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मंदिर की दीवार पर लिखकर मांगते हैं मन्नत, कोई खुश रहना, सिलेक्शन व डिप्रेशन से निकलने की लगाता है गुहार

विद्यार्थियों की शहर के तलवंडी में स्थित राधा कृष्ण मंदिर से भी गहरा लगाव है. यहां पर सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी रोजाना आते हैं और मंदिर की दीवारों पर अपनी मन्नत भी लिखते हैं. बच्चों का मानना है कि ऐसा करने से उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है.

Student write their wish on temple wall in Kota
मंदिर की दीवारों पर लिखी स्टूडेंटों की अर्जी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 8, 2023, 8:49 AM IST

Updated : Sep 8, 2023, 10:03 AM IST

मंदिर की दीवार पर लिखकर मांगते हैं मन्नत

कोटा. शिक्षा की नगरी कोटा में लाखों की संख्या में विद्यार्थी मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी के लिए आते हैं. जिन विद्यार्थियों की शहर के तलवंडी में स्थित राधा कृष्ण मंदिर से भी गहरा लगाव है. यहां पर सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी रोज आते हैं और मंदिर में अपनी मन्नत मांगने के लिए दीवारों पर अर्जी भी लिखते हैं. बच्चों का विश्वास है कि यहां लिखने से उनकी मनोकामना जल्द पूरी हो जाती है, इसीलिए वह ऐसा करते हैं. कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जो डिप्रेशन का शिकार होने के बाद भी मंदिर में अपनी भावना को प्रकट करते हैं. इसके लिए मंदिर की जो दीवारें चंद महीनों में ही बच्चों की कमेंट से पट जाती है. ऐसे में मंदिर प्रबंधन को इसकी पुताई भी करवानी पड़ती है. बार-बार कलर करने का खर्चा भी मंदिर को उठाना पड़ता है, लेकिन बच्चों को दीवार पर लिखने से रोका नहीं जाता है. बच्चे यहां पर मन्नत मांगते हैं और अपने सिलेक्शन के लिए भी भगवान से अर्जी भी लगाते हैं. मंदिर में सेवा पूजा करने वाले पंडित राधेश्याम का कहना है कि बच्चों को यहां पर आने से कोई रोकता नहीं है. बच्चे यहां पर आते हैं और भगवान के दर्शन भी करते हैं, उनके परिजन भी आते हैं. यहां तक की कई पेरेंट्स भी यहां पर कमेंट लिख कर जाते हैं. सभी ज्यादातर अपने सिलेक्शन और परिवार की खुशी की मांग भगवान से करते हैं.

इस तरह के लिखे हैं कमेंट
इस तरह के लिखे हैं कमेंट

15 साल से लिख रहे अपनी अर्जी : मंदिर समिति के प्रवक्ता रवि अग्रवाल का कहना है कि कोटा में पहले अधिकांश कोचिंग विज्ञाननगर, जवाहर नगर, शीला चौधरी रोड और तलवंडी इलाके में ही थे. ऐसे में यहां पर ही ज्यादातर बच्चे रहा करते थे. इसीलिए शुरुआत में यहां बच्चों ने यह लिखने का क्रम शुरू किया और यह प्रक्रिया धीरे-धीरे बढ़ती चली गई. शुरुआत में एक दो बच्चों ने इसकी शुरुआत की थी. फिर यह संख्या लगातार बढ़ती गई, अब एग्जाम के आसपास तो रोजाना लगभग 500 स्टूडेंट लिखकर यहां पर अपनी अर्जी लगाते हैं. साथ ही भगवान को उसकी अर्जी को पूरी करने की मनोकामना करते हैं. यह कार्य पिछले 10 से 15 साल से अनवरत जारी है.

Temple walls full of students wish
अर्जियों से भरी हैं मंदिर की दीवारें

पढ़ें ब्रज से मेवाड़ जाते अजमेर में रुके थे श्रीनाथजी 42 दिन, जन्माष्टमी पर दर्शनों के लिए आते हैं श्रद्धालु

शुरू में जताया था विरोध : शुरुआत में मंदिर समिति ने इसका विरोध भी जताया था. बच्चों को मंदिर की दीवार गंदा करने की बात कह कर रोका भी था, लेकिन बाद में बच्चों की आस्था को देखते हुए टोकना भी बंद कर दिया. ऐसे में हालात ऐसे हैं कि हर महीने ही मंदिर की दीवारों की पुताई करानी पड़ती है. बच्चों को जहां जगह मिलती है, वहां लिख देते हैं लकड़ी की अलमारी, कांच की खिड़की और यहां तक की टाइल और संगमरमर के पत्थर पर भी यह लिखकर चले जाते हैं. जिसमें स्केच पेन से लेकर मारकर और व्हाइटनर का भी यूज विद्यार्थी करते हैं. जिन विद्यार्थियों को नीचे जगह नहीं मिलती वह स्टूल का सहारा लेकर 7 से 8 फीट ऊंचाई पर भी लिख देते हैं.

temple walls having students wish
मंदिर की दीवारें अर्जियों से भरी पड़ी है

पढ़ें जोधपुर में जन्माष्टमी पर सुबह से देर रात तक निकली शोभा यात्राएं, देखिए वीडियो

धार्मिक कार्य में लेते हैं भाग : राधा कृष्ण मंदिर तलवंडी में कोचिंग एरिया में ही स्थित है. इस समय सुबह और शाम जब मंदिर के पट खुलते हैं, तो बड़ी संख्या में विद्यार्थी और उनके परिजन भी यहां आते हैं. वे यहां पर चल रहे धार्मिक कार्यक्रमों में भी भाग लेते हैं. पढ़ाई के दौरान करीब 1 से 2 साल विद्यार्थी कोटा में रहते हैं. ऐसे में विद्यार्थियों को इस मंदिर से काफी जुड़ाव हो जाता है. साथ ही यहां लिखने की परंपरा की जानकारी भी यहां से पढ़कर गए विद्यार्थियों से ही उनको मिलती है, ऐसे में बच्चे इस नियम का फॉलो करते हैं. मंदिर में आरती के समय बड़ी संख्या में स्टूडेंट यहां पर आकर बैठ जाते हैं. कुछ विद्यार्थी तो ऐसे हैं जो कि भजन और अन्य कार्यों में भी अपनी रुचि दिखाते हैं. जन्माष्टमी के दिनों में बड़ी संख्या में पेरेंट्स और बच्चे इसमें पार्टिसिपेट करते हैं.

Student write their wish on temple wall in Kota
मंदिर की दीवारों पर लिखी स्टूडेंटों की अर्जी

पढ़ें श्री कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में, छोटी काशी में सुबह 4:30 बजे से होंगे भगवान के दर्शन

नीट, जेईई व कॉम्पिटेटिव एक्जाम की मांगते हैं मन्नत : मंदिर समिति के चेयरमैन आरसी अग्रवाल का कहना है कि कोटा में अमूमन 2 लाख के आसपास बच्चे आते हैं, लेकिन इस मंदिर में हर साल 50 से 60 हजार बच्चे आते हैं. जब एग्जाम का टाइम (जनवरी से लेकर जून तक) आता है तब स्टूडेंटों की संख्या काफी बढ़ जाती है. ऐसे में इन महीनों में करीब रोजाना 200 बच्चे अपनी मन्नत लिखने के लिए आते हैं. यहां तक की बच्चों के पेरेंट्स भी जब कोटा आते हैं, तो इस मंदिर को देखने के लिए जरूर आते हैं. इन विद्यार्थियों में नीट और जेईई की परीक्षा दे रहे विद्यार्थियों के साथ-साथ अन्य कॉम्पिटेटिव एक्जाम और 10वीं 12वीं बोर्ड के विद्यार्थी भी शामिल हैं. इनको फॉलो करते हुए कोटा के स्थानीय विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में अपनी अर्जियां लगाने आते हैं.

हर लैंग्वेज में लिखे हुए हैं कमेंट : राधा कृष्ण मंदिर समिति के अध्यक्ष गोविंद नारायण का कहना है कि हर लैंग्वेज में यहां पर स्टूडेंट लिखकर जाते हैं. इनमें हिंदी अंग्रेजी के अलावा मलयालम, तेलुगू, मराठी, उड़िया, असमिया व बंगाली भाषा में भी कमेंट लिखकर चले जाते हैं. अध्यक्ष गोविंद नारायण का यह भी कहना है कि कई मुस्लिम स्टूडेंट भी यहां पर आते हैं. और उर्दू में भी अपनी मन्नत लिखकर चले जाते हैं.

मंदिर की दीवार पर लिखकर मांगते हैं मन्नत

कोटा. शिक्षा की नगरी कोटा में लाखों की संख्या में विद्यार्थी मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी के लिए आते हैं. जिन विद्यार्थियों की शहर के तलवंडी में स्थित राधा कृष्ण मंदिर से भी गहरा लगाव है. यहां पर सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी रोज आते हैं और मंदिर में अपनी मन्नत मांगने के लिए दीवारों पर अर्जी भी लिखते हैं. बच्चों का विश्वास है कि यहां लिखने से उनकी मनोकामना जल्द पूरी हो जाती है, इसीलिए वह ऐसा करते हैं. कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जो डिप्रेशन का शिकार होने के बाद भी मंदिर में अपनी भावना को प्रकट करते हैं. इसके लिए मंदिर की जो दीवारें चंद महीनों में ही बच्चों की कमेंट से पट जाती है. ऐसे में मंदिर प्रबंधन को इसकी पुताई भी करवानी पड़ती है. बार-बार कलर करने का खर्चा भी मंदिर को उठाना पड़ता है, लेकिन बच्चों को दीवार पर लिखने से रोका नहीं जाता है. बच्चे यहां पर मन्नत मांगते हैं और अपने सिलेक्शन के लिए भी भगवान से अर्जी भी लगाते हैं. मंदिर में सेवा पूजा करने वाले पंडित राधेश्याम का कहना है कि बच्चों को यहां पर आने से कोई रोकता नहीं है. बच्चे यहां पर आते हैं और भगवान के दर्शन भी करते हैं, उनके परिजन भी आते हैं. यहां तक की कई पेरेंट्स भी यहां पर कमेंट लिख कर जाते हैं. सभी ज्यादातर अपने सिलेक्शन और परिवार की खुशी की मांग भगवान से करते हैं.

इस तरह के लिखे हैं कमेंट
इस तरह के लिखे हैं कमेंट

15 साल से लिख रहे अपनी अर्जी : मंदिर समिति के प्रवक्ता रवि अग्रवाल का कहना है कि कोटा में पहले अधिकांश कोचिंग विज्ञाननगर, जवाहर नगर, शीला चौधरी रोड और तलवंडी इलाके में ही थे. ऐसे में यहां पर ही ज्यादातर बच्चे रहा करते थे. इसीलिए शुरुआत में यहां बच्चों ने यह लिखने का क्रम शुरू किया और यह प्रक्रिया धीरे-धीरे बढ़ती चली गई. शुरुआत में एक दो बच्चों ने इसकी शुरुआत की थी. फिर यह संख्या लगातार बढ़ती गई, अब एग्जाम के आसपास तो रोजाना लगभग 500 स्टूडेंट लिखकर यहां पर अपनी अर्जी लगाते हैं. साथ ही भगवान को उसकी अर्जी को पूरी करने की मनोकामना करते हैं. यह कार्य पिछले 10 से 15 साल से अनवरत जारी है.

Temple walls full of students wish
अर्जियों से भरी हैं मंदिर की दीवारें

पढ़ें ब्रज से मेवाड़ जाते अजमेर में रुके थे श्रीनाथजी 42 दिन, जन्माष्टमी पर दर्शनों के लिए आते हैं श्रद्धालु

शुरू में जताया था विरोध : शुरुआत में मंदिर समिति ने इसका विरोध भी जताया था. बच्चों को मंदिर की दीवार गंदा करने की बात कह कर रोका भी था, लेकिन बाद में बच्चों की आस्था को देखते हुए टोकना भी बंद कर दिया. ऐसे में हालात ऐसे हैं कि हर महीने ही मंदिर की दीवारों की पुताई करानी पड़ती है. बच्चों को जहां जगह मिलती है, वहां लिख देते हैं लकड़ी की अलमारी, कांच की खिड़की और यहां तक की टाइल और संगमरमर के पत्थर पर भी यह लिखकर चले जाते हैं. जिसमें स्केच पेन से लेकर मारकर और व्हाइटनर का भी यूज विद्यार्थी करते हैं. जिन विद्यार्थियों को नीचे जगह नहीं मिलती वह स्टूल का सहारा लेकर 7 से 8 फीट ऊंचाई पर भी लिख देते हैं.

temple walls having students wish
मंदिर की दीवारें अर्जियों से भरी पड़ी है

पढ़ें जोधपुर में जन्माष्टमी पर सुबह से देर रात तक निकली शोभा यात्राएं, देखिए वीडियो

धार्मिक कार्य में लेते हैं भाग : राधा कृष्ण मंदिर तलवंडी में कोचिंग एरिया में ही स्थित है. इस समय सुबह और शाम जब मंदिर के पट खुलते हैं, तो बड़ी संख्या में विद्यार्थी और उनके परिजन भी यहां आते हैं. वे यहां पर चल रहे धार्मिक कार्यक्रमों में भी भाग लेते हैं. पढ़ाई के दौरान करीब 1 से 2 साल विद्यार्थी कोटा में रहते हैं. ऐसे में विद्यार्थियों को इस मंदिर से काफी जुड़ाव हो जाता है. साथ ही यहां लिखने की परंपरा की जानकारी भी यहां से पढ़कर गए विद्यार्थियों से ही उनको मिलती है, ऐसे में बच्चे इस नियम का फॉलो करते हैं. मंदिर में आरती के समय बड़ी संख्या में स्टूडेंट यहां पर आकर बैठ जाते हैं. कुछ विद्यार्थी तो ऐसे हैं जो कि भजन और अन्य कार्यों में भी अपनी रुचि दिखाते हैं. जन्माष्टमी के दिनों में बड़ी संख्या में पेरेंट्स और बच्चे इसमें पार्टिसिपेट करते हैं.

Student write their wish on temple wall in Kota
मंदिर की दीवारों पर लिखी स्टूडेंटों की अर्जी

पढ़ें श्री कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में, छोटी काशी में सुबह 4:30 बजे से होंगे भगवान के दर्शन

नीट, जेईई व कॉम्पिटेटिव एक्जाम की मांगते हैं मन्नत : मंदिर समिति के चेयरमैन आरसी अग्रवाल का कहना है कि कोटा में अमूमन 2 लाख के आसपास बच्चे आते हैं, लेकिन इस मंदिर में हर साल 50 से 60 हजार बच्चे आते हैं. जब एग्जाम का टाइम (जनवरी से लेकर जून तक) आता है तब स्टूडेंटों की संख्या काफी बढ़ जाती है. ऐसे में इन महीनों में करीब रोजाना 200 बच्चे अपनी मन्नत लिखने के लिए आते हैं. यहां तक की बच्चों के पेरेंट्स भी जब कोटा आते हैं, तो इस मंदिर को देखने के लिए जरूर आते हैं. इन विद्यार्थियों में नीट और जेईई की परीक्षा दे रहे विद्यार्थियों के साथ-साथ अन्य कॉम्पिटेटिव एक्जाम और 10वीं 12वीं बोर्ड के विद्यार्थी भी शामिल हैं. इनको फॉलो करते हुए कोटा के स्थानीय विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में अपनी अर्जियां लगाने आते हैं.

हर लैंग्वेज में लिखे हुए हैं कमेंट : राधा कृष्ण मंदिर समिति के अध्यक्ष गोविंद नारायण का कहना है कि हर लैंग्वेज में यहां पर स्टूडेंट लिखकर जाते हैं. इनमें हिंदी अंग्रेजी के अलावा मलयालम, तेलुगू, मराठी, उड़िया, असमिया व बंगाली भाषा में भी कमेंट लिखकर चले जाते हैं. अध्यक्ष गोविंद नारायण का यह भी कहना है कि कई मुस्लिम स्टूडेंट भी यहां पर आते हैं. और उर्दू में भी अपनी मन्नत लिखकर चले जाते हैं.

Last Updated : Sep 8, 2023, 10:03 AM IST

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