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सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में इंटरनेट की सीमित बहाली पर मणिपुर हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से किया इनकार

मणिपुर की हिंसा को देखते हुए इंटरनेट की सेवाओं को बंद करने के बाद सीमित बहाली को लेकर मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jul 17, 2023, 8:21 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हिंसा प्रभावित राज्य मणिपुर में इंटरनेट की सीमित बहाली के मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मणिपुर सरकार को उच्च न्यायालय का रुख करने और आदेश को लागू करने में सरकार को आने वाली कठिनाइयों के बारे में सूचित करने की स्वतंत्रता दी है.

मणिपुर सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष कहा कि इंटरनेट का सवाल कभी खुला होता है तो कभी नहीं और अदालत से आग्रह किया कि इन आधारों पर इंटरनेट का मुद्दा सरकार के विवेक पर छोड़ा जा सकता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय को अपनी कठिनाइयां बता सकती है और कहा कि उच्च न्यायालय ने पहले ही मामले को समझ लिया है और इस महीने के अंत में इस पर सुनवाई होनी है.

मेहता ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करने पर अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की आशंका व्यक्त की. शीर्ष अदालत ने मेहता को आश्वासन दिया कि हम हमेशा यहां हैं, और राज्य सरकार को उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता दी. मणिपुर सरकार ने इंटरनेट की सीमित बहाली के मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था. बता दें कि गैर-आदिवासी मेइती और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच 3 मई से जातीय हिंसा फैलने के बाद से इंटरनेट निलंबन जारी है.

जानकारी के अनुसार मणिपुर में हिंसा की छिटपुट घटनाएं जारी हैं. राज्य सरकार ने अफवाहों और वीडियो, फोटो और संदेशों के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है. इससे पहले 6 जुलाई को, शीर्ष अदालत ने मणिपुर में इंटरनेट शटडाउन को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करने से यह देखते हुए इनकार कर दिया था कि राज्य उच्च न्यायालय पहले से ही इसी तरह की याचिका पर सुनवाई कर रहा है.

इसने मणिपुर में जनजातीय क्षेत्रों में सुरक्षा प्रदान करने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों को निर्देश देने से भी यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि शीर्ष अदालत ने अपने 72 वर्षों के अस्तित्व में कभी भी सेना को सैन्य, सुरक्षा या बचाव ऑपरेशन के तरीके के बारे में निर्देश जारी नहीं किए हैं. न्यायमूर्ति उत्पलेंदु विकास साहा (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाले मणिपुर मानवाधिकार आयोग (एमएचआरसी) ने पहले मणिपुर सरकार से इंटरनेट सेवाओं की बहाली पर विचार करने के लिए कहा था, जो पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से निलंबित कर दी गई थी.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हिंसा प्रभावित राज्य मणिपुर में इंटरनेट की सीमित बहाली के मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मणिपुर सरकार को उच्च न्यायालय का रुख करने और आदेश को लागू करने में सरकार को आने वाली कठिनाइयों के बारे में सूचित करने की स्वतंत्रता दी है.

मणिपुर सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष कहा कि इंटरनेट का सवाल कभी खुला होता है तो कभी नहीं और अदालत से आग्रह किया कि इन आधारों पर इंटरनेट का मुद्दा सरकार के विवेक पर छोड़ा जा सकता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय को अपनी कठिनाइयां बता सकती है और कहा कि उच्च न्यायालय ने पहले ही मामले को समझ लिया है और इस महीने के अंत में इस पर सुनवाई होनी है.

मेहता ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करने पर अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की आशंका व्यक्त की. शीर्ष अदालत ने मेहता को आश्वासन दिया कि हम हमेशा यहां हैं, और राज्य सरकार को उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता दी. मणिपुर सरकार ने इंटरनेट की सीमित बहाली के मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था. बता दें कि गैर-आदिवासी मेइती और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच 3 मई से जातीय हिंसा फैलने के बाद से इंटरनेट निलंबन जारी है.

जानकारी के अनुसार मणिपुर में हिंसा की छिटपुट घटनाएं जारी हैं. राज्य सरकार ने अफवाहों और वीडियो, फोटो और संदेशों के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है. इससे पहले 6 जुलाई को, शीर्ष अदालत ने मणिपुर में इंटरनेट शटडाउन को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करने से यह देखते हुए इनकार कर दिया था कि राज्य उच्च न्यायालय पहले से ही इसी तरह की याचिका पर सुनवाई कर रहा है.

इसने मणिपुर में जनजातीय क्षेत्रों में सुरक्षा प्रदान करने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों को निर्देश देने से भी यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि शीर्ष अदालत ने अपने 72 वर्षों के अस्तित्व में कभी भी सेना को सैन्य, सुरक्षा या बचाव ऑपरेशन के तरीके के बारे में निर्देश जारी नहीं किए हैं. न्यायमूर्ति उत्पलेंदु विकास साहा (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाले मणिपुर मानवाधिकार आयोग (एमएचआरसी) ने पहले मणिपुर सरकार से इंटरनेट सेवाओं की बहाली पर विचार करने के लिए कहा था, जो पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से निलंबित कर दी गई थी.

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