हैदराबाद : तेलंगाना उच्च न्यायालय (Telangana High Court) ने आज एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कोटि के सरकारी अस्पताल को 16 साल की दुष्कर्म पीड़िता का गर्भपात करने का निर्देश दिया. साथ ही अदालत ने विशेषज्ञ चिकित्सा दल की देखरेख में लड़की का गर्भपात करने का आदेश दिया है. वहीं, उच्च न्यायालय ने भ्रूण का डीएनए, ब्लड सैम्पल और टीसू संरक्षित रखने का भी आदेश दिया है.
जस्टिस बी विजय सेन रेड्डी ने गर्भपात के निर्देश की याचिका पर फैसला सुनाया कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (Medical Termination of Pregnancy Act) के तहत भ्रूण की उम्र 24 सप्ताह से कम होने पर गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती है, लेकिन भ्रूण की उम्र यदि अधिक हुई तो संवैधानिक अदालत गर्भपात का आदेश दे सकते हैं.
जस्टिस रेड्डी ने कहा कि दुष्कर्म पीड़िता को संवैधानिक रूप से गर्भपात का अधिकार है. उन्होंने कहा कि यदि 16 साल की लड़की मानसिक तनाव के साथ गर्भधारण करेगी, तो नवजात स्वस्थ नहीं होगा. साथ ही गर्भवती को चिकित्सा समस्याएं भी होने की अधिक संभावना है. इस संदर्भ में अजन्मे बच्चे के जीवन को लड़की के जीवन से श्रेष्ठ नहीं देखा जा सकता है. महिला का स्वाभिमान और स्वस्थ जीवन संवैधानिक रूप से निहित अधिकार हैं. अवांछित गर्भधारण, दुष्कर्म या यौन शोषण के कारण होने वाली गर्भावस्था को कानूनी रूप से रोका जा सकता है.
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बता दें कि 16 साल की इस लड़की के साथ उसी के परिवार के एक सदस्य ने दष्कर्म किया था. इतना ही नहीं, दुष्कर्म के आरोपी ने इस घटना के बारे में किसी को खबर होने पर लड़की को जान से मारने की धमकी दी थी. इस बीच लड़की की हालत बिगड़ने लगी. उसके परिवार लड़की को कोटि अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टर ने बताया कि वह 25 सप्ताह की गर्भवती है.
इस बारे में लड़की से जब पूछताछ हुई, तब उसने बताया कि उनके परिवार का एक सदस्य अंजनेयुलु ने उसके साथ मुंह काला किया था. लड़की के परिवार ने इसकी शिकायत थाने में की. वहीं, पीड़िता ने जब अस्पताल में अपना गर्भपात कराना चाहा, तब उसका गर्भ नष्ट करने से डॉक्टर ने इनकार कर दिया.
इस मामले को लेकर पीड़िता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और उसका गर्भपात कराने का अस्पताल को निर्देश देने की मांग की. पूरी जांच के बाद जस्टिस बी विजय सेन रेड्डी ने विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल को लड़की का गर्भपात कराने का निर्देश दिया.