नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु के पूर्व वित्त मंत्री पीटीआर त्यागराजन से जुड़े कथित ऑडियो टेप लीक मामले की जांच के लिए एक जांच आयोग के गठन की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने टिप्पणी की कि यह बिल्कुल फर्जी याचिका व अफवाह है.
पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि कथित ऑडियो में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के परिवार का जिक्र है, जिसके साक्ष्य का कोई मूल्य नहीं है और शीर्ष अदालत को राजनीतिक मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज करते हुए कहा कि आपके पास कार्रवाई योग्य सामग्री क्या है? कुछ ऑडियो क्लिप के आधार पर आप चाहते हैं कि हम एक जांच आयोग बनाएं. इसे (अदालत) को राजनीतिक मंच के रूप में इस्तेमाल न करें.
तमिलनाडु में राज्य के हाई प्रोफाइल वित्त मंत्री पीटीआर त्यागराजन से उनका मंत्रालय छीन लिया गया और उन्हें एक लो-प्रोफ़ाइल आईटी पोर्टफोलियो दिया गया. यह कदम उस ऑडियो लीक से जुड़ा था, जिसमें वक्ता - कथित तौर पर पीटीआर को यह कहते हुए सुना गया था कि स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन और उनके दामाद सबरीसन स्टालिन सरकार के सत्ता संभालने के बाद भारी पैसा कमा रहे थे.
त्यागराजन ने इससे इनकार किया और कहा कि यह उनकी आवाज की नकल करने वाला एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता-निर्मित ऑडियो टेप है. उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी स्थिति बताई. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा था कि राज्य के तत्कालीन वित्त मंत्री त्यागराजन से जुड़े कथित ऑडियो टेप लीक के पीछे घटिया राजनीति है.
डीएमके ने कहा था कि पार्टी ऑडियो टेप लीक मामले में भाजपा नेता के अन्नामलाई के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करेगी, उन्होंने कहा कि भाजपा नेता के खिलाफ मामला दर्ज करना त्यागराजन पर निर्भर है, क्योंकि यह उनके खिलाफ एक व्यक्तिगत आरोप है.