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कर्नाटक : 'काॅफी लैंड' की सुंदरता को चार-चांद लगा रहा सारस पक्षियों का झुंड

प्रकृति के न जाने कितने रहस्य हैं जो हमें न सिर्फ रोमांचित करते हैं बल्कि मन और आंखों को सुकून भी पहुंचाते हैं. ऐसा ही कुछ नजारा इन दिनों 'काॅफी लैंड' के नाम से मशहूर चिक्कमगलुरु में देखने को मिल रहा है. देश के कोने-कोने से आए हजारों सारस पक्षी अलग ही नजारा पेश कर रहे हैं. देखें यह खूबसूरत दृश्य...

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Published : Jan 16, 2021, 12:23 PM IST

चिक्कमगलुरु : इन दिनों काफी के लिए मशहूर यह जगह पर्यटकों को बेहद आकर्षित कर रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब हम खुद को हजारों सारस पक्षियों के झुंड से घिरा हुआ पाते हैं तो हमारा राेमांच बढ़ जाता है. यह मन और आंखों को काफी सुकून देने वाला होता है.

चिक्कमगलुरु जिले के मुडीगेरे तालुक के बानाकल गांव में इन दिनों सारस पक्षियों की दुनिया बसी हुई है. यहां के एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव सोसाइटी बिल्डिंग के आस-पास के पेड़ों में अलग-अलग जगहों से आए पक्षियों ने अपना आश्रय बनाया हुआ है. इन पक्षियों की उन्मुक्त उड़ान पर्यटकों को स्वयं ही अपनी ओर आकर्षित कर रही है.

ईटीवी भारत रिपोर्ट

हर वर्ष आते हैं सारस पक्षी
हर वर्ष सर्दियों में ये पक्षी यहां आते हैं और हजारों सारस पेड़ों को अपनी ठिकाना बना लेते हैं. आसपास के खेतों में अपना भोजन ढूंढते हैं. मछली और छोटे कीड़े खाते हैं. शाम को फिर उन्हीं पेड़ों पर लौट आते हैं. सुबह 6 बजे और शाम 6 बजे के आसपास हजारों पक्षियों का झुंड जब एक साथ उड़ता है और पेड़ों पर बैठता है तो यह नजारा हरे पत्तों पर फैले सफेद फूलों की तरह दिखाई देता है.

यह भी पढ़ें-विद्युत जामवाल व रोनित रॉय उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों का उठा रहे हैं लुत्फ

पक्षी प्रेमियों के लिए पसंदीदा जगह
हर बार दिसंबर में देश भर से पक्षी यहां पहुंचते हैं और जनवरी का पूरा महीना यहीं गुजारते हैं. चूंकि मलनाडु क्षेत्र में धान की कटाई की जाती है इसलिए फरवरी के बाद वे यहां से स्थानांतरित हो जाते हैं. कुछ दिनों के प्रवास के बाद वे अलग जगह पर चले जाते हैं. एग्रेरियन को-ऑपरेटिव सोसाइटी व स्थानीय लोगों सहित पक्षी प्रेमियों के लिए यह पसंदीदा जगह बन गई है.

चिक्कमगलुरु : इन दिनों काफी के लिए मशहूर यह जगह पर्यटकों को बेहद आकर्षित कर रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब हम खुद को हजारों सारस पक्षियों के झुंड से घिरा हुआ पाते हैं तो हमारा राेमांच बढ़ जाता है. यह मन और आंखों को काफी सुकून देने वाला होता है.

चिक्कमगलुरु जिले के मुडीगेरे तालुक के बानाकल गांव में इन दिनों सारस पक्षियों की दुनिया बसी हुई है. यहां के एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव सोसाइटी बिल्डिंग के आस-पास के पेड़ों में अलग-अलग जगहों से आए पक्षियों ने अपना आश्रय बनाया हुआ है. इन पक्षियों की उन्मुक्त उड़ान पर्यटकों को स्वयं ही अपनी ओर आकर्षित कर रही है.

ईटीवी भारत रिपोर्ट

हर वर्ष आते हैं सारस पक्षी
हर वर्ष सर्दियों में ये पक्षी यहां आते हैं और हजारों सारस पेड़ों को अपनी ठिकाना बना लेते हैं. आसपास के खेतों में अपना भोजन ढूंढते हैं. मछली और छोटे कीड़े खाते हैं. शाम को फिर उन्हीं पेड़ों पर लौट आते हैं. सुबह 6 बजे और शाम 6 बजे के आसपास हजारों पक्षियों का झुंड जब एक साथ उड़ता है और पेड़ों पर बैठता है तो यह नजारा हरे पत्तों पर फैले सफेद फूलों की तरह दिखाई देता है.

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पक्षी प्रेमियों के लिए पसंदीदा जगह
हर बार दिसंबर में देश भर से पक्षी यहां पहुंचते हैं और जनवरी का पूरा महीना यहीं गुजारते हैं. चूंकि मलनाडु क्षेत्र में धान की कटाई की जाती है इसलिए फरवरी के बाद वे यहां से स्थानांतरित हो जाते हैं. कुछ दिनों के प्रवास के बाद वे अलग जगह पर चले जाते हैं. एग्रेरियन को-ऑपरेटिव सोसाइटी व स्थानीय लोगों सहित पक्षी प्रेमियों के लिए यह पसंदीदा जगह बन गई है.

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