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भारत के खिलाफ विरोध बर्दास्त नहीं करेगा श्रीलंका : राजपक्षे - श्रीलंका किसी भी देश को भारत को नुकसान पहुंचाने

श्रीलंका सरकार के खेल मंत्री लक्ष्मण नमल राजपक्षे ने कहा है कि उनका देश भारत के खिलाफ किसी भी देश के अपने आकाश, मिट्टी और जल निकायों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा. उन्होंने कई मसलों पर कोलंबो से 'ईटीवी भारत' से एक विशेष ऑनलाइन साक्षात्कार के दौरान कई बातें कही. पेश है प्रमुख अंश...

नमल राजपक्षे
नमल राजपक्षे
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Published : Mar 18, 2021, 8:30 PM IST

हैदराबाद : भारत के खिलाफ श्रीलंका किसी भी देश को अपने आकाश, मिट्टी और जल निकायों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा. हालांकि, वर्तमान में श्रीलंका चीन के कर्ज में डूबा हुआ है, इसको लेकर पिछली सरकार द्वारा यह कहना कि देश के लिए कुछ नहीं किया कहना गलत है. हम बाकी दुनिया से निवेश प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं, हम ऐसे निवेशकों को छूट प्रदान करने के लिए विशेष रणनीति विकसित कर रहे हैं. हम भारत के साथ अपने अच्छे संबंधों को जारी रखेंगे. अंतरराष्ट्रीय सीमाएं पूरी तरह खुलने के बाद हम हैदराबाद-कोलंबो के बीच हवाई संपर्क बढ़ाएंगे.

यह बातें श्रीलंका सरकार के खेल मंत्री लक्ष्मण नमल राजपक्षे ने कोलंबो से 'ईटीवी भारत' को दिए गए एक विशेष ऑनलाइन साक्षात्कार के दौरान कही. नमल राजपक्षे श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के पुत्र हैं. पेश हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश.

प्रश्न : कोरोना अशांति से श्रीलंका किस हद तक उबर गया है?

उत्तर : मामले में अभी गिरावट है. भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने आवश्यक वैक्सीन भेजी थी. कोरोना के प्रभाव से हमारी वित्तीय स्थिति बदल गई है और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के बंद होने के कारण परेशानी और बढ़ गई है.

प्रश्न : ऐसी धारणा है कि श्रीलंका चीन के भारी कर्ज की चपेट में है. यह किस हद तक सही है?

उत्तर : वे सभी पिछली सरकार द्वारा बनाई गई कल्पनाएं हैं. हमने देश के पुनर्निर्माण के लिए कई देशों से कर्ज लिया है और उसी के एक हिस्से के रूप में हमने चीन से भी लिया. यह कहने का कोई कारण नहीं है कि श्रीलंका सिर्फ उसी वजह से उस देश के हाथों में होना चाहिए. हमने अन्य देशों से उधार लिए गए सभी ऋणों को समय पर चुकाया है.

पढ़ें : पुरुलिया में बोले पीएम- बंगाल में माफिया राज नहीं चलेगा, भाजपा सरकार बनने पर कार्रवाई

प्रश्न : श्रीलंका ने अंतरराष्ट्रीय निवेश आकर्षित करने के लिए अभी तक किसी भी रणनीति की घोषणा नहीं की है. इस स्थिति में अवसर कैसे आएंगे?

उत्तर: किसी भी निवेश को आकर्षित करने के लिए विशेष रियायतों की प्रणाली की आवश्यकता होती है. हम प्रयास कर रहे हैं कि जल्द ही इसका अनावरण किया जाए. पहले से ही रियल एस्टेट क्षेत्र में भारत से भारी मात्रा में निवेश आ रहा है. साथ ही आंध्र प्रदेश राज्य में, श्रीलंका के उद्योगपतियों ने कपड़ा क्षेत्र में निवेश किया है. इसके अलावा, तेलंगाना में भी ऐसे उद्योग स्थापित करने के अवसर हैं. हम उस हद तक भी सोच रहे हैं. दोनों तेलुगु राज्यों में निवेश के कई अवसर हैं.

प्रश्न : हिंद महासागर पर चीन की बढ़ती पकड़ को लेकर एशियाई देशों में चिंता व्यक्त की जा रही है. आपको कैसे लगता है कि इसका प्रभाव श्रीलंका पर पड़ेगा?

उत्तर : हमारी सरकार किसी भी देश को किसी अन्य देश के खिलाफ हमारी भूमि, मिट्टी और पानी का उपयोग करने देने के लिए सहमत नहीं होगी. विशेष रूप से, हम किसी को भी, किसी भी समय, हमारे सीमावर्ती देश, भारत को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं देंगे.

प्रश्न : ऐसा कहा जाता है कि श्रीलंका सरकार ने चीनी दबाव के कारण भारत-जापानी संघ को ईस्ट कंटेनर टर्मिनल (ईसीटी) का निर्माण करने से मना कर दिया है. आपको क्या लगता है कि यह प्रभाव क्या होगा?

उत्तर : इसका कोई राजनीतिक कारण नहीं है. लोगों में इस बात को लेकर असंतोष है कि पिछली सरकार द्वारा लिए गए फैसले में खामियां हैं. इसको लेकर सरकार ने तथ्यों का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया है. समिति द्वारा प्रस्तावित शर्तों पर भारत-जापानी एकाधिकार के बीच सर्वसम्मति की कमी के कारण एक कदम उठाना पड़ा. यह सच नहीं है कि चीनी सरकार के दबाव में यह उन्मूलन किया गया था. श्रीलंका भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है. हंबनटोटा बंदरगाह के विकास के लिए मेरे पिता द्वारा ही भारत को सम्मानित किया जाना था. हालांकि, उस समय भारत ने इसे लेने से इनकार कर दिया था, इसलिए इसे चीन को देना पड़ा. वहीं जाफना के पुनर्निर्माण के हिस्से के रूप में, भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ी संख्या में घरों के निर्माण के लिए सहायता प्रदान की. उसी के अतिरिक्त, हम रेलवे लाइनों के निर्माण में भारत के योगदान को कभी नहीं भूलेंगे.

पढ़ें : लालची और स्वार्थी के लिए किसी की आस्था का कोई महत्व नहीं : मौलाना सलमान नदवी

प्रश्न : भारत और श्रीलंका के बीच वर्तमान में वाणिज्यिक संबंध कम प्रतीत होते हैं. आगे बढ़ने के अवसर क्या हैं?

उत्तर : हां. वर्तमान में दोनों देशों के बीच व्यापार को लकेर अवसर है. हालांकि, दोनों देशों के पास आगे विस्तार करने के अच्छे अवसर हैं. विशेष रूप से समुद्री व्यापार में बहुत अधिक संभावनाएं हैं. पर्यटन क्षेत्र में भी काफी अवसर हैं. भारत से श्रीलंका आने वाले पर्यटकों की संख्या अधिक है. अंतरराष्ट्रीय सीमाएं पूरी तरह से खुलने के बाद हम हैदराबाद से हवाई संपर्क बढ़ाएंगे. तेलुगु और तमिल फिल्में श्रीलंका में बहुत लोकप्रिय हैं. हम यहां आने और फिल्मों की शूटिंग करने की इच्छा रखने वालों की संख्या में और वृद्धि की संभावना देख रहे हैं.

प्रश्न : एशिया में वंशानुगत राजनीति पाई जाती है. प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के पुत्र के रूप में आने वाले दिनों में आपकी भूमिका कैसी होगी?

उत्तर : ये विरासत की राजनीति के लिए नहीं हैं. लोगों की जागरूकता में कई गुना वृद्धि हुई है. प्रौद्योगिकी प्रत्येक के लिए उपलब्ध हो गई है और मिनटों के भीतर मौजूदा घटनाओं को समझने में लोगों की मदद करता है. इन परिस्थितियों में उत्तराधिकार केवल तब तक काम करेगा जब तक हम राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश नहीं करते. एक बार जब हम प्रवेश करते हैं, तो मेरा मानना ​​है कि हमारी स्थिरता प्रमुख रूप से प्रदर्शन और सार्वजनिक अनुमोदन पर निर्भर करती है, न कि किसी आनुवंशिकता के प्रभाव में.

हैदराबाद : भारत के खिलाफ श्रीलंका किसी भी देश को अपने आकाश, मिट्टी और जल निकायों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा. हालांकि, वर्तमान में श्रीलंका चीन के कर्ज में डूबा हुआ है, इसको लेकर पिछली सरकार द्वारा यह कहना कि देश के लिए कुछ नहीं किया कहना गलत है. हम बाकी दुनिया से निवेश प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं, हम ऐसे निवेशकों को छूट प्रदान करने के लिए विशेष रणनीति विकसित कर रहे हैं. हम भारत के साथ अपने अच्छे संबंधों को जारी रखेंगे. अंतरराष्ट्रीय सीमाएं पूरी तरह खुलने के बाद हम हैदराबाद-कोलंबो के बीच हवाई संपर्क बढ़ाएंगे.

यह बातें श्रीलंका सरकार के खेल मंत्री लक्ष्मण नमल राजपक्षे ने कोलंबो से 'ईटीवी भारत' को दिए गए एक विशेष ऑनलाइन साक्षात्कार के दौरान कही. नमल राजपक्षे श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के पुत्र हैं. पेश हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश.

प्रश्न : कोरोना अशांति से श्रीलंका किस हद तक उबर गया है?

उत्तर : मामले में अभी गिरावट है. भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने आवश्यक वैक्सीन भेजी थी. कोरोना के प्रभाव से हमारी वित्तीय स्थिति बदल गई है और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के बंद होने के कारण परेशानी और बढ़ गई है.

प्रश्न : ऐसी धारणा है कि श्रीलंका चीन के भारी कर्ज की चपेट में है. यह किस हद तक सही है?

उत्तर : वे सभी पिछली सरकार द्वारा बनाई गई कल्पनाएं हैं. हमने देश के पुनर्निर्माण के लिए कई देशों से कर्ज लिया है और उसी के एक हिस्से के रूप में हमने चीन से भी लिया. यह कहने का कोई कारण नहीं है कि श्रीलंका सिर्फ उसी वजह से उस देश के हाथों में होना चाहिए. हमने अन्य देशों से उधार लिए गए सभी ऋणों को समय पर चुकाया है.

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प्रश्न : श्रीलंका ने अंतरराष्ट्रीय निवेश आकर्षित करने के लिए अभी तक किसी भी रणनीति की घोषणा नहीं की है. इस स्थिति में अवसर कैसे आएंगे?

उत्तर: किसी भी निवेश को आकर्षित करने के लिए विशेष रियायतों की प्रणाली की आवश्यकता होती है. हम प्रयास कर रहे हैं कि जल्द ही इसका अनावरण किया जाए. पहले से ही रियल एस्टेट क्षेत्र में भारत से भारी मात्रा में निवेश आ रहा है. साथ ही आंध्र प्रदेश राज्य में, श्रीलंका के उद्योगपतियों ने कपड़ा क्षेत्र में निवेश किया है. इसके अलावा, तेलंगाना में भी ऐसे उद्योग स्थापित करने के अवसर हैं. हम उस हद तक भी सोच रहे हैं. दोनों तेलुगु राज्यों में निवेश के कई अवसर हैं.

प्रश्न : हिंद महासागर पर चीन की बढ़ती पकड़ को लेकर एशियाई देशों में चिंता व्यक्त की जा रही है. आपको कैसे लगता है कि इसका प्रभाव श्रीलंका पर पड़ेगा?

उत्तर : हमारी सरकार किसी भी देश को किसी अन्य देश के खिलाफ हमारी भूमि, मिट्टी और पानी का उपयोग करने देने के लिए सहमत नहीं होगी. विशेष रूप से, हम किसी को भी, किसी भी समय, हमारे सीमावर्ती देश, भारत को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं देंगे.

प्रश्न : ऐसा कहा जाता है कि श्रीलंका सरकार ने चीनी दबाव के कारण भारत-जापानी संघ को ईस्ट कंटेनर टर्मिनल (ईसीटी) का निर्माण करने से मना कर दिया है. आपको क्या लगता है कि यह प्रभाव क्या होगा?

उत्तर : इसका कोई राजनीतिक कारण नहीं है. लोगों में इस बात को लेकर असंतोष है कि पिछली सरकार द्वारा लिए गए फैसले में खामियां हैं. इसको लेकर सरकार ने तथ्यों का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया है. समिति द्वारा प्रस्तावित शर्तों पर भारत-जापानी एकाधिकार के बीच सर्वसम्मति की कमी के कारण एक कदम उठाना पड़ा. यह सच नहीं है कि चीनी सरकार के दबाव में यह उन्मूलन किया गया था. श्रीलंका भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है. हंबनटोटा बंदरगाह के विकास के लिए मेरे पिता द्वारा ही भारत को सम्मानित किया जाना था. हालांकि, उस समय भारत ने इसे लेने से इनकार कर दिया था, इसलिए इसे चीन को देना पड़ा. वहीं जाफना के पुनर्निर्माण के हिस्से के रूप में, भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ी संख्या में घरों के निर्माण के लिए सहायता प्रदान की. उसी के अतिरिक्त, हम रेलवे लाइनों के निर्माण में भारत के योगदान को कभी नहीं भूलेंगे.

पढ़ें : लालची और स्वार्थी के लिए किसी की आस्था का कोई महत्व नहीं : मौलाना सलमान नदवी

प्रश्न : भारत और श्रीलंका के बीच वर्तमान में वाणिज्यिक संबंध कम प्रतीत होते हैं. आगे बढ़ने के अवसर क्या हैं?

उत्तर : हां. वर्तमान में दोनों देशों के बीच व्यापार को लकेर अवसर है. हालांकि, दोनों देशों के पास आगे विस्तार करने के अच्छे अवसर हैं. विशेष रूप से समुद्री व्यापार में बहुत अधिक संभावनाएं हैं. पर्यटन क्षेत्र में भी काफी अवसर हैं. भारत से श्रीलंका आने वाले पर्यटकों की संख्या अधिक है. अंतरराष्ट्रीय सीमाएं पूरी तरह से खुलने के बाद हम हैदराबाद से हवाई संपर्क बढ़ाएंगे. तेलुगु और तमिल फिल्में श्रीलंका में बहुत लोकप्रिय हैं. हम यहां आने और फिल्मों की शूटिंग करने की इच्छा रखने वालों की संख्या में और वृद्धि की संभावना देख रहे हैं.

प्रश्न : एशिया में वंशानुगत राजनीति पाई जाती है. प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के पुत्र के रूप में आने वाले दिनों में आपकी भूमिका कैसी होगी?

उत्तर : ये विरासत की राजनीति के लिए नहीं हैं. लोगों की जागरूकता में कई गुना वृद्धि हुई है. प्रौद्योगिकी प्रत्येक के लिए उपलब्ध हो गई है और मिनटों के भीतर मौजूदा घटनाओं को समझने में लोगों की मदद करता है. इन परिस्थितियों में उत्तराधिकार केवल तब तक काम करेगा जब तक हम राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश नहीं करते. एक बार जब हम प्रवेश करते हैं, तो मेरा मानना ​​है कि हमारी स्थिरता प्रमुख रूप से प्रदर्शन और सार्वजनिक अनुमोदन पर निर्भर करती है, न कि किसी आनुवंशिकता के प्रभाव में.

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