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कर्नाटक : मांड्या के चाय विक्रेता ने जीता नोबेल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अवॉर्ड

कर्नाटक के मांड्या शहर की सब्जी मंडी में चाय बेचने वाले एक युवक को नोबेल वर्ल्ड रिकॉर्ड अवॉर्ड (Nobel World Records Award) मिला है. उन्हें एक मिनट में 62 किक मारने के लिए यह अवार्ड मिला है.

चाय विक्रेता ने जीता नोबेल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अवॉर्ड
चाय विक्रेता ने जीता नोबेल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अवॉर्ड
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Published : Jun 27, 2021, 6:57 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक के मांड्या शहर की सब्जी मंडी में चाय बेचने वाले एक युवक को नोबेल वर्ल्ड रिकॉर्ड अवॉर्ड (Nobel World Records Award) मिला है. वह टोरनैडो किक श्रेणी (Tornado Kick category) में कम समय में सबसे ज्यादा किक मारने वाले भारतीय बन गए हैं.

शहर के गायत्री कॉलोनी (Gayatri Colony ) निवासी राजन्ना व वरलक्ष्मी (Rajanna and Varalakshmi ) के पुत्र आर शशांक (R.Shashank) ने यह उपलब्धि हासिल की है. उन्हें बहुत कम उम्र से ओशुकाई मार्शल आर्ट्स अकादमी (Oshukai Martial Arts Academy) के डॉ एस कृष्ण मूर्ति (Dr. S. Krishna Murthy) द्वारा प्रशिक्षित किया गया था.

उन्होंने शारदा पब्लिक स्कूल (Sharada Public Schoo) में SSLC में भाग लिया और बाद में मास्टर आर्ट में डिप्लोमा (Diploma in Master Art) में प्रवेश किया. वह बचपन से ही कराटे का अभ्यास कर रहे हैं. राज्य स्तर पर तीन बार और राष्ट्रीय स्तर पर दो बार प्रतिस्पर्धा कर चुके शशांक ने 2019 में रजत पदक (silver medal ) जीता था.

मांड्या के चाय विक्रेता ने जीता नोबेल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अवॉर्ड

इसके बाद उन्होंने कराटे सीखने का फैसला किया. वह कराटे में कुछ हासिल करने की इच्छा रखते थे. शशांक ने टोरनैडो किक के लिए प्रशिक्षण शुरू किया. हालांकि इस दौरान उन्हें आर्थिक समस्या (economic problem) का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य तक पहुंचने का निर्णय नहीं बदला. कोरोना की पहली लहर (first wave of Corona) के दौरान पिता के बीमार होने के बाद शशांक ने चाय बेचना शुरू किया.

वह रोज सुबह 3 बजे से शाम 5 बजे तक चाय बेचते थे, फिर कराटे का अभ्यास करते थे. वह हर शाम को तीन घंटे की ट्रेनिंग करते. टोरनैडो किक ट्रेनिंग आसान नहीं होती, क्योंकि इसके लिए पूरे शरीर को 540 डिग्री पर घुमाना होता है. किक को एक सेकेंड लिए भी रोकना नहीं होता.

पढ़ें - पश्चिम बंगाल : घर से आ रही थी बदबू, दरवाजा तोड़ अंदर पहुंची पुलिस तो मंजर देख रह गई दंग

अभ्यास के दौरान थकान, उल्टी और चक्कर आने के बावजूद शशांक ने प्रशिक्षण बंद नहीं किया. प्रारंभ में 10 किक प्रति मिनट के लिए अभ्यास किया और 60 किक प्रति मिनट को पार करने के लिए तैयारी की.

उत्तर प्रदेश में नोबेल विश्व रिकॉर्ड देने वाली संस्था से संपर्क करने पर उन्हें वीडियो बनाकर भेजने का नोटिस मिला. वीडियो 10 अप्रैल को फिल्माया गया था.

शशांक ने एक मिनट में 62 किक मारने का वीडियो एजेंसी को भेजा था. वीडियो देखने के बाद शशांक को 28 जून को पुरस्कार और पदक मिला. वीडियो को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) में भी भेजा गया था.

बेंगलुरु : कर्नाटक के मांड्या शहर की सब्जी मंडी में चाय बेचने वाले एक युवक को नोबेल वर्ल्ड रिकॉर्ड अवॉर्ड (Nobel World Records Award) मिला है. वह टोरनैडो किक श्रेणी (Tornado Kick category) में कम समय में सबसे ज्यादा किक मारने वाले भारतीय बन गए हैं.

शहर के गायत्री कॉलोनी (Gayatri Colony ) निवासी राजन्ना व वरलक्ष्मी (Rajanna and Varalakshmi ) के पुत्र आर शशांक (R.Shashank) ने यह उपलब्धि हासिल की है. उन्हें बहुत कम उम्र से ओशुकाई मार्शल आर्ट्स अकादमी (Oshukai Martial Arts Academy) के डॉ एस कृष्ण मूर्ति (Dr. S. Krishna Murthy) द्वारा प्रशिक्षित किया गया था.

उन्होंने शारदा पब्लिक स्कूल (Sharada Public Schoo) में SSLC में भाग लिया और बाद में मास्टर आर्ट में डिप्लोमा (Diploma in Master Art) में प्रवेश किया. वह बचपन से ही कराटे का अभ्यास कर रहे हैं. राज्य स्तर पर तीन बार और राष्ट्रीय स्तर पर दो बार प्रतिस्पर्धा कर चुके शशांक ने 2019 में रजत पदक (silver medal ) जीता था.

मांड्या के चाय विक्रेता ने जीता नोबेल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अवॉर्ड

इसके बाद उन्होंने कराटे सीखने का फैसला किया. वह कराटे में कुछ हासिल करने की इच्छा रखते थे. शशांक ने टोरनैडो किक के लिए प्रशिक्षण शुरू किया. हालांकि इस दौरान उन्हें आर्थिक समस्या (economic problem) का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य तक पहुंचने का निर्णय नहीं बदला. कोरोना की पहली लहर (first wave of Corona) के दौरान पिता के बीमार होने के बाद शशांक ने चाय बेचना शुरू किया.

वह रोज सुबह 3 बजे से शाम 5 बजे तक चाय बेचते थे, फिर कराटे का अभ्यास करते थे. वह हर शाम को तीन घंटे की ट्रेनिंग करते. टोरनैडो किक ट्रेनिंग आसान नहीं होती, क्योंकि इसके लिए पूरे शरीर को 540 डिग्री पर घुमाना होता है. किक को एक सेकेंड लिए भी रोकना नहीं होता.

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अभ्यास के दौरान थकान, उल्टी और चक्कर आने के बावजूद शशांक ने प्रशिक्षण बंद नहीं किया. प्रारंभ में 10 किक प्रति मिनट के लिए अभ्यास किया और 60 किक प्रति मिनट को पार करने के लिए तैयारी की.

उत्तर प्रदेश में नोबेल विश्व रिकॉर्ड देने वाली संस्था से संपर्क करने पर उन्हें वीडियो बनाकर भेजने का नोटिस मिला. वीडियो 10 अप्रैल को फिल्माया गया था.

शशांक ने एक मिनट में 62 किक मारने का वीडियो एजेंसी को भेजा था. वीडियो देखने के बाद शशांक को 28 जून को पुरस्कार और पदक मिला. वीडियो को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) में भी भेजा गया था.

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