ETV Bharat / bharat

स्कूल पाठ्यक्रम में पूर्वोत्तर के इतिहास को शामिल करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें उत्तर पूर्व भारत के भूगोल और इतिहास के अध्यायों को शामिल करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव की मांग की गई थी.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
author img

By

Published : Dec 2, 2022, 9:50 PM IST

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उत्तर पूर्व भारत के भूगोल और इतिहास के अध्यायों को शामिल करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव की मांग की गई थी. न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा राव की पीठ ने भी कहा कि वे कानून बनाने वाले प्राधिकरण को इस तरह से रिट परमादेश जारी नहीं कर सकते हैं, ऐसे मामले कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आते हैं और अदालत इस तरह के आदेश पारित नहीं कर सकती है.

ज्योति जोंगलुजू द्वारा दायर याचिका में नस्लीय भेदभाव को रोकने के लिए कानून में बदलाव करने के लिए सरकार को निर्देश देने की भी मांग की गई थी. अदालत ने कहा कि 'नस्लीय भेदभाव के लिए आप पुलिस के पास जाते हैं. इतिहास, भूगोल के अध्यायों सहित नीति से संबंधित है और मेरा मानना है कि बच्चों को जितना संभव हो उतना कम पढ़ाएं क्योंकि यह अब सभी सूचनाओं का भार है और समाज में हर बुराई अदालत के हस्तक्षेप के लायक नहीं है.'

पढ़ें: SC ने 'मातृभूमि अखबार' में कारोबारी के लिए 'माफिया' शब्द के इस्तेमाल पर जताई नाराजगी

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि विशेष रूप से महामारी के दौरान उत्तर पूर्व के लोगों को नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा है. अदालत ने आदेश दिया कि 'लेकिन आप चाहते हैं कि हम आईपीसी प्रावधानों में बदलाव करें और हम ऐसा नहीं कर सकते. याचिका खारिज की जाती है.'

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उत्तर पूर्व भारत के भूगोल और इतिहास के अध्यायों को शामिल करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव की मांग की गई थी. न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा राव की पीठ ने भी कहा कि वे कानून बनाने वाले प्राधिकरण को इस तरह से रिट परमादेश जारी नहीं कर सकते हैं, ऐसे मामले कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में आते हैं और अदालत इस तरह के आदेश पारित नहीं कर सकती है.

ज्योति जोंगलुजू द्वारा दायर याचिका में नस्लीय भेदभाव को रोकने के लिए कानून में बदलाव करने के लिए सरकार को निर्देश देने की भी मांग की गई थी. अदालत ने कहा कि 'नस्लीय भेदभाव के लिए आप पुलिस के पास जाते हैं. इतिहास, भूगोल के अध्यायों सहित नीति से संबंधित है और मेरा मानना है कि बच्चों को जितना संभव हो उतना कम पढ़ाएं क्योंकि यह अब सभी सूचनाओं का भार है और समाज में हर बुराई अदालत के हस्तक्षेप के लायक नहीं है.'

पढ़ें: SC ने 'मातृभूमि अखबार' में कारोबारी के लिए 'माफिया' शब्द के इस्तेमाल पर जताई नाराजगी

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि विशेष रूप से महामारी के दौरान उत्तर पूर्व के लोगों को नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा है. अदालत ने आदेश दिया कि 'लेकिन आप चाहते हैं कि हम आईपीसी प्रावधानों में बदलाव करें और हम ऐसा नहीं कर सकते. याचिका खारिज की जाती है.'

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.