बहराइच (उप्र) : थारू जनजाति संस्कृति को आकर्षण का केन्द्र बनाकर बहराइच की नेपाल सीमा से सटे एक थारू बहुल गांव को सरकार की 'वन डिस्ट्रिक्ट वन ईको टूरिज्म स्पॉट' योजना के तहत वन विभाग द्वारा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा.
बहराइच के प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) मनीष सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया कि 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' की तर्ज पर उप्र सरकार की 'वन डिस्ट्रिक्ट वन ईको टूरिज्म स्पॉट' योजना है. योजना के तहत पर्यटन एवं ग्रामीण विकास थीम पर प्रदेश के जिलों व वन संभागों में पर्यावरण पर्यटन केंद्र विकसित कर देशी विदेशी पर्यटकों को प्रकृति के नजदीक लाया जा रहा है.
डीएफओ ने बताया कि प्राकृतिक संपदा से भरे पूरे, नेपाल सीमावर्ती थारू जनजाति बहुल गांव बलईगांव के इलाके को चुना गया है. यहां आस-पास के सुरम्य जंगलों में गहरे तालाब हैं. जंगल के एक जोन में पेड़ नहीं हैं इसलिए जंगल काटे बगैर पर्यटन सुविधाओं का विकास हो सकता है. प्राकृतिक सौंदर्य के साथ इस क्षेत्र में चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, लकड़बग्घा व तेंदुए के नियमित प्रवास के अलावा कभी कभी बाघ की भी आवाजाही देखी गयी है.
सिंह ने बताया कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वन नीति के अनुसार मार्ग, ठहरने व अन्य आवश्यक सुविधाओं का विकास किया जा रहा है. ग्रीन बेल्ट में 'नेचर वाक ट्रैक' व टूरिस्ट पार्क बनेगा. तालाब को इस तरह से विकसित किया जाएगा कि यहां साइबेरियन बर्ड्स आकर्षित हों और पर्यटकों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रजातियों के विभिन्न पक्षी झुंड उड़ान भरते दिखाई दें.
प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि भारत नेपाल सीमा सड़क परियोजना के तहत सीमा पर सड़क निर्माण शुरू हो चुका है. सड़क पूरी होने के साथ ही टूरिस्ट स्पाट भी शुरू हो जाएगा.
पढ़ें :- पर्यटन, चारधाम से जुड़े लोगों की मदद के लिए 200 करोड़ रुपये का पैकेज
उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में सरकार दो करोड़ रूपये खर्च करेगी. यहां 10 किलोमीटर लम्बा सफारी ट्रैक, चार थारू हट व जंगल सफारी हेतु ट्रेंड गाइडों व चालकों से लैस विशेष रूप से तैयार की गयी चार जिप्सी गाड़ियां होंगी. खानपान के लिए थारू कैंटीन होगी जहां पर्यटक थारू संस्कृति वाले परंपरागत भोजन का स्वाद ले सकेंगे. 'यूपी ईको टूरिज्म कारपोरेशन' पर्यटन स्थल का संचालन करेगा.
उन्होंने बताया कि बलईगांव की मार्केट में नेपाल से हजारों नागरिक रोजाना कारोबार व खरीदारी करने आते हैं. गांव का रहन सहन व जीवन शैली नेपालियों जैसी होने के कारण हमारा मुख्य ध्येय नेपाली पर्यटकों को आकर्षित करना है. साथ ही आसपास के पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटक भी बलई गांव ईको टूरिज्म स्पॉट का आनंद लेने आएंगे.
(पीटीआई-भाषा)