हैदराबाद : राष्ट्र के विकास में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है. प्रत्येक इंसान को अपने जीवन के उस शिक्षक को याद करना चाहिए, जिन्होंने उनकी जीवन यात्रा को दिशा दिलाई. ये बातें उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू (Vice President Venkaiah Naidu) ने यहां शिक्षक दिवस (Teacher's day) पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में कहीं.
उन्होंने अपने शिक्षकों को याद करते हुए राष्ट्र के विकास (Development of nation) में शिक्षकों की भूमिका पर संबोधित किया. उन्होंने छात्र की सफलता के पीछ शिक्षक के प्रयास पर जोर देकर कहा कि उन्हें अपने जीवन में सफलता शिक्षकों के कारण मिली है. उनके परिवार का कोई भी सदस्य उच्च शिक्षित नहीं है. परिवार में केवल वही हैं, जिन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की. इसका श्रेय उन्होंने अपने शिक्षक को दिया और कहा कि हम अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन का अनुसरण कर ही उन्हें उचित उपहार दे सकते हैं.
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कोरोना काल में चिकित्सकों की निःस्वार्थ सेवा के लिए उन्हें बधाई देते हुए कहा कि चिकित्सकों ने इस घड़ी में अपनी जान जोखिम में डाला और मरीजों की हिम्मत बढ़ाई.
उन्होंने अपनी पत्नी के इलाज में चिकित्सकों की भूमिका पर कहा कि मेरी पत्नी मेनोपॉज के समय में कापी परेशान हुई. मैं उसे इलाज के लिए मुंबई के अस्पताल ले आया. यहां डॉक्टर ने कोई दवा नहीं दी, इसके बावजूद वह ठीक हो गई, क्योंकि डॉक्टर ने उन्हें हिम्मत दी. चिकित्सकों को इलाज के साथ-साथ लोगों को बीमारियों के बारे में भी जागरूक करना चाहिए.
उन्होंने मेडिकल कॉलेजों की वृद्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसके लिए उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को धन्यवाद दिया.
'भारत के पुन: विश्व गुरु बनने का समय आ गया है'
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के पुन: विश्व गुरु बनने और ज्ञान एवं नवोन्मेष के केंद्र के रूप में उभरने का समय आ गया है. उन्होंने कहा कि देश को न केवल फलने-फूलने के लिए प्रयास करने चाहिए बल्कि भावी पीढ़ी के लिए अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को भी सहेजना चाहिए.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर फेसबुक पर एक पोस्ट में नायडू ने कहा कि हममें से प्रत्येक व्यक्ति, जीवन में अपने करियर विकल्पों के लिए बहुत हद तक हमारे शिक्षकों की सलाह और उनके मार्गदर्शन के लिए आभारी है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत प्राचीन काल में अध्ययन का एक प्रतिष्ठित केंद्र था. उन्होंने कहा कि इसे विश्व गुरु के नाम से जाना जाता था जहां विश्व के अलग-अलग कोनों से विभिन्न विषयों का ज्ञान पाने के इच्छुक लोग आते थे. लोग अपने बुद्धि को प्रखर करने, नया ज्ञान प्राप्त करने, अपने कौशल को निखारने और समझ के आयामों को व्यापक करने के लिए दूर-दूर से यहां आते थे.
उन्होंने कहा कि चरक संहिता, अर्थशास्त्र, शुक्रनीतिसार और पतंजलि के योग सूत्र ऐसे प्राचीन ग्रंथ हैं, जो इस बात के साक्ष्य हैं कि प्राचीन काल का भारत प्रचुर ज्ञान का भंडार था. उस समय की शिक्षा प्रणाली औपचारिक और अनौपचारिक, दोनों तरह की थी और तब किसी के भी सर्वांगीण विकास में गुरुकुलों, पाठशाला और मंदिरों की अहम भूमिका होती थी.
नायडू ने कहा कि इसके मूल में थी उस समय की अनूठी गुरु-शिष्य परंपरा जिसमें विद्वान गुरु ज्ञान के खजाने से छात्रों को लाभान्वित करते थे और इसके साथ ही उत्सुक, अनुशासित तथा समर्पित छात्र को जीवन के आवश्यक पाठ भी सिखाते थे.
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी-2020) का उद्देश्य पूरी शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करना है और नई व्यवस्था बनाना है जो 21वीं सदी की शिक्षा संबंधी आवश्यकताओं के अनुरूप हों तथा जिनका आधार भारत की परंपराएं और मूल्य प्रणाली हो.