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गौरी लंकेश मर्डर मामला : सुप्रीम कोर्ट ने बदला फैसला, आरोपी पर चलेगा KCOCA के तहत मुकदमा - gauri lankesh journalist

गौरी लंकेश हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (ककोका) अपराध के लिए आरोप पत्र निरस्त करने का आदेश रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ ककोका का चार्ज हटा दिया था.

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Published : Oct 21, 2021, 3:00 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के एक आरोपी के विरुद्ध कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (ककोका) के प्रावधानों के तहत अपराध का आरोप पत्र निरस्त कर दिया था.

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल के निर्णय को चुनौती देने वाली राज्य सरकार और गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश की अपील पर यह फैसला सुनाया. उच्च न्यायालय ने मोहन नायक के विरुद्ध ककोका के तहत जांच की मंजूरी देने संबंधी 14 अगस्त 2018 का पुलिस आदेश निरस्त कर दिया था.

लंकेश की पांच सितंबर 2017 की रात को बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर में स्थित उनके घर के पास ही उनकी नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. शीर्ष अदालत ने 21 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए यह संकेत दिया कि वह आरोपपत्र निरस्त करने के उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर देगा.

पढ़ें :- पत्रकार गौरी लंकेश हत्या मामले में कर्नाटक सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

उच्चतम न्यायालय ने राज्य की ओर से पेश हुए वकील से भी पूछा कि आरोपी के विरुद्ध पहले कोई मामला दर्ज नहीं था, तो उसके विरुद्ध 'ककोका' के प्रावधानों के तहत कार्रवाई क्यों की गई.

इस पर राज्य सरकार के वकील ने कहा था कि प्रारंभिक आरोप पत्र भारतीय दंड संहिता और शस्त्र कानून के प्रावधानों के तहत दाखिल किया गया था. इसके बाद, जांच के दौरान आरोपी की भूमिका जांच अधिकारी के संज्ञान में आई थी. इसके बाद ही यह मंजूरी ली गयी थी.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के एक आरोपी के विरुद्ध कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (ककोका) के प्रावधानों के तहत अपराध का आरोप पत्र निरस्त कर दिया था.

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल के निर्णय को चुनौती देने वाली राज्य सरकार और गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश की अपील पर यह फैसला सुनाया. उच्च न्यायालय ने मोहन नायक के विरुद्ध ककोका के तहत जांच की मंजूरी देने संबंधी 14 अगस्त 2018 का पुलिस आदेश निरस्त कर दिया था.

लंकेश की पांच सितंबर 2017 की रात को बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर में स्थित उनके घर के पास ही उनकी नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. शीर्ष अदालत ने 21 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए यह संकेत दिया कि वह आरोपपत्र निरस्त करने के उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर देगा.

पढ़ें :- पत्रकार गौरी लंकेश हत्या मामले में कर्नाटक सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

उच्चतम न्यायालय ने राज्य की ओर से पेश हुए वकील से भी पूछा कि आरोपी के विरुद्ध पहले कोई मामला दर्ज नहीं था, तो उसके विरुद्ध 'ककोका' के प्रावधानों के तहत कार्रवाई क्यों की गई.

इस पर राज्य सरकार के वकील ने कहा था कि प्रारंभिक आरोप पत्र भारतीय दंड संहिता और शस्त्र कानून के प्रावधानों के तहत दाखिल किया गया था. इसके बाद, जांच के दौरान आरोपी की भूमिका जांच अधिकारी के संज्ञान में आई थी. इसके बाद ही यह मंजूरी ली गयी थी.

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