लखनऊ : मलिहाबादी दशहरी अपने रंग रूप और स्वाद के लिए पूरे विश्व में एक अलग पहचान बनाए हुए है जो ज्यादा देशों में निर्यात होती है. वहीं इस बार जापान के लोग भी मलिहाबादी लंगड़ा और चौसा का स्वाद चखेंगे. जांच के बाद चौसा और लंगड़ा आम के निर्यात को मंजूरी मिल गई है. अभी तक सऊदी अरब, दुबई, कटर, ओमान व इंग्लैंड में सप्लाई हो रही है. कई देशों के साथ-साथ अब जापान में भी चौसा व लंगड़ा का निर्यात होगा.
मैंगो पैक हाउस के मैनेजर कैप्टन अकरम बेग ने बताया कि 'पिछले साल जापान की फूड सेफ्टी टीम ने मलिहाबाद आकर कई वैरायटी के आमों के सैंपल लिए थे. इनकी जांच के बाद जापान सरकार ने इस साल से आम के निर्यात की मंजूरी दे दी है. मैंगो पैक हाउस से जापान के लिए जल्द ही 350 किलो आम की पहली खेप भेजी जाएगी.'
ओमान में लंगड़ा और चौसा की सप्लाई : मैंगो पैक हाउस के कैप्टन अकरम बेग ने बताया कि 'एक कंपनी के जरिए 450 किलो दशहरी आम खरीदकर 6 जून को ओमान भेजा गया है. इसके अलावा 500 किलो लंगड़ा और 350 किलो चौसा भी एक बड़ी रिटेल कंपनी को भेजा गया है.'
लंदन गई जर्दा आम की पहली खेप : इस साल पहली बार लंदन में बिहार के जर्दा आम की सप्लाई शुरू हुई है. जानकारी के मुताबिक, लंदन के लिए एक जून को 15 क्विंटल तो दुबई के लिए 10 क्विंटल जर्दा आम भेजा गया है.
बता दें मलिहाबाद के नवीपनाह के बागवान उपेन्द्र सिंह ने पीएम मोदी के नाम से आम की नई किस्म तैयार की है. इस आम की खासियत है कि इसमें रेशा काफी कम है जबकि गूदा सबसे ज्यादा है. देसी आमों के मुकाबले इसमें मिठास भी कम है. फाॅदर ऑफ मोदी मैंगो उपेंद्र सिंह ने बताया कि अगले साल 'मोदी आम' को बाजार में लाया जाएगा. इसको लगाने का काम शुरू कर दिया गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक अनंत कुमार ने आम की नई किस्म विकसित करने वाले बागवान उपेन्द्र सिंह को रजिस्ट्रेशन पत्र सौंपा है.
5 से 6 दिनों तक नहीं होगा खराब : मोदी आम सामान्य आम की अन्य किस्मों से बिल्कुल अलग है. देखने में यह देसी आम की तरह है. इसमें मिठास देसी आम के मुकाबले काफी कम है. मोदी आम में टीएसएच 14 है, जबकि अन्य आमों में टीएसएच 20 से 22 होता है. इसके कारण मीठा ज्यादा होने के कारण यह जल्दी खराब भी हो जाता है, जबकि मोदी आम ऐसा बिल्कुल ही नहीं है. यह आम 5 से 6 दिन तक खराब नहीं होता है. जिसको लोग ज्यादा दिनों तक घरों में रखकर इसका स्वाद ले सकते हैं.