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जनसंख्या नियंत्रण: SC ने कहा, सीधे हमारे पास आने से सभी समस्याएं हल नहीं हो सकतीं - Population Control PIL

सुप्रीम कोर्ट ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर दायर जनहित याचिका (Population Control PIL) पर सुनवाई जारी रखने के प्रति अनिच्छा व्यक्त की है. याचिका में अदालत से केंद्र और राज्यों को देश की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिए कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गई है.

जनसंख्या नियंत्रण जनहित याचिका
Population Control PIL
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Published : Sep 30, 2022, 11:06 PM IST

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि समाज में कई मुद्दों के हल की जरूरत है लेकिन सीधे शीर्ष अदालत का रुख करने से हर समस्या का समाधान नहीं हो सकता है. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर दायर एक जनहित याचिका (Population Control PIL) पर सुनवाई जारी रखने के प्रति अनिच्छा व्यक्त करते हुए न्यायालय ने यह टिप्प्णी की. प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ सभी राज्यों को नोटिस जारी करने के प्रति भी अनिच्छुक थी.

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने राज्यों को नोटिस जारी करने की मांग की थी. याचिका में अदालत से केंद्र और राज्यों को देश की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिए कदम उठाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है. जिसमें दो बच्चों के मानक को लागू करना शामिल है. पीठ ने कहा कि आपने याचिका दायर की है जिस पर नोटिस जारी किया गया और सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया था. उन्होंने इस समस्या पर अपना दिमाग लगा दिया और अब नीतिगत फैसला लेना उन पर निर्भर है. हमारा काम खत्म हो गया. इसलिए अब हम याचिका का पटाक्षेप कर देंगे.

पीठ की यह टिप्प्णी तब आई जब पेशे से अधिवक्ता व याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि चूंकि जनसंख्या का विषय संविधान की समवर्ती सूची के तहत आता है. इसलिए राज्य सरकार भी इस पर नियंत्रण के लिए कानून बना सकती है. इसी के आधार पर याचिकाकर्ता ने सभी राज्यों को नोटिस जारी करने की मांग की. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हम इस तरह का नोटिस जारी नहीं करेंगे जब तक कि हम संतुष्ट नहीं हो जाते.

इसे भी पढ़ें- सार्वजनिक स्थानों पर संविधान की प्रस्तावना के प्रदर्शन की मांग संबंधी याचिका खारिज

न्यायाधीश ने सवालिया लहजे में पूछा कि अदालत जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर कैसे राज्यों के लिए रिट जारी कर सकती है. पीठ ने कहा कि एक समाज में हमेशा कुछ न कुछ विवाद रहते हैं और उन विवादों के समाधान की जरूरत होती है. इसलिए ऐसा नहीं हो सकता कि बिना समस्या वाला कोई समाज हो. पीठ ने कहा कि हर समस्या का समाधान अनुच्छेद 32 के तहत नहीं हो सकता. इस अनुच्छेद के तहत सीधे उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जा सकती है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि समाज में कई मुद्दों के हल की जरूरत है लेकिन सीधे शीर्ष अदालत का रुख करने से हर समस्या का समाधान नहीं हो सकता है. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर दायर एक जनहित याचिका (Population Control PIL) पर सुनवाई जारी रखने के प्रति अनिच्छा व्यक्त करते हुए न्यायालय ने यह टिप्प्णी की. प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ सभी राज्यों को नोटिस जारी करने के प्रति भी अनिच्छुक थी.

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने राज्यों को नोटिस जारी करने की मांग की थी. याचिका में अदालत से केंद्र और राज्यों को देश की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिए कदम उठाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है. जिसमें दो बच्चों के मानक को लागू करना शामिल है. पीठ ने कहा कि आपने याचिका दायर की है जिस पर नोटिस जारी किया गया और सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया था. उन्होंने इस समस्या पर अपना दिमाग लगा दिया और अब नीतिगत फैसला लेना उन पर निर्भर है. हमारा काम खत्म हो गया. इसलिए अब हम याचिका का पटाक्षेप कर देंगे.

पीठ की यह टिप्प्णी तब आई जब पेशे से अधिवक्ता व याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि चूंकि जनसंख्या का विषय संविधान की समवर्ती सूची के तहत आता है. इसलिए राज्य सरकार भी इस पर नियंत्रण के लिए कानून बना सकती है. इसी के आधार पर याचिकाकर्ता ने सभी राज्यों को नोटिस जारी करने की मांग की. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हम इस तरह का नोटिस जारी नहीं करेंगे जब तक कि हम संतुष्ट नहीं हो जाते.

इसे भी पढ़ें- सार्वजनिक स्थानों पर संविधान की प्रस्तावना के प्रदर्शन की मांग संबंधी याचिका खारिज

न्यायाधीश ने सवालिया लहजे में पूछा कि अदालत जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर कैसे राज्यों के लिए रिट जारी कर सकती है. पीठ ने कहा कि एक समाज में हमेशा कुछ न कुछ विवाद रहते हैं और उन विवादों के समाधान की जरूरत होती है. इसलिए ऐसा नहीं हो सकता कि बिना समस्या वाला कोई समाज हो. पीठ ने कहा कि हर समस्या का समाधान अनुच्छेद 32 के तहत नहीं हो सकता. इस अनुच्छेद के तहत सीधे उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जा सकती है.

(पीटीआई-भाषा)

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