बेंगलुरु: पूर्व सीएम डीवी सदानंद गौड़ा ने स्पष्ट किया कि 'चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का फैसला मेरा अपना फैसला है. किसी ने भी मुझसे इस बारे में चर्चा नहीं की या मुझ पर दबाव नहीं डाला. टिकट खोने के डर से यह फैसला नहीं लिया. यह फैसला परिवार से चर्चा के बाद लिया है.'
उन्होंने संजय नगर स्थित अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, कि कोई दबाव नहीं है. मैं आंजनेय की तरह अपना सीना नहीं दिखा सकता. मैंने सच बोला. कठोरता से नहीं कहा. कोई दबाव नहीं है. किसी से चर्चा नहीं की. मैंने 2019 में ही कहा था कि मैं संन्यास ले लूंगा. तब पार्टी और संघ ने कहा कि मुकाबला करो. इसीलिए मैंने प्रतिस्पर्धा की. उन्होंने स्पष्ट किया कि राजनीतिक संन्यास के फैसले का हाईकमान से कोई संबंध नहीं है.
उन्होंने कहा कि 'अब तक मैंने ईमानदारी से काम किया है. पार्टी के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया. आज का निर्णय यह है कि मैंने अपने परिवार को छोड़कर किसी से भी चर्चा नहीं की और निर्णय लिया. कुछ लोगों ने चर्चा की थी कि 13 लोगों को टिकट नहीं मिला और सदानंद गौड़ा को भी टिकट नहीं मिला. लेकिन ये 100% झूठ है. येदियुरप्पा ने दिया अलग बयान. लेकिन ट्वीट कर सफाई दी. इसलिए मैं उनके बारे में कोई बयान भी नहीं दे सकता.'
उन्होंने कहा कि 'हमने पूरे मांड्या, हसन में पार्टी का काम किया है. मुझे राजनीति में शामिल होने की कोई इच्छा नहीं है, न ही मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चे इसमें शामिल हों. परिवारवाद की राजनीति गलत है. हमने समय पर कानून लाकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का काम किया है. किसी के दबाव में फैसला नहीं लिया.'
उन्होंने कहा कि 'मैंने किसी का लालच नहीं किया. मैं जानता हूं कि यह एक जिम्मेदारी है. करोड़ों कार्यकर्ताओं वाली पार्टी. हमारे पास 32 लाख मतदाताओं का निर्वाचन क्षेत्र है. अगर एक भी कार्यकर्ता कहता है कि सदानंद गौड़ा सही नहीं हैं, तो मैं बेंगलुरु छोड़ दूंगा.'
उन्होंने केंद्र के नेताओं से अपील की कि, 'हम विधानसभा चुनाव में भले ही हार गए हों. लेकिन लोकसभा चुनाव में हम दोगुना देंगे. कृपया राज्य के नेताओं को विश्वास में लें.' सदानंद गौड़ा ने अप्रत्यक्ष रूप से आलाकमान के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में आए बिना और राज्य के विपक्षी नेताओं को चुने बिना चले जाना ठीक नहीं है.