ETV Bharat / bharat

प्रगतिशील दर से हो कर का निर्धारण: जस्टिस रवींद्र भट - जस्टिस रवींद्र भट

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस रवींद्र भट ने कहा है कि व्यक्ति की आय का अधिकतर हिस्सा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के रूप में खर्च नहीं होना चाहिए. कर का निर्धारण सही और संतुलित होना चाहिए.

justice bhat
justice bhat
author img

By

Published : Nov 5, 2021, 8:47 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, जस्टिस रवींद्र भट ने शुक्रवार को कहा कि व्यक्ति की आय का अधिकतर हिस्सा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के रूप में खर्च नहीं होना चाहिए. उच्च आय पर टैक्स का निर्धारण प्रगतिशील ढंग से होना चाहिए.

शीर्ष अदालत के न्यायाधीश जस्टिस रवींद्र भट लेखक असीम चावला की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे. लोगों द्वारा कर से बचने की सामान्य चिंता पर प्रकाश डालते हुए न्यायाधीश ने कहा कि जनता मौजूदा व्यवस्था से परेशान है. यह घोर अन्याय की तरह है. जस्टिस रवींद्र भट ने कहा कि देश अलग-अलग आय पर अलग-अलग टैक्स वसूल करता है.

उन्होंने कहा कि सैद्धान्तिक रूप से आय की अवधारणा और उसका निर्धारण बहुत ही आसान लगता है, लेकिन व्यवहारिक रूप इसे परिभाषित करना बहुत ही मुश्किल है. जस्टिस भट्ट ने कहा कि जब कानूनी परिभाषा आर्थिक तौर पर लोगों के लिए तार्किक रूप से फिट नहीं बैठती हैं तो लोग टैक्स की दरों को कम करने की मांग करते हैं.

उन्होंने कहा कि कुछ व्यक्तियों को कर की खामियों में विशेष रुचि रहती है और उनके द्वारा कर निर्धारण में खामियों का व्यापक प्रचार किया जाता है. अच्छी कर व्यवस्था के लिए जस्टिस रवींद्र भट ने 5 बिन्दुओं को आवश्यक बताया. पहला आर्थिक दक्षता, संशाधनों पर टैक्स सिस्टम का हस्तक्षेप ना हो, दूसरा प्रशासनिक सरलता अर्थात कर प्रणाली सरल होनी चाहिए, तीसरा लचीलापन जिससे कर प्रणालियों में बदलाव संभव हो, चौथा राजनैतिक जिम्मेदारी, इससे कर भुगतान के बारे में सटीक तौर पर जानकारी प्राप्त हो सके और पांचवां निष्पक्ष कर प्रणाली, जिससे विभिन्न व्यक्तियों के लिए अलग-अलग कर का निर्धारण संभव हो सके.

उन्होंने कहा कि भारत कुछ मामलों में 'टैक्स हैवन' बन गया है, जो 1980 के कठोर सिस्टम से कमजोर है. देश में कुछ करों को कम कर दिया गया है. संपत्ति कर, पूंजीगत लाभ कर, उपहार कर आदि को कम कर दिया गया है और कटौती इतनी अधिक है कि कोई भी सरकार कर व्यवस्था को संतुलित करने में सक्षम नहीं है.

ये पढ़ें: बाल गृहों का समय-समय पर निरीक्षण करें : मद्रास उच्च न्यायालय

जस्टिस रवींद्र भट्ट ने कहा कि कमजोर वर्ग टैक्स का भार वहन करता है जबकि धनी अथवा संपन्न वर्ग इससे बचने का उपाय करता है.जस्टिस भट्ट ने कहा कि राजकोषीय घाटा के लिए कमजोर वर्ग को दी जाने वाली सब्सिडी जिम्मेदार है, लेकिन इसकी आवश्कता से इनकार नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि भले ही कई क्षेत्र विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन गए हैं, लेकिन गरीबी राष्ट्र को प्रभावित करती है और समाज में संतुलन बनाने के लिए इसका स्थाई निदान जरूरी है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, जस्टिस रवींद्र भट ने शुक्रवार को कहा कि व्यक्ति की आय का अधिकतर हिस्सा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के रूप में खर्च नहीं होना चाहिए. उच्च आय पर टैक्स का निर्धारण प्रगतिशील ढंग से होना चाहिए.

शीर्ष अदालत के न्यायाधीश जस्टिस रवींद्र भट लेखक असीम चावला की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे. लोगों द्वारा कर से बचने की सामान्य चिंता पर प्रकाश डालते हुए न्यायाधीश ने कहा कि जनता मौजूदा व्यवस्था से परेशान है. यह घोर अन्याय की तरह है. जस्टिस रवींद्र भट ने कहा कि देश अलग-अलग आय पर अलग-अलग टैक्स वसूल करता है.

उन्होंने कहा कि सैद्धान्तिक रूप से आय की अवधारणा और उसका निर्धारण बहुत ही आसान लगता है, लेकिन व्यवहारिक रूप इसे परिभाषित करना बहुत ही मुश्किल है. जस्टिस भट्ट ने कहा कि जब कानूनी परिभाषा आर्थिक तौर पर लोगों के लिए तार्किक रूप से फिट नहीं बैठती हैं तो लोग टैक्स की दरों को कम करने की मांग करते हैं.

उन्होंने कहा कि कुछ व्यक्तियों को कर की खामियों में विशेष रुचि रहती है और उनके द्वारा कर निर्धारण में खामियों का व्यापक प्रचार किया जाता है. अच्छी कर व्यवस्था के लिए जस्टिस रवींद्र भट ने 5 बिन्दुओं को आवश्यक बताया. पहला आर्थिक दक्षता, संशाधनों पर टैक्स सिस्टम का हस्तक्षेप ना हो, दूसरा प्रशासनिक सरलता अर्थात कर प्रणाली सरल होनी चाहिए, तीसरा लचीलापन जिससे कर प्रणालियों में बदलाव संभव हो, चौथा राजनैतिक जिम्मेदारी, इससे कर भुगतान के बारे में सटीक तौर पर जानकारी प्राप्त हो सके और पांचवां निष्पक्ष कर प्रणाली, जिससे विभिन्न व्यक्तियों के लिए अलग-अलग कर का निर्धारण संभव हो सके.

उन्होंने कहा कि भारत कुछ मामलों में 'टैक्स हैवन' बन गया है, जो 1980 के कठोर सिस्टम से कमजोर है. देश में कुछ करों को कम कर दिया गया है. संपत्ति कर, पूंजीगत लाभ कर, उपहार कर आदि को कम कर दिया गया है और कटौती इतनी अधिक है कि कोई भी सरकार कर व्यवस्था को संतुलित करने में सक्षम नहीं है.

ये पढ़ें: बाल गृहों का समय-समय पर निरीक्षण करें : मद्रास उच्च न्यायालय

जस्टिस रवींद्र भट्ट ने कहा कि कमजोर वर्ग टैक्स का भार वहन करता है जबकि धनी अथवा संपन्न वर्ग इससे बचने का उपाय करता है.जस्टिस भट्ट ने कहा कि राजकोषीय घाटा के लिए कमजोर वर्ग को दी जाने वाली सब्सिडी जिम्मेदार है, लेकिन इसकी आवश्कता से इनकार नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि भले ही कई क्षेत्र विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन गए हैं, लेकिन गरीबी राष्ट्र को प्रभावित करती है और समाज में संतुलन बनाने के लिए इसका स्थाई निदान जरूरी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.