नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में साल 2017 में पारित गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया है, जिसने पंजाब नेशनल बैंक ऋण घोटाला मामले के बाद देश से भाग गए भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी के खिलाफ गुजरात पुलिस द्वारा 2015 की एफआईआर को रद्द कर दिया था. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि 'आक्षेपित फैसले या वर्तमान आदेश में किए गए किसी भी निष्कर्ष या टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना जांच जारी रहेगी.'
पीठ ने कहा कि 'हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि जांच करते समय, जांच अधिकारी आईपीसी की धारा 406, 420, 464 और 465 आदि की व्याख्या करने वाले इस न्यायालय और उच्च न्यायालयों के फैसलों को ध्यान में रखेंगे.' शीर्ष अदालत ने दिग्विजयसिंह हिम्मतसिंह जाडेजा द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया.
उच्च न्यायालय ने 5 मई, 2017 को पारित एक फैसले में, 23 जनवरी, 2015 को पुलिस स्टेशन गांधीनगर जोन में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की अनुमति दी. हाई कोर्ट ने मामले में विस्तृत तथ्यात्मक परीक्षण और मूल्यांकन किया. शीर्ष अदालत ने कहा कि उसकी राय है कि उक्त परीक्षा और मूल्यांकन उच्च न्यायालय द्वारा नहीं किया जाना चाहिए था.
शीर्ष अदालत ने 29 नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा कि तथ्य के विवादित प्रश्न हैं, क्योंकि निजी प्रतिवादियों ने यह दलील दी है कि 25 जुलाई, 2013 और अगस्त, 2013 के दो समझौते कंपनी - गीतांजलि ज्वैलरी रिटेल लिमिटेड (जीजेआरएल) पर बाध्यकारी नहीं हैं, जो गीतांजलि जेम्स लिमिटेड की सहायक कंपनी है. अपीलकर्ता की ओर से उपस्थित विद्वान वकील - दिग्विजयसिंह हिम्मतसिंह जाडेजा वास्तव में प्रस्तुत करते हैं कि समझौते वैध और बाध्यकारी हैं.