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लद्दाख की सीमा पर बढ़ेगी वज्र की तैनाती, 50 किमी दूर चीनी सेना के उड़ा देगी परखच्चे

भारतीय सेना की आर्टिलरी विंग तेजी से बदलते भू-रणनीतिक पारिस्थितिकी तंत्र में हथियारों और उपकरणों के उत्पादन और तैनाती में 'आउट-ऑफ-द-बॉक्स' और अभिनव दृष्टिकोण के लाभों को भुनाने की तलाश में है, पढ़ें संजीब बरुआ की रिपोर्ट...

लद्दाख की सीमा पर बढ़ेगी वज्र की तैनाती, 50 किमी दूर चीनी सेना के उड़ा देगी परखच्चे
लद्दाख की सीमा पर बढ़ेगी वज्र की तैनाती, 50 किमी दूर चीनी सेना के उड़ा देगी परखच्चे
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Published : Sep 28, 2022, 10:01 AM IST

नई दिल्ली : उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) (ATAGS) उन्नत चरण में है. मंगलवार को रक्षा सूत्रों ने सूचित किया कि इसका उपयोगकर्ता परीक्षण सफलतापूर्वक हो गया है. एटीएजीएस एक ग्रीनफील्ड परियोजना है, जिसे डीआरडीओ और भारतीय निजी क्षेत्र के बीच एक सफल साझेदारी के माध्यम से डिजाइन और विकसित किया गया है. उपयोगकर्ता परीक्षण संतोषजनक ढंग से आयोजित किए गए हैं. मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार कुछ प्रक्रियात्मक मुद्दों पर ध्यान दिया जाना है, लेकिन यह सेना में शामिल करने योग्य एक अच्छी प्रणाली है.

लद्दाख की सीमा पर बढ़ेगी वज्र की तैनाती, 50 किमी दूर चीनी सेना के उड़ा देगी परखच्चे
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिखाई थी हरी झंडी.

सेना (Indian Army) उत्तरी सीमाओं पर उनकी तैनाती के लिए निजी रक्षा प्रमुख लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) से 100 और के9 वज्र ट्रैक्ड सेल्फ प्रोपेल्ड हॉवित्जर ऑर्डर करने के लिए तैयार है. सेना स्वदेशी उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) 155 मिमी / 52 कैलिबर हॉवित्जर के शेष परीक्षणों को भी तेजी से ट्रैक करने की कोशिश कर रही है, जिनका उपयोग स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर औपचारिक फायरिंग के लिए किया गया था.

के-9 'वज्र' (K9 Vajra) गन सिस्टम भारत के पश्चिम में पाकिस्तानी सीमा के पास गर्म और शुष्क रेगिस्तानी इलाकों में किले बंदी के लिए तैनात की गई थी. इस बार इसी तोप का इस्तेमाल स्वतंत्रता दिवस पर रस्मी फायरिंग के लिए किया गया था. यह तोप करीब 50 किमी दूर दुश्मन के ठिकाने को तबाह कर सकती है. मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक 100 और 155 एमएम/52 कैलिबर वज्र के लिए नया ऑर्डर दिया जाएगा, जिसे गुजरात में L&T के कारखाने में स्वदेशी तरीके से बनाया जा रहा है. 2017 में L&T को 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत 100 के9 वज्र बनाने के लिए 4500 करोड़ का कांट्रैक्ट मिला था. इसके लिए दक्षिण कोरियाई कंपनी Hanwha Corporation के साथ तकनीकी ट्रांसफर के लिए भी हस्ताक्षर हुए थे.

लद्दाख की सीमा पर बढ़ेगी वज्र की तैनाती, 50 किमी दूर चीनी सेना के उड़ा देगी परखच्चे
पहाड़ी इलाके में तैनात के के-9 'वज्र'.

पढ़ें: भारतीय सेना ने चीन से लगी सीमाओं पर तैनात किए कई तरह के रॉकेट और तोपें

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, L&T के अधिकारी ने बताया कि उन्हें रक्षा मंत्रालय से 100 और वज्रों का ऑर्डर देने की मंजूरी मिल गई है. प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जल्द ही एलएंडटी को जारी किया जाएगा जिसके बाद लागत पर बातचीत की जाएगी. रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि हम इस प्रक्रिया को तेजी से ट्रैक करेंगे और उम्मीद है कि जल्द ही डिलीवरी शुरू हो जाएगी. सूत्र ने कहा कि के-9 'वज्र' गन सिस्टम का जब सेना ने 2017 में आदेश देने से पहले परीक्षण किया था, तो इसे रेगिस्तान में किया गया था, न कि उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए. दुर्लभ वातावरण और अत्यधिक ठंड में के-9 'वज्र' गन सिस्टम के सिस्टम अलग तरह से काम करते हैं. जब लद्दाख संकट शुरू हुआ, तो हमें अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा. हमने इन तोपों को परीक्षण के लिए लद्दाख में रखा और उन्होंने हमारी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए अच्छा प्रदर्शन किया.

पढ़ें: क्वांटम तकनीक से सैन्य संचार सुरक्षा को अभेद्य बनाने की तैयारी में भारतीय सेना

सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में तीन के-9 'वज्र' गन सिस्टम को पूर्वी लद्दाख में तैनात किया गया था. इन तोपों को विंटराइजेशन किट से लैस किया गया था. जो कि के-9 'वज्र' गन सिस्टम को उप-शून्य तापमान में काम करने में सक्षम बनाता था. विंटराइजेशन में मूल रूप से बैटरी, तेल, लुब्रिकेंट्स आदि का ध्यान रखना शामिल है ताकि वे अत्यधिक तापमान में जम न जाएं. क्योंकि जैसा बताया गया इन के-9 'वज्र' गन सिस्टम को रेगिस्तान में संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था.

अधिकारी ने बताया कि यह प्रयोग सफल साबित हुआ. के-9 'वज्र' गन सिस्टम ने अपनी ताकत साबित की जिसके बाद सेना ने अपनी मारक क्षमता बढ़ाने के लिए पूर्वी लद्दाख में इन तोपों की एक पूरी रेजिमेंट जो कि 20 तोपों की होती है तैनात की. अधिकारी ने बताया कि हम मौजूदा 100 वज्रों के लिए पहले ही विंटराइजेशन किट खरीद चुके हैं. जो नये तोप आयेंगे वे विंटराइजेशन किट के साथ आएंगे. विंटराइजेशन किट में विशेष तेल, ग्रीस, हीटिंग सिस्टम और बंदूक की आग और नियंत्रण प्रणाली में छोटे बदलाव सहित नौ आइटम शामिल हैं.

सेना से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि संभावित युद्धक्षेत्र की आवश्यकताओं के साथ लीग में रखते हुए, भारतीय सेना ने पहले से ही लोइटरिंग मुनिशन सिस्टम को अनुबंधित किया है, जिससे हमारी निगरानी, ​​लक्ष्य प्राप्ति और सटीक स्ट्राइक क्षमता में वृद्धि हुई है. हम स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित, उन्नत लोइटरिंग वेपन सिस्टम को खरीदने की प्रक्रिया में हैं. मंत्रालय के सूत्र ने कहा कि उन्हें उद्योग से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है. कई फर्मों ने हथियार प्रणाली के निर्माण की अपनी क्षमता व्यक्त की है.

नई दिल्ली : उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) (ATAGS) उन्नत चरण में है. मंगलवार को रक्षा सूत्रों ने सूचित किया कि इसका उपयोगकर्ता परीक्षण सफलतापूर्वक हो गया है. एटीएजीएस एक ग्रीनफील्ड परियोजना है, जिसे डीआरडीओ और भारतीय निजी क्षेत्र के बीच एक सफल साझेदारी के माध्यम से डिजाइन और विकसित किया गया है. उपयोगकर्ता परीक्षण संतोषजनक ढंग से आयोजित किए गए हैं. मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार कुछ प्रक्रियात्मक मुद्दों पर ध्यान दिया जाना है, लेकिन यह सेना में शामिल करने योग्य एक अच्छी प्रणाली है.

लद्दाख की सीमा पर बढ़ेगी वज्र की तैनाती, 50 किमी दूर चीनी सेना के उड़ा देगी परखच्चे
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिखाई थी हरी झंडी.

सेना (Indian Army) उत्तरी सीमाओं पर उनकी तैनाती के लिए निजी रक्षा प्रमुख लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) से 100 और के9 वज्र ट्रैक्ड सेल्फ प्रोपेल्ड हॉवित्जर ऑर्डर करने के लिए तैयार है. सेना स्वदेशी उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) 155 मिमी / 52 कैलिबर हॉवित्जर के शेष परीक्षणों को भी तेजी से ट्रैक करने की कोशिश कर रही है, जिनका उपयोग स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर औपचारिक फायरिंग के लिए किया गया था.

के-9 'वज्र' (K9 Vajra) गन सिस्टम भारत के पश्चिम में पाकिस्तानी सीमा के पास गर्म और शुष्क रेगिस्तानी इलाकों में किले बंदी के लिए तैनात की गई थी. इस बार इसी तोप का इस्तेमाल स्वतंत्रता दिवस पर रस्मी फायरिंग के लिए किया गया था. यह तोप करीब 50 किमी दूर दुश्मन के ठिकाने को तबाह कर सकती है. मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक 100 और 155 एमएम/52 कैलिबर वज्र के लिए नया ऑर्डर दिया जाएगा, जिसे गुजरात में L&T के कारखाने में स्वदेशी तरीके से बनाया जा रहा है. 2017 में L&T को 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत 100 के9 वज्र बनाने के लिए 4500 करोड़ का कांट्रैक्ट मिला था. इसके लिए दक्षिण कोरियाई कंपनी Hanwha Corporation के साथ तकनीकी ट्रांसफर के लिए भी हस्ताक्षर हुए थे.

लद्दाख की सीमा पर बढ़ेगी वज्र की तैनाती, 50 किमी दूर चीनी सेना के उड़ा देगी परखच्चे
पहाड़ी इलाके में तैनात के के-9 'वज्र'.

पढ़ें: भारतीय सेना ने चीन से लगी सीमाओं पर तैनात किए कई तरह के रॉकेट और तोपें

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, L&T के अधिकारी ने बताया कि उन्हें रक्षा मंत्रालय से 100 और वज्रों का ऑर्डर देने की मंजूरी मिल गई है. प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जल्द ही एलएंडटी को जारी किया जाएगा जिसके बाद लागत पर बातचीत की जाएगी. रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि हम इस प्रक्रिया को तेजी से ट्रैक करेंगे और उम्मीद है कि जल्द ही डिलीवरी शुरू हो जाएगी. सूत्र ने कहा कि के-9 'वज्र' गन सिस्टम का जब सेना ने 2017 में आदेश देने से पहले परीक्षण किया था, तो इसे रेगिस्तान में किया गया था, न कि उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए. दुर्लभ वातावरण और अत्यधिक ठंड में के-9 'वज्र' गन सिस्टम के सिस्टम अलग तरह से काम करते हैं. जब लद्दाख संकट शुरू हुआ, तो हमें अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा. हमने इन तोपों को परीक्षण के लिए लद्दाख में रखा और उन्होंने हमारी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए अच्छा प्रदर्शन किया.

पढ़ें: क्वांटम तकनीक से सैन्य संचार सुरक्षा को अभेद्य बनाने की तैयारी में भारतीय सेना

सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में तीन के-9 'वज्र' गन सिस्टम को पूर्वी लद्दाख में तैनात किया गया था. इन तोपों को विंटराइजेशन किट से लैस किया गया था. जो कि के-9 'वज्र' गन सिस्टम को उप-शून्य तापमान में काम करने में सक्षम बनाता था. विंटराइजेशन में मूल रूप से बैटरी, तेल, लुब्रिकेंट्स आदि का ध्यान रखना शामिल है ताकि वे अत्यधिक तापमान में जम न जाएं. क्योंकि जैसा बताया गया इन के-9 'वज्र' गन सिस्टम को रेगिस्तान में संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था.

अधिकारी ने बताया कि यह प्रयोग सफल साबित हुआ. के-9 'वज्र' गन सिस्टम ने अपनी ताकत साबित की जिसके बाद सेना ने अपनी मारक क्षमता बढ़ाने के लिए पूर्वी लद्दाख में इन तोपों की एक पूरी रेजिमेंट जो कि 20 तोपों की होती है तैनात की. अधिकारी ने बताया कि हम मौजूदा 100 वज्रों के लिए पहले ही विंटराइजेशन किट खरीद चुके हैं. जो नये तोप आयेंगे वे विंटराइजेशन किट के साथ आएंगे. विंटराइजेशन किट में विशेष तेल, ग्रीस, हीटिंग सिस्टम और बंदूक की आग और नियंत्रण प्रणाली में छोटे बदलाव सहित नौ आइटम शामिल हैं.

सेना से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि संभावित युद्धक्षेत्र की आवश्यकताओं के साथ लीग में रखते हुए, भारतीय सेना ने पहले से ही लोइटरिंग मुनिशन सिस्टम को अनुबंधित किया है, जिससे हमारी निगरानी, ​​लक्ष्य प्राप्ति और सटीक स्ट्राइक क्षमता में वृद्धि हुई है. हम स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित, उन्नत लोइटरिंग वेपन सिस्टम को खरीदने की प्रक्रिया में हैं. मंत्रालय के सूत्र ने कहा कि उन्हें उद्योग से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है. कई फर्मों ने हथियार प्रणाली के निर्माण की अपनी क्षमता व्यक्त की है.

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