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MSME को औद्योगिक कच्चे माल की किल्लत, दाम बढ़ने से उत्पादन प्रभावित - आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क पर असर

MSME कच्चे माल की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण काफी दिक्कतों का सामना कर रहा है. कच्चा माल महंगा होने से एमएसएमई पुरानी दर पर लिए गए ऑर्डर को पूरा करने में खुद को असमर्थ बता रहे हैं.

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Published : Apr 28, 2021, 8:29 AM IST

चेन्नई : तमिलनाडु में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) कच्चे माल की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण काफी दिक्कतों का सामना कर रहा है. कारोबार में तेजी से हो रहे बदलाव के कारण एमएसएमई क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना करने को मजबूर है. औद्योगिक कच्चे माल की लगातार बढ़ती कीमतों से एमएसएमई अपने उत्पादन में कटौती करने लगे हैं.

कच्चा माल महंगा होने से एमएसएमई पुरानी दर पर लिए गए ऑर्डर को पूरा करने में खुद को असमर्थ बता रहे हैं. वहीं, कई प्रकार के कच्चे माल के निर्यात में भारी बढ़ोतरी से उन्हें आसानी से कच्चे माल भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं.

पढ़ें- सूरत के उद्योगपति कोविड मरीजों को मुफ्त में देंगे ऑक्सीजन सिलेंडर

तमिलनाडु में माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम-स्केल उद्योगों के लिए यह डेजा वु स्थिति (Déjà vu situation) उद्योगों का पूरा बंद होने का संकेत दे रहा है. देखा जाए तो एक बार फिर औद्योगिक उत्पादन के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है.

राज्य में एमएसएमई कच्चे माल की लागत बढ़ने पर व्यापार को जारी रखने के लिए निरंतर संघर्ष कर रहा है, जिससे पूरे आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क पर असर पड़ रहा है. राज्य में व्यवसाय को चलाने के लिए कारोबारियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

कुछ समय के लिए उद्योग को अच्छे मुनाफे की उम्मीद थी, लेकिन मार्च के बाद से तेजी से बढ़ती कीमतों के उछाल के कारण उनके सपने सकार होने से पहले ही चकनाचूर हो गए. वहीं, स्टील, एल्युमिनियम, कॉपर, जिंक जैसे बुनियादी कच्चे माल की कीमतों में भारी वृद्धि ने स्थितियों को बद से बदतर बना दिया है. बताया जा रहा है कि उद्योग पिछले छह महीनों में कच्चे माल की अधिकांश कीमतों में लगातार लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि देखता आ रहा है.

पढ़ें- दिल्ली : ऑक्सीजन और कोरोना मरीजों की सांसों के बीच खड़ी रही राजनीति की 'दीवार'

तमिलनाडु स्माल एंड टिनी इंडस्ट्री एसोसिएशन (TANSTIA) के उप सचिव वासुदेवन का कहना है कि, कच्चे माल की कीमतें अस्थिर हैं, यह सोने और चांदी की कीमत की तरह हर रोज बदल रही हैं. देखा जाए तो कीमतों में सहमत मूल्य से भी अधिक बहुत बड़ा अंतर देखा जा सकता है. वहीं, मूल उपकरण निर्माता अपने आदेशों के लिए अधिक भुगतान करने के लिए तैयार नहीं हैं इसीलिए हमें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. हमने केंद्र सरकार से कीमतों को नियंत्रित करने का आग्रह किया है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

वहीं, इस पर फाउंड्री ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शिव शनमुगा कुमार का कहना है कि हम उद्योग क्षेत्र पर आधारित हैं. अभी तक मेटल (धातु) की कीमतों में 45 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी, लेकिन टियर एक और टियर दो कंपनियों के लिए उपभोक्ता तैयार नहीं है. पिछले दो महीनों से व्यवसायिक गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं, जिसके चलते हम करों का भुगतान करने व अन्य दायित्वों को पूरा करने की चिंता में भयभीत हो रहे हैं. मूल्य वृद्धि के अलावा, आवश्यक धातुओं की कमी है.

काकलुर (Kakalur) औद्योगिक एस्टेट में ऑटोमोबाइल घटक निर्माता बासकरन कहते हैं, पूरे महीने में कोई नए आदेश नहीं हैं और हम समय पर स्पेयर पार्ट्स नहीं सौंप पा रहे हैं. हम छोटे कारोबारी हैं, थोक कच्चे माल नहीं खरीद सकते हैं और ना ही उन्हें स्टोर कर सकते हैं. कपड़ा उद्योग भी इसी तरह की समस्या का सामना कर रहा है. यार्न की कीमतों में तेजी से हो रही वृद्धि उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती है.

पढ़ें- केजरीवाल को HC की फटकार, पूछा- नहीं संभल रहा तो कर दूं केंद्र के हवाले ?

इरोड (Erode) जिले के उद्योग निकाय EDISSIA के सुब्रमण्यम पूर्व अध्यक्ष को चिंता है कि पिछले कुछ महीनों में यार्न की कीमतें 50 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं. उन्होंने सरकार से यार्न निर्यात को रोकने और देश के भीतर उत्पादकों की जरूरतों को पूरा करने का आग्रह किया है. कच्चे माल व रसायनों की कीमत के साथ ही कागज भी तैयार उत्पादों की पैकेजिंग लागत को प्रभावित करता है. राज्य भर के उद्योगपति सरकार से धातु अयस्क निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करते हैं.

CODISSIA के पूर्व अध्यक्ष राममूर्ति का कहना है कि कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि ने पूरी आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया है. हमारा निर्यात घट रहा है, उद्योग में नकदी प्रवाह स्थिर है. इसके साथ ही हमारे पास एक गंभीर नकद संकट है. ईसीएलजीएस योजना के तहत ऋण वितरित किए गए. वर्तमान चिकित्सा आपातकाल ने उद्योग की ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी है. इसके कारण तमिलनाडु में खाद्य प्रसंस्करण, इंजीनियरिंग उत्पादों सहित कई उद्योगों में उत्पादन प्रभावित हो रहा है. इन सभी ने उद्योगों को प्रभावित किया है और आर्थिक सुधार की उनकी उम्मीदों को कुचल दिया है. कई छोटे उद्योग अपने व्यवसाय को एक साल तक जारी रखने के बारे में चिंतित हैं क्योंकि वे जमा ऋण, इनपुट लागत में वृद्धि, श्रम बल की कमी और आशा के साथ-साथ कार्यशील पूंजी की कमी से जूझ रहे हैं.

चेन्नई : तमिलनाडु में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) कच्चे माल की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण काफी दिक्कतों का सामना कर रहा है. कारोबार में तेजी से हो रहे बदलाव के कारण एमएसएमई क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना करने को मजबूर है. औद्योगिक कच्चे माल की लगातार बढ़ती कीमतों से एमएसएमई अपने उत्पादन में कटौती करने लगे हैं.

कच्चा माल महंगा होने से एमएसएमई पुरानी दर पर लिए गए ऑर्डर को पूरा करने में खुद को असमर्थ बता रहे हैं. वहीं, कई प्रकार के कच्चे माल के निर्यात में भारी बढ़ोतरी से उन्हें आसानी से कच्चे माल भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं.

पढ़ें- सूरत के उद्योगपति कोविड मरीजों को मुफ्त में देंगे ऑक्सीजन सिलेंडर

तमिलनाडु में माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम-स्केल उद्योगों के लिए यह डेजा वु स्थिति (Déjà vu situation) उद्योगों का पूरा बंद होने का संकेत दे रहा है. देखा जाए तो एक बार फिर औद्योगिक उत्पादन के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है.

राज्य में एमएसएमई कच्चे माल की लागत बढ़ने पर व्यापार को जारी रखने के लिए निरंतर संघर्ष कर रहा है, जिससे पूरे आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क पर असर पड़ रहा है. राज्य में व्यवसाय को चलाने के लिए कारोबारियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

कुछ समय के लिए उद्योग को अच्छे मुनाफे की उम्मीद थी, लेकिन मार्च के बाद से तेजी से बढ़ती कीमतों के उछाल के कारण उनके सपने सकार होने से पहले ही चकनाचूर हो गए. वहीं, स्टील, एल्युमिनियम, कॉपर, जिंक जैसे बुनियादी कच्चे माल की कीमतों में भारी वृद्धि ने स्थितियों को बद से बदतर बना दिया है. बताया जा रहा है कि उद्योग पिछले छह महीनों में कच्चे माल की अधिकांश कीमतों में लगातार लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि देखता आ रहा है.

पढ़ें- दिल्ली : ऑक्सीजन और कोरोना मरीजों की सांसों के बीच खड़ी रही राजनीति की 'दीवार'

तमिलनाडु स्माल एंड टिनी इंडस्ट्री एसोसिएशन (TANSTIA) के उप सचिव वासुदेवन का कहना है कि, कच्चे माल की कीमतें अस्थिर हैं, यह सोने और चांदी की कीमत की तरह हर रोज बदल रही हैं. देखा जाए तो कीमतों में सहमत मूल्य से भी अधिक बहुत बड़ा अंतर देखा जा सकता है. वहीं, मूल उपकरण निर्माता अपने आदेशों के लिए अधिक भुगतान करने के लिए तैयार नहीं हैं इसीलिए हमें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. हमने केंद्र सरकार से कीमतों को नियंत्रित करने का आग्रह किया है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

वहीं, इस पर फाउंड्री ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शिव शनमुगा कुमार का कहना है कि हम उद्योग क्षेत्र पर आधारित हैं. अभी तक मेटल (धातु) की कीमतों में 45 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी, लेकिन टियर एक और टियर दो कंपनियों के लिए उपभोक्ता तैयार नहीं है. पिछले दो महीनों से व्यवसायिक गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं, जिसके चलते हम करों का भुगतान करने व अन्य दायित्वों को पूरा करने की चिंता में भयभीत हो रहे हैं. मूल्य वृद्धि के अलावा, आवश्यक धातुओं की कमी है.

काकलुर (Kakalur) औद्योगिक एस्टेट में ऑटोमोबाइल घटक निर्माता बासकरन कहते हैं, पूरे महीने में कोई नए आदेश नहीं हैं और हम समय पर स्पेयर पार्ट्स नहीं सौंप पा रहे हैं. हम छोटे कारोबारी हैं, थोक कच्चे माल नहीं खरीद सकते हैं और ना ही उन्हें स्टोर कर सकते हैं. कपड़ा उद्योग भी इसी तरह की समस्या का सामना कर रहा है. यार्न की कीमतों में तेजी से हो रही वृद्धि उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती है.

पढ़ें- केजरीवाल को HC की फटकार, पूछा- नहीं संभल रहा तो कर दूं केंद्र के हवाले ?

इरोड (Erode) जिले के उद्योग निकाय EDISSIA के सुब्रमण्यम पूर्व अध्यक्ष को चिंता है कि पिछले कुछ महीनों में यार्न की कीमतें 50 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं. उन्होंने सरकार से यार्न निर्यात को रोकने और देश के भीतर उत्पादकों की जरूरतों को पूरा करने का आग्रह किया है. कच्चे माल व रसायनों की कीमत के साथ ही कागज भी तैयार उत्पादों की पैकेजिंग लागत को प्रभावित करता है. राज्य भर के उद्योगपति सरकार से धातु अयस्क निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करते हैं.

CODISSIA के पूर्व अध्यक्ष राममूर्ति का कहना है कि कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि ने पूरी आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया है. हमारा निर्यात घट रहा है, उद्योग में नकदी प्रवाह स्थिर है. इसके साथ ही हमारे पास एक गंभीर नकद संकट है. ईसीएलजीएस योजना के तहत ऋण वितरित किए गए. वर्तमान चिकित्सा आपातकाल ने उद्योग की ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी है. इसके कारण तमिलनाडु में खाद्य प्रसंस्करण, इंजीनियरिंग उत्पादों सहित कई उद्योगों में उत्पादन प्रभावित हो रहा है. इन सभी ने उद्योगों को प्रभावित किया है और आर्थिक सुधार की उनकी उम्मीदों को कुचल दिया है. कई छोटे उद्योग अपने व्यवसाय को एक साल तक जारी रखने के बारे में चिंतित हैं क्योंकि वे जमा ऋण, इनपुट लागत में वृद्धि, श्रम बल की कमी और आशा के साथ-साथ कार्यशील पूंजी की कमी से जूझ रहे हैं.

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