हैदराबाद : तेलंगाना बजट को लेकर प्रदेश सरकार और राज्यपाल के बीच का विवाद अब समाप्त हो गया है. राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में दायर याचिका वापस ले ली है, जिसमें उन्होंने 2023-24 के लिए राज्य के बजट को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल को निर्देश देने के लिए अदालत से निवेदन किया था. गौरतलब है कि राज्य विधानसभा का बजट सत्र 3 फरवरी से शुरू होने वाला है और राज्यपाल ने अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी थी. जिसकी वजह से के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली सरकार ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
अदालत ने राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने महाधिवक्ता से पूछा कि अदालत राज्यपाल को नोटिस कैसे दे सकती है. वह जानना चाहती है कि अदालत को सरकार और एक संवैधानिक संस्था के बीच विवाद में क्यों घसीटा जा रहा है. सरकार की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि जब संविधान का उल्लंघन होता है तो अदालतें हस्तक्षेप कर सकती हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों का हवाला दिया.
सरकार ने अदालत को सूचित किया कि राज्य सरकार ने 21 जनवरी को राज्यपाल को बजट का मसौदा भेजा था, लेकिन उन्होंने अभी तक इसे मंजूरी नहीं राज्यपाल को वित्त विधेयकों को मंजूरी देनी चाहिए. बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण की व्यवस्था की गई थी, इसकी सूचना सरकार को राजभवन से मिली थी. हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि सरकार और राजभवन के दोनों वकील इस पर आपसी चर्चा कर समाधान निकालें.
बता दें कि तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार के बीच लड़ाई हाईकोर्ट तक पहुंच गई थी. राज्य सरकार ने 2023-24 के लिए राज्य के बजट को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल को निर्देश देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया. सरकार ने पिछले साल राज्यपाल के पारंपरिक अभिभाषण के बिना बजट पेश किया था, जिस पर उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. बीआरएस सरकार ने इस आधार पर अपने कदम का बचाव किया कि यह पिछले सत्र की निरंतरता थी. विधानसभा और विधान परिषद का बजट सत्र 3 फरवरी से शुरू होने वाला है. केवल चार दिन शेष रहने और राज्यपाल से आने वाले बजट को मंजूरी नहीं मिलने के कारण, सरकार ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.