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कोविड के कारण भारत में टीबी के केस में इकतालीस फीसद की कमी दर्ज : WHO - TB cases in India

डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि वर्तमान में लगभग 4.1 मिलियन लोग टीबी से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें इस बीमारी का पता नहीं चला है या उन्होंने आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय अधिकारियों को इसकी सूचना नहीं दी है. यह आंकड़ा 2019 में 2.9 मिलियन से ऊपर है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन
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Published : Oct 14, 2021, 7:56 PM IST

जिनेवा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2021 ग्लोबल टीबी रिपोर्ट गुरुवार को जारी के अनुसार, कोविड महामारी के कारण 2019 और 2020 के बीच भारत में क्षयरोग (टीबी) के मामलों की रिपोर्टिंग में 41 प्रतिशत की कमी आई है.

भारत के बाद इंडोनेशिया (14 प्रतिशत), फिलीपींस (12 प्रतिशत) और चीन (8 प्रतिशत) शीर्ष चार देश हैं, जिन्होंने 2019 और 2020 के बीच टीबी मामलों में वैश्विक कमी में सबसे अधिक योगदान दिया. इन चार देशों सहित लगभग 16 देशों ने कुल मिलाकर टीबी मामलों में वैश्विक गिरावट का 93 प्रतिशत योगदान दिया.

रिपोर्ट से पता चला है कि नए टीबी मरीजों की संख्या और राष्ट्रीय सरकारों द्वारा रिपोर्ट की जाने वाले मरीजों वालों की संख्या 2020 में 5.8 मिलियन तक गिर गई, जो 2019 में 7.1 मिलियन थी.

डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि वर्तमान में लगभग 4.1 मिलियन लोग टीबी से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें इस बीमारी का पता नहीं चला है या उन्होंने आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय अधिकारियों को इसकी सूचना नहीं दी है. यह आंकड़ा 2019 में 2.9 मिलियन से ऊपर है.

मार्च 2021 में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के एक विश्लेषण से पता चला कि लॉकडाउन और कोविड-19 नियंत्रण उपायों के लिए संसाधनों के डायवर्जन के कारण जनवरी और दिसंबर 2020 के बीच भारत में टीबी के मामलों की रिपोर्टिंग में 25 प्रतिशत की कमी आई है. वर्ष 2019 में, रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या 24.04 लाख थी, जो पिछले वर्षों की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक है, जबकि 2020 में यह संख्या 25 प्रतिशत घटकर 18.02 लाख रह गई.

2021 की डब्ल्यूएचओ ग्लोबल टीबी रिपोर्ट में 197 देशों और क्षेत्रों के रोग प्रवृत्तियों और महामारी की प्रतिक्रिया पर डेटा शामिल है, जिसमें 194 विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य देशों में से 182 शामिल हैं.

रिपोर्ट से पता चलता है कि कोविड-19 महामारी के कारण टीबी से निपटने में वर्षों की वैश्विक प्रगति को धक्का लगा है.

साल 2020 में टीबी से लगभग 1.5 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई, जिसमें 2,14,000 एचआईवी पॉजिटिव मरीज शामिल थे. एक दशक से भी अधिक समय में पहली बार, टीबी से होने वाली मौतों में वृद्धि मुख्य रूप से भारत सहित उन 30 देशों में हुई है, जहां टीबी के सबसे अधिक मामले हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि टीबी सेवाओं तक पहुंच में व्यवधान और संसाधनों में कमी और लॉकडाउन के संदर्भ में देखभाल करने के लिए संघर्ष इसके प्रमुख कारण थे, क्योंकि कई देशों में, मानव, वित्तीय और अन्य संसाधनों को टीबी से कोविड-19 से निपटने के लिए आवंटित किया गया था.

डब्ल्यूएचओ के मॉडल और अनुमान बताते हैं कि 2021 और 2022 में टीबी संक्रमण फैलने और इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बहुत अधिक हो सकती है.

डब्ल्यूएचओ प्रमुख डॉ टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने एक बयान में कहा, 'यह रिपोर्ट हमारे डर की पुष्टि करती है कि महामारी के कारण आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान तपेदिक (क्षयरोग) के खिलाफ वर्षों की प्रगति को नुकसान सकता है.'

उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक खबर है, इसलिए इस बीमारी से प्रभावित लाखों लोगों के निदान, उपचार और देखभाल के लिए निवेश और नवाचार की तत्काल आवश्यकता के लिए एक वैश्विक जागृति लाने की जरूरत है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि टीबी निवारक उपचार के प्रावधान में भी कमी आई. 2020 में करीब 2.8 मिलियन लोगों को उपचार मिला, जो 2019 के बाद से 21 फीसदी की कमी है. इसके अलावा, दवा प्रतिरोधी टीबी के इलाज वाले लोगों की संख्या में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है.

(आईएएनएस)

जिनेवा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2021 ग्लोबल टीबी रिपोर्ट गुरुवार को जारी के अनुसार, कोविड महामारी के कारण 2019 और 2020 के बीच भारत में क्षयरोग (टीबी) के मामलों की रिपोर्टिंग में 41 प्रतिशत की कमी आई है.

भारत के बाद इंडोनेशिया (14 प्रतिशत), फिलीपींस (12 प्रतिशत) और चीन (8 प्रतिशत) शीर्ष चार देश हैं, जिन्होंने 2019 और 2020 के बीच टीबी मामलों में वैश्विक कमी में सबसे अधिक योगदान दिया. इन चार देशों सहित लगभग 16 देशों ने कुल मिलाकर टीबी मामलों में वैश्विक गिरावट का 93 प्रतिशत योगदान दिया.

रिपोर्ट से पता चला है कि नए टीबी मरीजों की संख्या और राष्ट्रीय सरकारों द्वारा रिपोर्ट की जाने वाले मरीजों वालों की संख्या 2020 में 5.8 मिलियन तक गिर गई, जो 2019 में 7.1 मिलियन थी.

डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि वर्तमान में लगभग 4.1 मिलियन लोग टीबी से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें इस बीमारी का पता नहीं चला है या उन्होंने आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय अधिकारियों को इसकी सूचना नहीं दी है. यह आंकड़ा 2019 में 2.9 मिलियन से ऊपर है.

मार्च 2021 में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के एक विश्लेषण से पता चला कि लॉकडाउन और कोविड-19 नियंत्रण उपायों के लिए संसाधनों के डायवर्जन के कारण जनवरी और दिसंबर 2020 के बीच भारत में टीबी के मामलों की रिपोर्टिंग में 25 प्रतिशत की कमी आई है. वर्ष 2019 में, रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या 24.04 लाख थी, जो पिछले वर्षों की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक है, जबकि 2020 में यह संख्या 25 प्रतिशत घटकर 18.02 लाख रह गई.

2021 की डब्ल्यूएचओ ग्लोबल टीबी रिपोर्ट में 197 देशों और क्षेत्रों के रोग प्रवृत्तियों और महामारी की प्रतिक्रिया पर डेटा शामिल है, जिसमें 194 विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य देशों में से 182 शामिल हैं.

रिपोर्ट से पता चलता है कि कोविड-19 महामारी के कारण टीबी से निपटने में वर्षों की वैश्विक प्रगति को धक्का लगा है.

साल 2020 में टीबी से लगभग 1.5 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई, जिसमें 2,14,000 एचआईवी पॉजिटिव मरीज शामिल थे. एक दशक से भी अधिक समय में पहली बार, टीबी से होने वाली मौतों में वृद्धि मुख्य रूप से भारत सहित उन 30 देशों में हुई है, जहां टीबी के सबसे अधिक मामले हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि टीबी सेवाओं तक पहुंच में व्यवधान और संसाधनों में कमी और लॉकडाउन के संदर्भ में देखभाल करने के लिए संघर्ष इसके प्रमुख कारण थे, क्योंकि कई देशों में, मानव, वित्तीय और अन्य संसाधनों को टीबी से कोविड-19 से निपटने के लिए आवंटित किया गया था.

डब्ल्यूएचओ के मॉडल और अनुमान बताते हैं कि 2021 और 2022 में टीबी संक्रमण फैलने और इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बहुत अधिक हो सकती है.

डब्ल्यूएचओ प्रमुख डॉ टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने एक बयान में कहा, 'यह रिपोर्ट हमारे डर की पुष्टि करती है कि महामारी के कारण आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान तपेदिक (क्षयरोग) के खिलाफ वर्षों की प्रगति को नुकसान सकता है.'

उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक खबर है, इसलिए इस बीमारी से प्रभावित लाखों लोगों के निदान, उपचार और देखभाल के लिए निवेश और नवाचार की तत्काल आवश्यकता के लिए एक वैश्विक जागृति लाने की जरूरत है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि टीबी निवारक उपचार के प्रावधान में भी कमी आई. 2020 में करीब 2.8 मिलियन लोगों को उपचार मिला, जो 2019 के बाद से 21 फीसदी की कमी है. इसके अलावा, दवा प्रतिरोधी टीबी के इलाज वाले लोगों की संख्या में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है.

(आईएएनएस)

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