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SC ने कैंसर पीड़ित आरोपी की जमानत रद्द करने की याचिका के लिए ED की खिंचाई की

ईडी (ED) के द्वारा कैंसर पीड़ित एक आरोपी की जमानत रद्द करने का अनुरोध करने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उसकी खिंचाई की. साथ ही कोर्ट ने कहा कि विभाग को स्टेशनरी, कानूनी शुल्क के अलावा कोर्ट का समय बर्बाद नहीं करना चाहिए.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 28, 2022, 2:58 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कैंसर से पीड़ित एक आरोपी की जमानत रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका दायर करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) की खिंचाई करते हुए कहा कि उसे 'स्टेशनरी, कानूनी शुल्क और अदालत का वक्त' बर्बाद नहीं करना चाहिए. एक निजी बैंक के कर्मचारी आरोपी को 24 करोड़ रुपये के गबन के मामले के संबंध में गिरफ्तार किया गया था.

न्यायमूर्ति एमआर शाह (Justices MR Shah) और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश (Justices MM Sundresh) की पीठ ने विशेष अनुमति याचिका दायर करने की अनुमति देने वाले संबंधित अधिकारी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. पीठ ने कहा, 'विभाग को स्टेशनरी, कानूनी शुल्क और अदालत का वक्त बर्बाद करते हुए ऐसी विशेष अनुमति याचिका दायर नहीं करनी चाहिए थी. विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है और यह याचिका दायर करने की अनुमति देने वाले संबंधित अधिकारी पर 1,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है जो उसके वेतन से वसूला जाएगा.'

कोर्ट ने कहा, 'विभाग आज से चार सप्ताह के भीतर इस अदालत की पंजी में जुर्माना जमा कराएगा. जुर्माने की 50,000 रुपये की राशि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली को दी जाएगी तथा 50,000 रुपये मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति, सुप्रीम कोर्ट को दिए जाएंगे.' ईडी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 12 नंवबर 2021 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हाई कोर्ट ने आरोपी को कैंसर से पीड़ित होने के आधार पर जमानत दी थी. हाई कोर्ट ने कमला नेहरू अस्पताल, प्रयागराज के संबंधित डॉक्टर से याचिकाकर्ता की जांच करने और उसके स्वास्थ्य तथा कैंसर पर एक रिपोर्ट सौंपने के लिए भी कहा था.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कैंसर से पीड़ित एक आरोपी की जमानत रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका दायर करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) की खिंचाई करते हुए कहा कि उसे 'स्टेशनरी, कानूनी शुल्क और अदालत का वक्त' बर्बाद नहीं करना चाहिए. एक निजी बैंक के कर्मचारी आरोपी को 24 करोड़ रुपये के गबन के मामले के संबंध में गिरफ्तार किया गया था.

न्यायमूर्ति एमआर शाह (Justices MR Shah) और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश (Justices MM Sundresh) की पीठ ने विशेष अनुमति याचिका दायर करने की अनुमति देने वाले संबंधित अधिकारी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. पीठ ने कहा, 'विभाग को स्टेशनरी, कानूनी शुल्क और अदालत का वक्त बर्बाद करते हुए ऐसी विशेष अनुमति याचिका दायर नहीं करनी चाहिए थी. विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है और यह याचिका दायर करने की अनुमति देने वाले संबंधित अधिकारी पर 1,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है जो उसके वेतन से वसूला जाएगा.'

कोर्ट ने कहा, 'विभाग आज से चार सप्ताह के भीतर इस अदालत की पंजी में जुर्माना जमा कराएगा. जुर्माने की 50,000 रुपये की राशि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली को दी जाएगी तथा 50,000 रुपये मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति, सुप्रीम कोर्ट को दिए जाएंगे.' ईडी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 12 नंवबर 2021 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हाई कोर्ट ने आरोपी को कैंसर से पीड़ित होने के आधार पर जमानत दी थी. हाई कोर्ट ने कमला नेहरू अस्पताल, प्रयागराज के संबंधित डॉक्टर से याचिकाकर्ता की जांच करने और उसके स्वास्थ्य तथा कैंसर पर एक रिपोर्ट सौंपने के लिए भी कहा था.

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(पीटीआई-भाषा)

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