बेगूसराय: स्वीडन से आए एक विदेशी दंपती डेनियल और कैटरीना ने बेगूसराय के अनाथ बच्चे को गोद (Adopt an orphan child of Begusarai) लिया है. बेगूसराय के जिलाधिकारी रौशन कुशवाहा और समन्वयक विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान की ऋतु सिंह, सहित समिति के पदाधिकारियों की मौजूदगी में बच्चे को गोद देने से जुड़ी प्रक्रिया को पूरा किया गया. जिस बच्चे को विदेशी दंपती ने गोद लिया है वह अब स्वीडन में ही पले-बढ़ेगा. मासूम सा बच्चा और उसकी भोली भाली सूरत स्वीडन के रहने वाले डेनियल और कैटरीना नामक दंपत्ति को पसंद आ गई. जिसके बाद दोनों इस बच्चे को पाने के लिए प्रक्रिया मे जुट गए. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए उन्हें तकरीबन दो साल लग गए.
विदेशी मां-बाप धर्मराज को पाकर फुले नहीं समा रहे है: कहते हैं कि हर किसी का अपना नसीब होता है और यह नसीब कब किसको खींच कर कहां ले जाये है किसी को नहीं पता होता है. बेगूसराय में रहने वाले दो वर्ष के धर्मराज कुमार के साथ कुछ ऐसा ही हुआ.बचपन में ही अपने मां-बाप के प्यार से महरूम धर्मराज कुमार अपने विदेशी-मां बाप के गोद खिलखिला रहा है. वहीं उसे गोद लेने वाले विदेशी मां-बाप धर्मराज को पाकर फुले नहीं समा रहे है. शनिवार का दिन बेहद ही खास रहा जब उसे ममता का छांव मिला.
"काफी दिनों से इंतजार था इस घड़ी का. धर्मराज से मिलकर काभी अच्छा लग रहा है.मैं तो उसे देखकर झूमने लगी. काभी प्यारा है." -कैटरिना
"कारा के साइट पर बच्चे को गोद लेने के लिए बिहार को ही चुना था.धर्मराज को पाकर काफी सुकुन मिला.धर्मराज को बेहतर तालिम दूंगा- डेनियाल
गोद में लेकर खुशी से झूमने लगे विदेशी दंपति: विदेशी से ही धर्मराज को अपना पुत्र मानने वाले विदेशी मां-बाप धर्मराज से मिले तो भावुक हो गए और उसे अपनी गोद में लेकर खुशी से झूमने लगे. पिछले दो साल से धर्मराज को पाने के लिए लालायित डेनियल और कैटरिना बिना समय गवाएं भागे भागे विदेश से बेगूसराय पहुंचे. जिसके बाद एक प्रक्रिया के बाद दोनों को धर्मराज सौंपा गया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. डेनियल और कैटरीना ने बताया की लम्बे इंतजार के बाद वो इस बच्चे को पा सके है और वो बेहद खुश है.
"दोनों मां बाप संपन्न है. इसलिए धर्मराज कुमार का भविष्य बेहतर होगा. दत्तक ग्रहण करने से पहले कई तरह की प्रक्रियाएं होती हैं. जिसमें मुख्य रुप से मां-बाप की आर्थिक स्थिति देखी जाती है. गोद लेने वाले दंपत्ति का बच्चों के प्रति स्वभाव खास मायने रखता है." - ऋतू सिंह, समन्वयक विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान
"एक बच्चे को विदेशी दंपती के हाथ में सौंपा गया है. वहीं दो बच्चों को आने वाले समय में दूसरे दंपति को सौंपा जाएगा. हम लोगों की यह कोशिश होती है कि ऐसे बच्चों को सही पेरेंट्स मिल जाए. जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके. हम लोग दत्तक ग्रहण करने से पहले यह जरूर सुनिश्चित करते हैं कि सही लोगों के पास बच्चा जाए जहां वो अच्छे से घुल मिल सके और जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो ताकि भविष्य में किसी तरह की कोई परेशानी ना हो." -रौशन कुशवाहा, डीएम, बेगूसराय
कारा के साइट पर बच्चे को गोद लेने के लिए बिहार चुना : स्वीडन के रहने वाले कैटरीना और डेनियल ने कारा के साइट पर बच्चे को गोद लेने के लिए बिहार को ही चुना था. जिसके बाद ही उसे धर्मराज कुमार मिल पाया. डेनियल जहां बड़े बिजनेसमैन हैं. वहीं कैटरीना लाइब्रेरियन है. इस संबंध में विशेष दत्तक ग्रहण केंद्र के समन्वयक रितु सिंह ने बताया की शनिवार का दिन उनके लिए खास भी है और दुख का भी. खुशी इस बात को लेकर है को लेकर है की धर्मराज को मां बाप के रूप मे एक सहारा मिल गया. उन्होंने बताया कि बच्चे को गोद लेने वाले पिता खुद एक अडॉप्टेड सन है. जिसे मुम्बई से स्विडन देश के रहने वाले उनके पिता ने गोद लिया था. फिलहाल बच्चे को गोद लेने वाले विदेशी मां पिता बेहद ही खुश नजर आ रहे हैं. वहीं धर्मराज के चेहरे पर की मुस्कान एक बेहतर भविष्य की ओर इशारा कर रहा है.