 से चुनाव लड़ रहे हैं वह कभी नहीं हारे. शुरुआत में वे कांग्रेस में थे अब टीएमसी में हैं. इस बार भी वे पंचायत चुनाव के प्रत्याशी बने हैं वह जीत को लेकर आशान्वित हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Gopal Chandra Nandi
अभिषेक बनर्जी के साथ गोपाल चंद्र नंदी
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Published : Jun 16, 2023, 7:24 AM IST

दासपुर (पश्चिम मिदनापुर) : पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव को लेकर तैयारी जोरों पर है. उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. ऐसे में पश्चिम मिदनापुर जिले के गोविंदनगर पश्चिम बूथ का एक प्रत्याशी है जो कभी चुनाव हारा ही नहीं. उनकी पंचायत में लोग उन्हें अपराजित गोपाल के नाम से जानते हैं. गोपाल चंद्र नंदी को 1965 से 2018 के बीच हुए पंचायत चुनाव में कोई नहीं हरा पाया है. वह तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं.

पिछली बार वे पश्चिम मिदनापुर के दासपुर-1 प्रखंड के नंदनपुर-2 ग्राम पंचायत के गोविंदनगर पंचायच से जीते थे. इस बार वे गोविंदनगर पश्चिम बूथ से घास के फूल के प्रतीक चिन्ह पर प्रत्याशी हैं. 88 साल के इस 'युवा' का दावा है कि इस बार भी उन्हें कोई नहीं हरा सकेगा. वह अपराजित ही रहेंगे.

Gopal Chandra Nandi
अभिषेक बनर्जी के साथ गोपालचंद्र नंदी

1965 में गोपाल नंदी पहली बार कांग्रेस से उम्मीदवार बने. उसके बाद वह कांग्रेस की टिकट पर कई बार चुनाव जीते. बाद में वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. पार्टी बदलने के बाद भी उनके जीत का सिलसिला नहीं रुका. 1965 से 2018 के बीच 53 सालों में गोपाल कभी ग्राम पंचायत तो कभी पंचायत समिति के चुनाव में खड़े हुए. उन्होंने कई वर्षों तक पंचायत प्रधान की जिम्मेदारी भी संभाली. 1965 से 1978 तक वे नंदनपुर ग्राम पंचायत के प्रधान रहे.

Gopal Chandra Nandi
अभिषेक बनर्जी के साथ गोपालचंद्र नंदी

1978 में, ग्राम पंचायत पर वामपंथियों का कब्जा हो गया, लेकिन गोपाल नंदी जीत गए. 2013 में, उन्होंने पंचायत समिति सीट जीती और वन और भूमि का प्रभार संभाला. उन्हें लगातार 25 वर्षों तक पंचायत सदस्य रहने के लिए 2009 में केंद्र सरकार से प्रमाण पत्र भी मिला था. स्थानीय लोगों का कहना है कि वह सभी के बीच लोकप्रिय हैं. इसलिए वोटर हर बार उन पर भरोसा करते हैं. दासपुर के स्थानीय निवासी असित घोष, रीता सामंतरा ने कहा कि गोपाल बाबू क्षेत्र में एक ईमानदार व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं. वह सबके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं. इस उम्र में भी वह सक्रिय रहते हैं. उनकी राजनीति सभ्य और शांत है.

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दासपुर-1 ब्लॉक में तृणमूल के अध्यक्ष सुकुमार पात्रा ने कहा कि गोपालचंद्र नंदी एक ईमानदार व्यक्ति हैं. तृणमूल के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने तृणमूल नाबो जोर कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान उनसे अलग से बात की. गोपालचंद्र नंदी ने कहा कि मैं बाबा (पिता) हरिपद नंदी के साथ गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुआ. मैं राजनीति में बिधान चंद्र रॉय, अजय मुखोपाध्याय के करीबी रहा. मैंने हमेशा लोगों का काम करने की कोशिश की है. लोग मुझे प्यार भी करते हैं. मैंने अपने जीवन में कभी कोई चुनाव नहीं हारा. मैं फिर नहीं हारूंगा. मैं सभी के साथ काम करने की कोशिश करता हूं.

दासपुर (पश्चिम मिदनापुर) : पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव को लेकर तैयारी जोरों पर है. उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. ऐसे में पश्चिम मिदनापुर जिले के गोविंदनगर पश्चिम बूथ का एक प्रत्याशी है जो कभी चुनाव हारा ही नहीं. उनकी पंचायत में लोग उन्हें अपराजित गोपाल के नाम से जानते हैं. गोपाल चंद्र नंदी को 1965 से 2018 के बीच हुए पंचायत चुनाव में कोई नहीं हरा पाया है. वह तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं.

पिछली बार वे पश्चिम मिदनापुर के दासपुर-1 प्रखंड के नंदनपुर-2 ग्राम पंचायत के गोविंदनगर पंचायच से जीते थे. इस बार वे गोविंदनगर पश्चिम बूथ से घास के फूल के प्रतीक चिन्ह पर प्रत्याशी हैं. 88 साल के इस 'युवा' का दावा है कि इस बार भी उन्हें कोई नहीं हरा सकेगा. वह अपराजित ही रहेंगे.

Gopal Chandra Nandi
अभिषेक बनर्जी के साथ गोपालचंद्र नंदी

1965 में गोपाल नंदी पहली बार कांग्रेस से उम्मीदवार बने. उसके बाद वह कांग्रेस की टिकट पर कई बार चुनाव जीते. बाद में वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. पार्टी बदलने के बाद भी उनके जीत का सिलसिला नहीं रुका. 1965 से 2018 के बीच 53 सालों में गोपाल कभी ग्राम पंचायत तो कभी पंचायत समिति के चुनाव में खड़े हुए. उन्होंने कई वर्षों तक पंचायत प्रधान की जिम्मेदारी भी संभाली. 1965 से 1978 तक वे नंदनपुर ग्राम पंचायत के प्रधान रहे.

Gopal Chandra Nandi
अभिषेक बनर्जी के साथ गोपालचंद्र नंदी

1978 में, ग्राम पंचायत पर वामपंथियों का कब्जा हो गया, लेकिन गोपाल नंदी जीत गए. 2013 में, उन्होंने पंचायत समिति सीट जीती और वन और भूमि का प्रभार संभाला. उन्हें लगातार 25 वर्षों तक पंचायत सदस्य रहने के लिए 2009 में केंद्र सरकार से प्रमाण पत्र भी मिला था. स्थानीय लोगों का कहना है कि वह सभी के बीच लोकप्रिय हैं. इसलिए वोटर हर बार उन पर भरोसा करते हैं. दासपुर के स्थानीय निवासी असित घोष, रीता सामंतरा ने कहा कि गोपाल बाबू क्षेत्र में एक ईमानदार व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं. वह सबके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं. इस उम्र में भी वह सक्रिय रहते हैं. उनकी राजनीति सभ्य और शांत है.

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दासपुर-1 ब्लॉक में तृणमूल के अध्यक्ष सुकुमार पात्रा ने कहा कि गोपालचंद्र नंदी एक ईमानदार व्यक्ति हैं. तृणमूल के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने तृणमूल नाबो जोर कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान उनसे अलग से बात की. गोपालचंद्र नंदी ने कहा कि मैं बाबा (पिता) हरिपद नंदी के साथ गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुआ. मैं राजनीति में बिधान चंद्र रॉय, अजय मुखोपाध्याय के करीबी रहा. मैंने हमेशा लोगों का काम करने की कोशिश की है. लोग मुझे प्यार भी करते हैं. मैंने अपने जीवन में कभी कोई चुनाव नहीं हारा. मैं फिर नहीं हारूंगा. मैं सभी के साथ काम करने की कोशिश करता हूं.

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