नई दिल्ली : कोरोना महामारी को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने वेदांता को ऑक्सीजन के उत्पादन के लिये तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित संयंत्र के संचालन की अनुमति दी है. कोर्ट ने कहा है कि केवल स्टरलाइट के ऑक्सीजन संयंत्र के संचालन की अनुमति होगी, देश में ऑक्सीजन की जरूरत को देखते हुए यह आदेश पारित किया गया है.
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वेदांता को ऑक्सीजन संयंत्र के संचालन की अनुमति देने का आदेश किसी भी तरह से कंपनी के हित में किसी प्रकार का सृजन नहीं माना जाएगा.
सुप्रीम काेर्ट के ऑर्डर के मुताबिक, यह संयंत्र का उपयोग केवल चिकित्सा के लिए उपयाेग में आने वाले ऑक्सीजन के लिए किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि वेदांता को इस संशोधन को छोड़कर पहले जारी किए गए न्यायालय के अन्य निर्देशों का पालन करना चाहिए. कोर्ट का आदेश 31 जुलाई 2021 तक लागू रहेगा. इसके बाद राज्य में महामारी की स्थिति काे देखते हुए आगे निर्णय लिया जाएगा.
बता दें कि आज मामले की सुनवाई के दाैरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विभिन्न राज्यों को आवंटन के लिए उत्पादित ऑक्सीजन केंद्र को दी जानी चाहिए.
बता दें कि, तमिलनाडु सरकार ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर चार महीने के लिए तूतीकोरिन में वेदांता स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को ऑक्सीजन निर्माण की अनुमति देने के मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलायी.
इससे प्रदूषण की चिंताओं के कारण बंद पड़े तांबा पिघलाने वाले संयंत्र को आंशिक रूप से फिर से खोले जाने का रास्ता साफ हुआ.
राज्य सरकार ने मई 2018 में दक्षिणी जिले में स्टरलाइट के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोलीबारी में 13 प्रदर्शनकारियों के मारे जाने के बाद संयंत्र को बंद कर दिया था.
मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी की अगुवाई में सोमवार को बैठक हुई जिसमें मुख्य विपक्षी पार्टी द्रमुक एवं अन्य शामिल हुए. बैठक में स्टरलाइट को अपने तूतीकोरिन संयंत्र में ऑक्सीजन निर्माण की इजाजत देने के लिए समाधान तलाशा गया. कुछ दिन पहले वेदांता ने इसी संबंध में उच्चतम न्यायालय का रुख कर ऑक्सीजन निर्माण की इच्छा जतायी थी.
बैठक में कहा गया, उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार तूतीकोरिन में वेदांता के स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को मरम्मत एवं ऑक्सीजन के निर्माण तथा संबंधित उपकरण के लिए चार महीने बिजली आपूर्ति बहाल की जा सकती है.
आदेश में कहा गया कि इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है लेकिन किसी कीमत पर वहां अन्य गतिविधि जैसे कि तांबा निर्माण और सह-निर्माण संयंत्र को नहीं चलाया जायेगा. इस अवधि (चार महीने) के बाद संयंत्र को बिजली आपूर्ति बंद कर दी जायेगी.
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शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं. अदालत ने तमिलनाडु सरकार से सवाल किया कि कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए ऑक्सीजन निर्माण को लेकर आखिर राज्य सरकार स्टरलाइट तांबा संयंत्र को अपने हाथ में क्यों नहीं ले रही है.
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश ए ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हमें इस बात में कोई रूचि नहीं है कि संयंत्र को वेदांता या ए, बी या सी चलाता है. हमें बस इतना पता है कि ऑक्सीजन निर्माण होना चाहिए.