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टीएमसी में मिलेगी सुष्मिता देव को बड़ी जिम्मेदारी, बोलीं-संगठन में काम करने की इच्छा - टीएमसी में मिलेगी सुष्मिता देव को बड़ी जिम्मेदारी

कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुईं सुष्मिता देव को ममता बनर्जी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती हैं. मंगलवार को दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते अपनी भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की.

Sushmita
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Published : Aug 17, 2021, 4:46 PM IST

नई दिल्ली : टीएमसी में शामिल हुईं सुष्मिता देव ने कहा कि वे बिना किसी शर्त तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुई हैं. उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी, वह उसे पूरी शिद्दत से निभाएंगी.

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रही सुष्मिता देव कांग्रेस की कद्दावर नेताओं में से रही हैं और उनका तृणमूल में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ी क्षति मानी जा रही है. हालांकि सुष्मिता देव का कहना है कि उन्हें कांग्रेस पार्टी से कोई शिकायत नहीं है और न ही उन्हें राहुल गांधी या सोनिया गांधी से ही कोई शिकायत है.

टीएमसी नेता सुष्मिता देव ने कहा

उनके निजी संबंध सोनिया और राहुल गांधी से हमेशा अच्छे रहे हैं और आगे भी अच्छे रहेंगे. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब सुष्मिता के लिए कांग्रेस और उसके नेता बुरे नहीं तो फिर पाला बदलकर वह क्या संदेश देना चाहती हैं?

उनका कहना है कि 2006 में जब वे दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत किया करती थीं तब से ही ममता बनर्जी ने उन्हें प्रेरित किया है. उनके संघर्ष और 26 दिन के भूख हड़ताल से जो लड़ने की क्षमता ममता बनर्जी ने दिखाई वह सबसे अलग है.

सुष्मिता देव ने अपने व्यक्तव्य के दौरान देश के लिए काम करने की बात कई बार कही. जाहिर तौर पर ममता बनर्जी खुद को राष्ट्रीय राजनीति में ज्यादा सक्रिय करना चाहती हैं और पिछले महीने दिल्ली आ कर उन्होंने इसके स्पष्ट संकेत भी दिए थे.

20 अगस्त को सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं की एक बैठक दिल्ली में होने वाली है और ममता बनर्जी भी इस बैठक में भाग लेंगी. पहले उनके दिल्ली आने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन बाद में जानकारी आई कि वे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ही मीटिंग में शामिल होंगी.

इन सब गतिविधियों से पहले कांग्रेस के एक कद्दावर महिला नेता और महिला मोर्चा की अध्यक्ष का तृणमूल कांग्रेस में शामिल होना एक बड़ा संकेत माना जा रहा है. राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा गर्म है कि 2024 लोकसभा चुनाव में ममता विपक्ष का नेतृत्व करना चाहती हैं और इसके लिए उन्हें कांग्रेस से मजबूत तृणमूल कांग्रेस को साबित करना है. इधर दिल्ली में तृणमूल सांसद ममता की छवि एक सशक्त नेता के रूप में बनाने की कवायद में पहले ही जुट गए हैं.

तृणमूल में कहने को तो एक व्यक्ति एक पद के नियम का सख्ती के साथ पालन होता है लेकिन ममता बनर्जी एक अपवाद हैं. वह तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, बंगाल की मुख्यमंत्री भी हैं और तृणमूल पार्लियामेंट्री पार्टी की भी अध्यक्ष हैं.

यह भी पढ़ें-तमिलनाडु में 13 सितंबर को उपचुनाव, CM ममता पर भी जल्द होगा फैसला

तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने एक सवाल के जबाब में कहा कि ममता खुद भी एक ही पद पर रहना चाहती थीं लेकिन पार्टी के अन्य नेताओं ने उनसे आग्रह कर उन्हें एक व्यक्ति एक पद के नियम से अलग रखा क्योंकि वह पार्टी की संस्थापक अध्यक्ष हैं.

नई दिल्ली : टीएमसी में शामिल हुईं सुष्मिता देव ने कहा कि वे बिना किसी शर्त तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुई हैं. उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी, वह उसे पूरी शिद्दत से निभाएंगी.

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रही सुष्मिता देव कांग्रेस की कद्दावर नेताओं में से रही हैं और उनका तृणमूल में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ी क्षति मानी जा रही है. हालांकि सुष्मिता देव का कहना है कि उन्हें कांग्रेस पार्टी से कोई शिकायत नहीं है और न ही उन्हें राहुल गांधी या सोनिया गांधी से ही कोई शिकायत है.

टीएमसी नेता सुष्मिता देव ने कहा

उनके निजी संबंध सोनिया और राहुल गांधी से हमेशा अच्छे रहे हैं और आगे भी अच्छे रहेंगे. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब सुष्मिता के लिए कांग्रेस और उसके नेता बुरे नहीं तो फिर पाला बदलकर वह क्या संदेश देना चाहती हैं?

उनका कहना है कि 2006 में जब वे दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत किया करती थीं तब से ही ममता बनर्जी ने उन्हें प्रेरित किया है. उनके संघर्ष और 26 दिन के भूख हड़ताल से जो लड़ने की क्षमता ममता बनर्जी ने दिखाई वह सबसे अलग है.

सुष्मिता देव ने अपने व्यक्तव्य के दौरान देश के लिए काम करने की बात कई बार कही. जाहिर तौर पर ममता बनर्जी खुद को राष्ट्रीय राजनीति में ज्यादा सक्रिय करना चाहती हैं और पिछले महीने दिल्ली आ कर उन्होंने इसके स्पष्ट संकेत भी दिए थे.

20 अगस्त को सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं की एक बैठक दिल्ली में होने वाली है और ममता बनर्जी भी इस बैठक में भाग लेंगी. पहले उनके दिल्ली आने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन बाद में जानकारी आई कि वे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ही मीटिंग में शामिल होंगी.

इन सब गतिविधियों से पहले कांग्रेस के एक कद्दावर महिला नेता और महिला मोर्चा की अध्यक्ष का तृणमूल कांग्रेस में शामिल होना एक बड़ा संकेत माना जा रहा है. राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा गर्म है कि 2024 लोकसभा चुनाव में ममता विपक्ष का नेतृत्व करना चाहती हैं और इसके लिए उन्हें कांग्रेस से मजबूत तृणमूल कांग्रेस को साबित करना है. इधर दिल्ली में तृणमूल सांसद ममता की छवि एक सशक्त नेता के रूप में बनाने की कवायद में पहले ही जुट गए हैं.

तृणमूल में कहने को तो एक व्यक्ति एक पद के नियम का सख्ती के साथ पालन होता है लेकिन ममता बनर्जी एक अपवाद हैं. वह तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, बंगाल की मुख्यमंत्री भी हैं और तृणमूल पार्लियामेंट्री पार्टी की भी अध्यक्ष हैं.

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तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने एक सवाल के जबाब में कहा कि ममता खुद भी एक ही पद पर रहना चाहती थीं लेकिन पार्टी के अन्य नेताओं ने उनसे आग्रह कर उन्हें एक व्यक्ति एक पद के नियम से अलग रखा क्योंकि वह पार्टी की संस्थापक अध्यक्ष हैं.

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