मेरठ: प्रसिद्ध कथावाचक स्वामी अनिरुद्धाचार्य इन दिनों मेरठ में हैं. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की और यूनिफॉर्म सिविल कोड, गंगा की सफाई, लव जिहाद समेत कई मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया दी. बता दें कि मेरठ में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है, जो बीते 3 दिन से चल रही है. इस दौरान शनिवार को बारिश में भी भक्त श्रीमद्भागवत कथा सुनते नजर आए.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कथावाचक स्वामी अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) देश हित में है. यह देश में लागू होना ही चाहिए. वे तो पूरी तरह से इसके समर्थन में हैं कि देश में समान नागरिक संहिता हो. अज्ञानी लोग ही समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहे हैं. वहीं, बागेश्वर धाम सरकार के लगातार सुर्खियों में रहने को लेकर उन्होंने कहा कि यह अच्छा है. कम से कम इसी बहाने सनातन संस्कृति की चर्चा हो रही है. लव जिहाद को लेकर स्वामी अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि समय समय पर आने वाले ये मामले तभी थमेंगे, जब सभी मां बाप अपने बच्चों को अच्छा संस्कार देंगे और उन्हें चरित्रवान बनाएंगे. जो संस्कार हमारे पूर्वजों ने हमें दिए हैं कि चरित्रवान बनो. यदि ये संस्कार दे दिए जाएं तो सारे लव जिहाद खत्म हो जाएंगे.
झाड़ू लगाने से नहीं होगी गंगा की सफाई: गंगा सफाई को लेकर उन्होंने कहा कि गंगा की सफाई ऐसे नहीं होगी. जैसी सफाई करनी चाहिए, वैसी सरकार कर ही नहीं रही. जो बड़े-बड़े शहरों के नाले हैं, उन नालों को नदियों से पहले ही रोककर, उसके पानी को स्वच्छ किया जाए. इसके पश्चात उसे नदियों में छोड़ा जाए. जो कचरा बचे उससे खाद बनाकर किसानों को दे दिया जाए. इससे किसानों का भी लाभ होगा. पॉलीथिन समेटने से घाटों पर झाड़ू लगाने से गंगा सफाई नहीं हो सकती. जल को शुद्ध कीजिए, नालों को रोकिए.
संस्कार के बिना शिक्षा को कोई अर्थ नहीं: कुछ धर्मगुरुओं के बाजार में अपने प्रोडक्ट लाने पर स्वामी अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि ऐसा करने वाले लोग धर्म का ही प्रचार करें तो ज्यादा अच्छा है. उन्होंने आगे कहा कि हमारा धर्म पूरी तरह से साइंटिफिक है, यदि कोई धर्म को समझता है तो ही वह साइंस को समझ पाएगा. जो साइंस नहीं समझता वह सनातन संस्कृति को नहीं समझ पाएगा. विडंबना देखिए कि आज शिक्षा तो रह गई. लेकिन, दीक्षा समाप्त हो गई है. जितने भी स्कूल कॉलेजों में जाते हैं. वहां शिक्षा तो है. लेकिन, संस्कार नहीं हैं. जब तक संस्कार नहीं होगा, तब तक उस शिक्षा का कोई अर्थ नहीं होगा.
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