कन्नूर: केरल राज्य बाल अधिकार आयोग ने आठवीं कक्षा के छात्र द्वारा तीचामुंडी कोलम करने की घटना में स्वैच्छिक मामला दर्ज किया है. यह घटना कन्नूर जिले के चिरक्कल में 6 अप्रैल की सुबह हुई थी. आयोग के अध्यक्ष केवी मनोज कुमार ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर मामला दायर किया. आयोग ने जिला निदेशक, जिला पुलिस अधीक्षक और बाल संरक्षण अधिकारी को घटना पर तत्काल रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
पेरुंगकलियट्टम में चिराकल चामुंडी किले में आठवीं कक्षा के एक छात्र द्वारा थेचामुंडी थेयम का मंचन किया गया था, जो 45 साल बाद आयोजित किया जा रहा है. थेचामुंडी कोलम में कलाकार को कई बार आग में कूदना होता है.
ये किया जाता है : परंपरा के मुताबिक नृत्य करने वाले के शरीर को मंत्रोच्चारण के साथ कोमल नारियल के पत्तों से सजाया जाता है. नृत्य के अंतिम स्टेज पर कलाकार एक विशाल अलाव के ऊपर कूद जाता है. ऐसा माना जाता है कि कठिन आध्यात्मिक अनुष्ठानों के कारण नर्तक को आग से नुकसान नहीं पहुंचता. लेकिन कलाकार के असली दर्द पर किसी का ध्यान नहीं जाता है.
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन इस बात पर तय होता है कि कोई कलाकार आग में कितनी बार कूदता है. उत्तर मालाबार में ऐसे कई कलाकार हैं जो आज भी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं. ऐसे में एक 12 साल के बच्चे ने सबसे कठिन थेयम का प्रदर्शन किया.
पौराणिक कथा ये है : प्रदर्शन से जुड़ी एक पौराणिक कथा है. थेचामुंडी थेयम प्रदर्शन हिरण्यकशिपु, नरसिम्हा और उनके शिष्य प्रह्लाद की पौराणिक कहानी पर आधारित है. इसका एक वैज्ञानिक पहलू यह है कि जब चिकन पॉक्स या किसी अन्य प्रकार की वायरस जनित बीमारी गांवों में फैलती है, तो यह माना जाता है कि कीटाणु जल जाते हैं और गांव वाले महामारी से बच जाते हैं.
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