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जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश, ऑनलाइन सुनवाई के लिए विकल्प प्रदान करेंगे सभी राज्य सूचना आयोग - आरटीआई सुनवाई ऑनलाइन विकल्प

आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट (Supreme Court instructions RTI) ने कहा कि अब सभी राज्य सूचना आयोग ऑनलाइन सुनवाई करेंगे.

Supreme Court instructions RTI
Supreme Court instructions RTI
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 9, 2023, 10:51 PM IST

आगरा : जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर रखी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस पर सभी राज्य सूचना आयोग को निर्देश दिए. कहा कि सभी राज्य सूचना आयोग सूचना अधिकार से सूचना प्राप्त करने के अधिनियम के तहत शिकायतों और अपील को सुनने के लिए मिश्रित प्रणाली हाइब्रिड मोड स्थापित करें. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने जनहित याचिका की सुनवाई के बाद यह निर्देश दिए.

इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग को प्रभावी बनाना होगा : आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि देश के सभी राज्य सूचना आयोग अब पक्षकारों को ऑनलाइन सुनवाई के लिए विकल्प प्रदान करेंगे. जिसके तहत राज्य सूचना आयोग की ओर से वाद सूची पर वीडियो लिंक शेयर करना होगा. जिससे सभी वादकारियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग को प्रभावी बनाना होगा. यह काम शीर्ष अदालत ने जोड़ा है.

अब ऑनलाइन की जा सकेगी अपील.
अब ऑनलाइन की जा सकेगी अपील.

राज्य सरकार को देना होगा धन : वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है. जिसके तहत सभी राज्य और केंद्रीय मंत्रालय एक महीने के अंदर सभी राज्य सूचना आयोग और केंद्रीय सूचना आयोग को प्रदान करने के लिए केंद्रीय और राज्य जन सूचना अधिकारियों के ईमेल-पते संकलित करने होंगे. इस आदेश को लागू करने के लिए केंद्र सरकार के सभी राज्य और केंद्रीय सूचना आयुक्तों की एक बैठक आयोजित करनी होगी. जिसमें ऊपर दिए गए दिशा निर्देश का पालन करने के लिए एक समय सीमा तैयार की जाएगी. इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर राज्य को धन प्रदान करना होगा.

हर किसी का न्याय तक पहुंचना मौलिक अधिकार : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला और मनोज मिश्रा ने कहा कि, संविधान की धारा 21 के तहत न्याय तक पहुंचना मौलिक अधिकार है. ये वाक स्वतंत्रता का एक आवश्यक घटक है. सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई में कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग अब एक विकल्प नहीं है, बल्कि ये एक आवश्यकता है. अदालत ने ध्यान दिलाया कि, केंद्रीय सूचना आयोग अपनी कार्यवाही को मिश्रित तरीके से चलाता है. जो नागरिकों के लिए पहुंच को आसान बनाता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, इसे सही तरीके से लागू मिश्रित या वर्चुअल सुनवाई के उद्देश्य में प्रौद्योगिकी न्याय तक पहुंचने में मदद कर सकती है. जो सुनवाई में लंबी यात्रा का अधिकार नकार सकती है.

सभी राज्य सूचना आयोग ऑनलाइन सुनवाई करेंगे.
सभी राज्य सूचना आयोग ऑनलाइन सुनवाई करेंगे.

अब अपील ऑनलाइन और ऑनलाइन बहस : अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से अब सूचना प्राप्त करने के लिए अपनी अपील और शिकायत करने लखनऊ जाने की जरूरत नहीं है. हर व्यक्ति अब अपील ऑनलाइन दर्ज करके ऑनलाइन बहस में भी शामिल हो सकता है. इसके साथ ही जन सूचना अधिकारी को नोटिस इलेक्ट्रॉनिक मेल के माध्यम से भेज सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश से पूरे देश में एक बड़ी राहत लाएगा. क्योंकि, यह संसाधनों, असुविधा और ऊर्जा की बचत में मदद करेगा. इससे पारदर्शिता आएगी. जो इस कानून के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी.

यह भी पढ़ें : RTI के 15 वर्ष पूरे होने पर एक्टिविस्ट ने की सुधार की मांग

503 सांसदों ने नहीं दिया संपत्ति का विवरण

आगरा : जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर रखी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस पर सभी राज्य सूचना आयोग को निर्देश दिए. कहा कि सभी राज्य सूचना आयोग सूचना अधिकार से सूचना प्राप्त करने के अधिनियम के तहत शिकायतों और अपील को सुनने के लिए मिश्रित प्रणाली हाइब्रिड मोड स्थापित करें. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने जनहित याचिका की सुनवाई के बाद यह निर्देश दिए.

इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग को प्रभावी बनाना होगा : आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि देश के सभी राज्य सूचना आयोग अब पक्षकारों को ऑनलाइन सुनवाई के लिए विकल्प प्रदान करेंगे. जिसके तहत राज्य सूचना आयोग की ओर से वाद सूची पर वीडियो लिंक शेयर करना होगा. जिससे सभी वादकारियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग को प्रभावी बनाना होगा. यह काम शीर्ष अदालत ने जोड़ा है.

अब ऑनलाइन की जा सकेगी अपील.
अब ऑनलाइन की जा सकेगी अपील.

राज्य सरकार को देना होगा धन : वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है. जिसके तहत सभी राज्य और केंद्रीय मंत्रालय एक महीने के अंदर सभी राज्य सूचना आयोग और केंद्रीय सूचना आयोग को प्रदान करने के लिए केंद्रीय और राज्य जन सूचना अधिकारियों के ईमेल-पते संकलित करने होंगे. इस आदेश को लागू करने के लिए केंद्र सरकार के सभी राज्य और केंद्रीय सूचना आयुक्तों की एक बैठक आयोजित करनी होगी. जिसमें ऊपर दिए गए दिशा निर्देश का पालन करने के लिए एक समय सीमा तैयार की जाएगी. इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर राज्य को धन प्रदान करना होगा.

हर किसी का न्याय तक पहुंचना मौलिक अधिकार : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला और मनोज मिश्रा ने कहा कि, संविधान की धारा 21 के तहत न्याय तक पहुंचना मौलिक अधिकार है. ये वाक स्वतंत्रता का एक आवश्यक घटक है. सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई में कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग अब एक विकल्प नहीं है, बल्कि ये एक आवश्यकता है. अदालत ने ध्यान दिलाया कि, केंद्रीय सूचना आयोग अपनी कार्यवाही को मिश्रित तरीके से चलाता है. जो नागरिकों के लिए पहुंच को आसान बनाता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, इसे सही तरीके से लागू मिश्रित या वर्चुअल सुनवाई के उद्देश्य में प्रौद्योगिकी न्याय तक पहुंचने में मदद कर सकती है. जो सुनवाई में लंबी यात्रा का अधिकार नकार सकती है.

सभी राज्य सूचना आयोग ऑनलाइन सुनवाई करेंगे.
सभी राज्य सूचना आयोग ऑनलाइन सुनवाई करेंगे.

अब अपील ऑनलाइन और ऑनलाइन बहस : अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से अब सूचना प्राप्त करने के लिए अपनी अपील और शिकायत करने लखनऊ जाने की जरूरत नहीं है. हर व्यक्ति अब अपील ऑनलाइन दर्ज करके ऑनलाइन बहस में भी शामिल हो सकता है. इसके साथ ही जन सूचना अधिकारी को नोटिस इलेक्ट्रॉनिक मेल के माध्यम से भेज सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश से पूरे देश में एक बड़ी राहत लाएगा. क्योंकि, यह संसाधनों, असुविधा और ऊर्जा की बचत में मदद करेगा. इससे पारदर्शिता आएगी. जो इस कानून के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी.

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