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तालिबान शरीयत कानून के नाम पर इस्लाम को बदनाम कर रहा : अजमेर दरगाह के प्रमुख दीवान

अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान ने अफगानिस्ताम में तालिबानियों के दहशत को अपराध कहा है. उन्होंने कहा कि शरीयत कानून के नाम पर यह सब करना इस्लाम में अपराध है.

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Published : Aug 21, 2021, 7:51 PM IST

अजमेर : दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने कहा कि अफगानिस्तान क्रूर तालिबान के हाथ में आ गया है. तालिबान शरीयत कानून के नाम पर तानाशाही और आतंक कर इस्लाम को बदनाम कर रहा है. तालिबानी अफगानिस्तान में भारी तबाही मचा रहे हैं. साथ ही औरतों पर बंदिशें और मामूली अपराधियों को अंग-भंग कर देने का शासन कर रहे हैं. जबकि शरीयत कानून के नाम पर यह सब करना इस्लाम में अपराध है.

दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन ने कहा कि याद रहे इस्लाम को अल्लाह के रसूल ने खूबसूरत शक्ल में दिया. उनके बाद चारों खलीफा उन्हें इसी शरीयत के तहत आम लोगों के साथ खास तौर से बुजुर्ग, औरतें और बच्चों के साथ जिस तरह इंसाफ और मोहब्बत कायम की वह आज भी दुनिया के लिए एक बड़ी मिसाल है. हजरत इमाम हुसैन की शहादत दुनिया को इस्लाम की सही तस्वीर दिखाती है.

तालिबान शरीयत कानून के नाम पर इस्लाम को बदनाम कर रहा.

उन्होंने कहा कि मुस्लिम देश शरिया कानून के तहत आम लोगों को सम्मान पूर्वक उनके बुनियादी मौलिक अधिकारों को उन्हें देने के लिए बाध्य हैं. भारत देश के मुसलमान, खासकर युवाओं से मैं अपील करता हूं कि धर्म के नाम पर किसी भी तरह के झूठे प्रचार में ना पड़े. पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान पहले ही एक इस्लामी गणतंत्र है और वहां शरियत कानून पहले से ही पिछली सरकारों की ओर से चलाया जा रहा था, लेकिन तालिबान जो अपने देश में शरियत कानून के बारे में बात कर रहा है वह पूरी तरह से अलग है.

तालिबानियों ने शरीयत कानून की व्याख्या अपने एजेंडे के अनुसार आतंकवाद और तानाशाही को पूरा करने के लिए की है. शरीयत कानून स्पष्ट रूप से महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के अधिकार की रक्षा करता है. अपनी आवाम के साथ इंसाफ और अमन से रहने के लिए बाध्य करता है. शरीयत ने आम नागरिकों और महिलाओं और बच्चों और निर्दोष लोगों को मारने की अनुमति कभी नहीं दी. इसलिए विश्व समुदाय को इसके बारे में पता होना चाहिए कि तालिबान जिस शरीयत के बारे में बात कर रहा है वह उनके की ओर से अपनी आतंकी सोच की व्याख्या के अनुसार है.

दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन ने कहा कि मैं अपने भारतीय मुसलमानों को बताना चाहता हूं कि हमारे पड़ोसी देश अफगानिस्तान में क्या चल रहा है यह हम सभी के लिए एक सबक है कि धन प्रसिद्धि राजनीतिक शक्ति का आपके जीवन में कोई मोल नहीं है, क्योंकि यदि राष्ट्र है तो हम हैं. हमारा राष्ट्र सुरक्षित है तो हम सुरक्षित हैं. इसलिए हमें राष्ट्रहित को हमेशा ऊपर रखना चाहिए. हमारा पहला कर्तव्य हमारे देश को बचाना, देश में एकता और अमन कायम रखना होना चाहिए. बाद में हमें अपने बारे में सोचना चाहिए.

पढ़ेंः Afghanistan Crisis : अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के दफ्तर में घुसे तालिबानी, आतंकियों के साथ दिखा पूर्व क्रिकेटर

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कई देश और वहां रहने वाले लोग तालिबान के समर्थन में बयान दे रहे हैं यह सरासर गलत है. तालिबान जो थोप रहा है वह नाजायज है. इस्लाम के अंदर सुई की नोक के बराबर भी कहीं ऐसी गुंजाइश नहीं है जिसमें तालिबानी जो कर रहे हैं उसे सही माना जाए.

शरीया अमन और मोहब्बत से रहने का पैगाम देता है. उन्होंने कहा कि देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में जितने भी धर्म ग्रुप है उन्हें सबको एक प्लेटफार्म पर आकर तालिबान की क्रूरता की निंदा करनी होगी.

अजमेर : दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने कहा कि अफगानिस्तान क्रूर तालिबान के हाथ में आ गया है. तालिबान शरीयत कानून के नाम पर तानाशाही और आतंक कर इस्लाम को बदनाम कर रहा है. तालिबानी अफगानिस्तान में भारी तबाही मचा रहे हैं. साथ ही औरतों पर बंदिशें और मामूली अपराधियों को अंग-भंग कर देने का शासन कर रहे हैं. जबकि शरीयत कानून के नाम पर यह सब करना इस्लाम में अपराध है.

दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन ने कहा कि याद रहे इस्लाम को अल्लाह के रसूल ने खूबसूरत शक्ल में दिया. उनके बाद चारों खलीफा उन्हें इसी शरीयत के तहत आम लोगों के साथ खास तौर से बुजुर्ग, औरतें और बच्चों के साथ जिस तरह इंसाफ और मोहब्बत कायम की वह आज भी दुनिया के लिए एक बड़ी मिसाल है. हजरत इमाम हुसैन की शहादत दुनिया को इस्लाम की सही तस्वीर दिखाती है.

तालिबान शरीयत कानून के नाम पर इस्लाम को बदनाम कर रहा.

उन्होंने कहा कि मुस्लिम देश शरिया कानून के तहत आम लोगों को सम्मान पूर्वक उनके बुनियादी मौलिक अधिकारों को उन्हें देने के लिए बाध्य हैं. भारत देश के मुसलमान, खासकर युवाओं से मैं अपील करता हूं कि धर्म के नाम पर किसी भी तरह के झूठे प्रचार में ना पड़े. पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान पहले ही एक इस्लामी गणतंत्र है और वहां शरियत कानून पहले से ही पिछली सरकारों की ओर से चलाया जा रहा था, लेकिन तालिबान जो अपने देश में शरियत कानून के बारे में बात कर रहा है वह पूरी तरह से अलग है.

तालिबानियों ने शरीयत कानून की व्याख्या अपने एजेंडे के अनुसार आतंकवाद और तानाशाही को पूरा करने के लिए की है. शरीयत कानून स्पष्ट रूप से महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के अधिकार की रक्षा करता है. अपनी आवाम के साथ इंसाफ और अमन से रहने के लिए बाध्य करता है. शरीयत ने आम नागरिकों और महिलाओं और बच्चों और निर्दोष लोगों को मारने की अनुमति कभी नहीं दी. इसलिए विश्व समुदाय को इसके बारे में पता होना चाहिए कि तालिबान जिस शरीयत के बारे में बात कर रहा है वह उनके की ओर से अपनी आतंकी सोच की व्याख्या के अनुसार है.

दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन ने कहा कि मैं अपने भारतीय मुसलमानों को बताना चाहता हूं कि हमारे पड़ोसी देश अफगानिस्तान में क्या चल रहा है यह हम सभी के लिए एक सबक है कि धन प्रसिद्धि राजनीतिक शक्ति का आपके जीवन में कोई मोल नहीं है, क्योंकि यदि राष्ट्र है तो हम हैं. हमारा राष्ट्र सुरक्षित है तो हम सुरक्षित हैं. इसलिए हमें राष्ट्रहित को हमेशा ऊपर रखना चाहिए. हमारा पहला कर्तव्य हमारे देश को बचाना, देश में एकता और अमन कायम रखना होना चाहिए. बाद में हमें अपने बारे में सोचना चाहिए.

पढ़ेंः Afghanistan Crisis : अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के दफ्तर में घुसे तालिबानी, आतंकियों के साथ दिखा पूर्व क्रिकेटर

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कई देश और वहां रहने वाले लोग तालिबान के समर्थन में बयान दे रहे हैं यह सरासर गलत है. तालिबान जो थोप रहा है वह नाजायज है. इस्लाम के अंदर सुई की नोक के बराबर भी कहीं ऐसी गुंजाइश नहीं है जिसमें तालिबानी जो कर रहे हैं उसे सही माना जाए.

शरीया अमन और मोहब्बत से रहने का पैगाम देता है. उन्होंने कहा कि देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में जितने भी धर्म ग्रुप है उन्हें सबको एक प्लेटफार्म पर आकर तालिबान की क्रूरता की निंदा करनी होगी.

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