नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) नोटबंदी के खिलाफ दायर विभिन्न याचिकाओं पर दो जनवरी को फैसला सुना सकता है. इन याचिकाओं में वर्ष 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये मूल्य के नोट के विमुद्रीकरण के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ की ओर से इस मामले में दो जनवरी को फैसला सुनाए जाने की संभावना है. न्यायमूर्ति एसए नजीर चार जनवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
शीर्ष अदालत ने गत सात दिसंबर को केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सरकार के फैसले से जुड़े दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश दिया था और उसके बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. संविधान पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना भी शामिल हैं. इस पीठ ने आरबीआई की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि और याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों में वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान शामिल हैं.
पांच सौ रुपये और 1000 रुपये के नोट को रद्द करने के कदम को गंभीर खामी करार देते हुए चिंदबरम ने दलील दी थी कि सरकार वैध मुद्रा के बारे में इस तरह का प्रस्ताव लाने की पहल नहीं कर सकती है. उच्चतम न्यायालय ने 58 याचिकाओं पर सुनवाई की है, जिनमें आठ नवंबर, 2016 को केंद्र सरकार की ओर से की गयी नोटबंदी (विमुद्रीकरण) को चुनौती दी गई है.
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