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26 सप्ताह के गर्भ को खत्म करने की अनुमति मांगने पर सीजेआई ने कहा, 'हम किसी बच्चे को मारने की इजाजत कैसे दे सकते हैं'

SC on Termination Of 26 Week Pregnancy, CJI on pregnancy termination, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 26 सप्ताह के गर्भ को खत्म करने की अनुमति देने वाले अपने आदेश को वापस लेने की मांग करने वाली केंद्र सरकार की याचिका पर कहा कि हम एक बच्चे को नहीं मार सकते. पढ़िए पूरी खबर.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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By PTI

Published : Oct 12, 2023, 4:19 PM IST

Updated : Oct 12, 2023, 4:50 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दो बच्चों की मां, एक विवाहित महिला को 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने वाले अपने आदेश को वापस लेने की मांग करने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को कहा कि हम एक बच्चे को नहीं मार सकते. यह स्पष्ट करते हुए कि शीर्ष अदालत को अजन्मे बच्चे, एक जीवित और व्यवहार्य भ्रूण के अधिकारों को उसकी मां के निर्णयात्मक स्वायत्तता के अधिकार के साथ संतुलित करना है.

इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और उसके वकील से महिला को गर्भावस्था को कुछ और हफ्तों तक बनाए रखने की संभावना के बारे में बात करने के लिए कहा. पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे, ने 27 वर्षीय महिला की ओर से पेश वकील से पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि हम एम्स के डॉक्टरों को भ्रूण को रोकने के लिए कहें?

जब वकील ने नहीं में जवाब दिया, तो पीठ ने कहा कि जब महिला ने 24 सप्ताह से अधिक समय तक इंतजार किया है, तो क्या वह कुछ और हफ्तों तक भ्रूण को अपने पास नहीं रख सकती है, ताकि एक स्वस्थ बच्चे के जन्म की संभावना हो. पीठ ने मामले की सुनवाई शुक्रवार सुबह साढ़े दस बजे तय की है. मामला सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष तब आया जब बुधवार को दो न्यायाधीशों की पीठ ने महिला को 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने के अपने 9 अक्टूबर के आदेश को वापस लेने की केंद्र की याचिका पर खंडित फैसला सुनाया.

शीर्ष अदालत ने 9 अक्टूबर को महिला को यह ध्यान में रखते हुए गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन करने की अनुमति दी थी कि वह अवसाद से पीड़ित थी और भावनात्मक, आर्थिक और मानसिक रूप से तीसरे बच्चे को पालने की स्थिति में नहीं थी.

ये भी पढ़ें - Supreme Court News : सात और नौ न्यायाधीशों वाली पीठ को लेकर साझा आदेश पारित करेगी शीर्ष अदालत

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दो बच्चों की मां, एक विवाहित महिला को 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने वाले अपने आदेश को वापस लेने की मांग करने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को कहा कि हम एक बच्चे को नहीं मार सकते. यह स्पष्ट करते हुए कि शीर्ष अदालत को अजन्मे बच्चे, एक जीवित और व्यवहार्य भ्रूण के अधिकारों को उसकी मां के निर्णयात्मक स्वायत्तता के अधिकार के साथ संतुलित करना है.

इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और उसके वकील से महिला को गर्भावस्था को कुछ और हफ्तों तक बनाए रखने की संभावना के बारे में बात करने के लिए कहा. पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे, ने 27 वर्षीय महिला की ओर से पेश वकील से पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि हम एम्स के डॉक्टरों को भ्रूण को रोकने के लिए कहें?

जब वकील ने नहीं में जवाब दिया, तो पीठ ने कहा कि जब महिला ने 24 सप्ताह से अधिक समय तक इंतजार किया है, तो क्या वह कुछ और हफ्तों तक भ्रूण को अपने पास नहीं रख सकती है, ताकि एक स्वस्थ बच्चे के जन्म की संभावना हो. पीठ ने मामले की सुनवाई शुक्रवार सुबह साढ़े दस बजे तय की है. मामला सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष तब आया जब बुधवार को दो न्यायाधीशों की पीठ ने महिला को 26 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने के अपने 9 अक्टूबर के आदेश को वापस लेने की केंद्र की याचिका पर खंडित फैसला सुनाया.

शीर्ष अदालत ने 9 अक्टूबर को महिला को यह ध्यान में रखते हुए गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन करने की अनुमति दी थी कि वह अवसाद से पीड़ित थी और भावनात्मक, आर्थिक और मानसिक रूप से तीसरे बच्चे को पालने की स्थिति में नहीं थी.

ये भी पढ़ें - Supreme Court News : सात और नौ न्यायाधीशों वाली पीठ को लेकर साझा आदेश पारित करेगी शीर्ष अदालत

Last Updated : Oct 12, 2023, 4:50 PM IST
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