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गौरेला पेंड्रा मरवाही में हाथियों को भगाने के लिए ग्रामीणों ने मशाल को जरिया बनाया

गौरेला पेंड्रा मरवाही में हाथियों का आतंक बना हुआ है. मरवाही वन मंडल और कटघोरा वन मंडल के सीमावर्ती क्षेत्र पेंड्रा और पसान में हाथियों का उत्पात जारी है. 22 हाथियों के समूह ने पिछले लगभग 1 सप्ताह से पसान के खमरिया गांव में अपना डेरा जमा रखा है. हाथियों को भगाने के लिए ग्रामीणों ने पटाखे और मशाल को जरिया बनाया है. वहीं ग्रामीणों ने वन विभाग को निष्क्रिय बताया है.

terror of elephants in gaurela pendra marwahi
गौरेला पेंड्रा मरवाही में हाथियों का आतंक
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Published : Aug 22, 2022, 1:05 PM IST

Updated : Aug 22, 2022, 1:30 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही: हाथियों के उत्पात से ग्रामीणों की खड़ी फसल चौपट हो गई है. ग्रामीण अपने परिवार की महिलाओं और बच्चों को हाथियों से सुरक्षित रखने के लिए दूसरे गावों में शरण ले रहे हैं. अब स्थिति ये है कि लोग अपने घरों में रखे अनाजों को हाथियों से बचाने के लिए दूसरी जगह भेज रहे हैं. ग्रामीणों ने वन अमले को निष्क्रिय बताया है. ग्रामीणों को कहना है कि वे हाथियों को अपने गांव से खदेड़ने के लिए पटाखों और मशालों का उपयोग कर रहे हैं. हालांकि यह उपाय ग्रामीणों के लिए जानलेवा भी है.

गौरेला पेंड्रा मरवाही में हाथियों का आतंक

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों की महाहड़ताल, सरकारी दफ्तरों में कामकाज रहेगा ठप

इन वन मंडलों में हाथी का उत्पात: इन दिनों मरवाही वन मंडल और कटघोरा वन मंडल के सीमावर्ती क्षेत्र पेंड्रा और पसान वन परिक्षेत्र के सीमावर्ती गांव में हाथियों का उत्पात लगातार जारी है. 22 हाथियों का समूह पिछले लगभग 1 सप्ताह से पसान के खमरिया गांव में डेरा जमाए हुए है. हाथी दिन में तो एक स्थान पर रहते हैं लेकिन रात होते ही हाथी ग्रामीण इलाकों में पहुंच जाते हैं. हाथी लोगों के घरों में रखे अनाजों को चट कर जाते हैं. ऐसे में हाथी के आगे ग्रामीण बेबस नजर आ रहे हैं.

रात भर जगने को मजबूर ग्रामीण: ग्रामीणों को डर है कि हाथी अगर उनके अनाज को खा जाएगा तो आने वाले दिनों में इनके पास खाने पीने की समस्या होने लगेगी. हालांकि हाथियों के समूह ने पिछले सप्ताह भर में ग्रामीणों की खेतों में खड़ी फसल और साग सब्जी के साथ घर के मवेशियों को भी काफी नुकसान पहुंचाया है. हाथियों के उत्पात से सीमावर्ती वन क्षेत्रों के लगभग आधा दर्जन से अधिक गांव के लोग काफी प्रभावित हैं. ग्रामीण रतजगा करने के लिए मजबूर हैं.

मशाल के सहारे हाथियों को भगा रहे: वहीं ग्रामीण हाथियों से निपटने में वन विभाग को निष्क्रिय बता रहे हैं. अब ग्रामीणों ने सैकड़ों की संख्या में हाथियों को अपने गांव से खदेड़ने के लिए खुद कमर कस ली है. सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जंगल में उतरे और हाथियों को जंगल से खदेड़ा. इसके लिए ग्रामीणों ने आपस में चंदा कर पटाखे और मशाल का सहारा लिया.

रेंजर धर्मेंद्र चौहान की प्रतिक्रिया: पिछले दिनों प्रदेश के वन मंत्री ने साफ साफ यह कहा था कि हाथी प्रभावित क्षेत्रों में हाथियों के साथ छेड़छाड़ ना किया जाए. किसी प्रकार से पटाखे और मसाल का उपयोग कर हाथियों को आक्रोशित ना करें. कोई ऐसा करता है तो उस पर कार्रवाई करें. कोरबा जिले के पसान वन परिक्षेत्र के प्रभारी रेंजर धर्मेंद्र चौहान ने कहा कि ''पटाखे और मशाल से हाथियों को भगाने की कोई घटना नहीं हुई है. खमरिया गांव से लगे जंगल में हाथी घूम रहे हैं. हमारा स्टाफ और वन प्रबंधन समिति और ग्रामीणों का सहयोग लिया जा रहा है. कोशिश की जा रही है कि हाथी गांव की तरफ न आए. लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि हाथियों से छेड़खानी न करें. लोगों को हम जागरूक कर रहे हैं.''

गौरेला पेंड्रा मरवाही: हाथियों के उत्पात से ग्रामीणों की खड़ी फसल चौपट हो गई है. ग्रामीण अपने परिवार की महिलाओं और बच्चों को हाथियों से सुरक्षित रखने के लिए दूसरे गावों में शरण ले रहे हैं. अब स्थिति ये है कि लोग अपने घरों में रखे अनाजों को हाथियों से बचाने के लिए दूसरी जगह भेज रहे हैं. ग्रामीणों ने वन अमले को निष्क्रिय बताया है. ग्रामीणों को कहना है कि वे हाथियों को अपने गांव से खदेड़ने के लिए पटाखों और मशालों का उपयोग कर रहे हैं. हालांकि यह उपाय ग्रामीणों के लिए जानलेवा भी है.

गौरेला पेंड्रा मरवाही में हाथियों का आतंक

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इन वन मंडलों में हाथी का उत्पात: इन दिनों मरवाही वन मंडल और कटघोरा वन मंडल के सीमावर्ती क्षेत्र पेंड्रा और पसान वन परिक्षेत्र के सीमावर्ती गांव में हाथियों का उत्पात लगातार जारी है. 22 हाथियों का समूह पिछले लगभग 1 सप्ताह से पसान के खमरिया गांव में डेरा जमाए हुए है. हाथी दिन में तो एक स्थान पर रहते हैं लेकिन रात होते ही हाथी ग्रामीण इलाकों में पहुंच जाते हैं. हाथी लोगों के घरों में रखे अनाजों को चट कर जाते हैं. ऐसे में हाथी के आगे ग्रामीण बेबस नजर आ रहे हैं.

रात भर जगने को मजबूर ग्रामीण: ग्रामीणों को डर है कि हाथी अगर उनके अनाज को खा जाएगा तो आने वाले दिनों में इनके पास खाने पीने की समस्या होने लगेगी. हालांकि हाथियों के समूह ने पिछले सप्ताह भर में ग्रामीणों की खेतों में खड़ी फसल और साग सब्जी के साथ घर के मवेशियों को भी काफी नुकसान पहुंचाया है. हाथियों के उत्पात से सीमावर्ती वन क्षेत्रों के लगभग आधा दर्जन से अधिक गांव के लोग काफी प्रभावित हैं. ग्रामीण रतजगा करने के लिए मजबूर हैं.

मशाल के सहारे हाथियों को भगा रहे: वहीं ग्रामीण हाथियों से निपटने में वन विभाग को निष्क्रिय बता रहे हैं. अब ग्रामीणों ने सैकड़ों की संख्या में हाथियों को अपने गांव से खदेड़ने के लिए खुद कमर कस ली है. सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जंगल में उतरे और हाथियों को जंगल से खदेड़ा. इसके लिए ग्रामीणों ने आपस में चंदा कर पटाखे और मशाल का सहारा लिया.

रेंजर धर्मेंद्र चौहान की प्रतिक्रिया: पिछले दिनों प्रदेश के वन मंत्री ने साफ साफ यह कहा था कि हाथी प्रभावित क्षेत्रों में हाथियों के साथ छेड़छाड़ ना किया जाए. किसी प्रकार से पटाखे और मसाल का उपयोग कर हाथियों को आक्रोशित ना करें. कोई ऐसा करता है तो उस पर कार्रवाई करें. कोरबा जिले के पसान वन परिक्षेत्र के प्रभारी रेंजर धर्मेंद्र चौहान ने कहा कि ''पटाखे और मशाल से हाथियों को भगाने की कोई घटना नहीं हुई है. खमरिया गांव से लगे जंगल में हाथी घूम रहे हैं. हमारा स्टाफ और वन प्रबंधन समिति और ग्रामीणों का सहयोग लिया जा रहा है. कोशिश की जा रही है कि हाथी गांव की तरफ न आए. लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि हाथियों से छेड़खानी न करें. लोगों को हम जागरूक कर रहे हैं.''

Last Updated : Aug 22, 2022, 1:30 PM IST
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