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हिमाचल दिवस : छोटे राज्य का लंबा सफर - हिमाचल दिवस

आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को छोटी-बड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल का गठन हुआ. वो समय अभावों का था. यहां विकास के नाम पर कुछ भी गर्व करने लायक नहीं था. बाद में 25 जनवरी 1971 को हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला. उसके बाद से प्रदेश की तरक्की की रफ्तार बढ़ी. हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले सीएम डॉ. वाईएस परमार ने हिमाचल के विकास की नींव रखी. वे सड़कों को पहाड़ की भाग्य रेखाएं कहते थे. डॉ. परमार व उनके बाद आने वाली राजनीतिक पीढ़ी ने सड़कों के विकास पर ध्यान दिया और अब प्रदेश में चालीस हजार किलोमीटर सड़कों का जाल है.

हिमाचल दिवस
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Published : Apr 14, 2021, 11:57 PM IST

शिमला : छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल ने अपने गठन से लेकर अब तक सफलता के कई आयाम छुए हैं. छोटे पहाड़ी राज्य के नाम बड़ी सफलताएं दर्ज हैं. आजादी के तुरंत बाद छोटी रियासतों को जोड़कर हिमाचल का गठन हुआ. तब प्रदेश में केवल 228 किलोमीटर सड़के थीं. अब ग्रामीण इलाकों तक सड़को का जाल बिछा है और प्रदेश में चालीस हजार किलोमीटर लंबी सड़के हैं.

हिमाचल ने पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य भी हासिल किया है

यही नहीं, हिमाचल प्रदेश ने प्रति व्यक्ति आय में भी शानदार उपलब्धि हासिल की है. हिमाचल में कोरोना संकट के बावजूद प्रति व्यक्ति आय 1,83,286 रुपए सालाना है. ये देश के बड़े राज्यों से भी अधिक है. इसी तरह हिमाचल ने पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य भी हासिल किया है. आइए, हिमाचल दिवस के मौके पर इस पहाड़ी राज्य की सफलताओं पर एक विहंगम दृष्टि डालते हैं. कोरोना संकट आने से पहले हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय 1.95 लाख रुपए थी. ये आंकड़ा इतना शानदार था कि उस समय देश के 28 राज्यों में हिमाचल का स्थान चौथा था. फिलहाल, कोरोना काल में ये घटी है, लेकिन आने वाले समय में प्रदेश इसकी भरपाई कर लेगा.

आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को हिमाचल का गठन हुआ

आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को छोटी-बड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल का गठन हुआ. वो समय अभावों का था. यहां विकास के नाम पर कुछ भी गर्व करने लायक नहीं था. बाद में 25 जनवरी 1971 को हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला. उसके बाद से प्रदेश की तरक्की की रफ्तार बढ़ी. हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले सीएम डॉ. वाईएस परमार ने हिमाचल के विकास की नींव रखी. वे सड़कों को पहाड़ की भाग्य रेखाएं कहते थे. डॉ. परमार व उनके बाद आने वाली राजनीतिक पीढ़ी ने सड़कों के विकास पर ध्यान दिया और अब प्रदेश में चालीस हजार किलोमीटर सड़कों का जाल है.

हिमाचल प्रदेश के अन्य उजले पहलू देखें तो यहां प्रति व्यक्ति डॉक्टर्स व स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या देश में सबसे अधिक है. साथ ही प्रति व्यक्ति बैंक शाखाओं के मामले में भी हिमाचल टॉप पर है. ई-विधान प्रणाली वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. यहां देश की पहली ई-विधानसभा सफलता से काम कर रही है. अब बजट भी ई-विधान प्रणाली के जरिए ऑनलाइन पढ़ा जाता है. कैबिनेट की मीटिंग पेपरलेस हो रही है और साथ ही राज्य सचिवालय को भी पेपरलेस किया जा रहा है.

25 जनवरी 1971 को हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला

हिमाचल प्रदेश का गठन 15 अप्रैल 1948 को हुआ था. उस समय देश रियासतों में बंटा था और यहां भी कई रियासतें थीं. छोटी-बड़ी कुल 30 रियासतों को मिलाया गया और हिमाचल का गठन हो गया. ये रियासतें 27 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली थीं. हिमाचल का आगे बढ़ने का सफर रोमांचक रहा है. बाद में हिमाचल केंद्र शासित प्रदेश बना और अंतत: 25 जनवरी 1971 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिला.

हिमाचल तब देश का 18वां राज्य बना था. वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सत्तर लाख से अधिक की आबादी वाला राज्य है. यहां कुल 12 जिले हैं. सबसे पहले हिमाचल की कमान संभालने का गौरव डॉ. वाईएस परमार को मिला, जिन्हें हिमाचल निर्माता भी कहा जाता है. डॉ. वाईएस परमार प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे. अब जयराम ठाकुर के रूप में हिमाचल प्रदेश के पास अपेक्षाकृत युवा मुख्यमंत्री हैं. इस बीच, हिमाचल की कमान संभालने वालों में रामलाल ठाकुर, शांता कुमार, वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल का नाम है.

पहाड़ी राज्यों के लिए मिसाल है हिमाचल

हिमाचल प्रदेश बेशक आबादी के लिहाज से छोटा राज्य है, लेकिन इसकी उपलब्धियां विशाल हैं. कोरोना के कारण सकल घरेलू उत्पाद, प्रति व्यक्ति आय, विकास दर और सैलानियों की आमद में गिरावट आई है. ये महामारी पूरी दुनिया को परेशान कर रही है, लिहाजा हिमाचल भी इसके असर से अछूता नहीं है. वैसे हिमाचल को मुख्य रूप से फल राज्य के तौर पर जाना जाता है.

पिछली बार हिमाचल प्रदेश में 7.07 लाख टन फलों और 17.22 लाख टन से अधिक बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन हुआ. इस बार ये आंकड़ा काफी गिरा है. खैर, हिमाचल की पहचान फल राज्य के तौर पर तो है ही, इसे उर्जा राज्य के रूप में भी पहचाना जाता है. हिमाचल में अब सालाना औसतन 18 हजार मिलीयन यूनिट बिजली का उत्पादन होता है.

पढ़ें : 72 साल का हुआ राजस्थान, जानिए इतिहास से जुड़ी ये रोचक बातें

सिक्किम के बाद हिमाचल देश का एक और जैविक राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है. साक्षरता के मोर्चे पर हिमाचल का नंबर केरल के बाद है. यहां की साक्षरता दर 87 फीसदी से अधिक है. प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य संस्थानों की औसत भी हिमाचल की देश से बेहतर है. यहां 2900 से अधिक स्वास्थ्य संस्थान हैं. हिमाचल की खास बात ये भी है कि यहां के डॉक्टर्स देश के टॉप मोस्ट संस्थानों में अहम भूमिका निभा रहे हैं. एम्स दिल्ली से लेकर पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक हिमाचल के डॉक्टर्स हैं.

चुनौतियों का पहाड़ भी कम नहीं

छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल के पास आर्थिक संसाधन सीमित हैं. मुख्य रूप से ये राज्य केंद्र सरकार की सहायता पर अधिक निर्भर है. हिमाचल प्रदेश पर इस समय 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. तमाम उपलब्धियों के बावजूद ये कड़वी सच्चाई है कि हिमाचल प्रदेश में सडक़ हादसों का शिकार होने वाले लोगों की आंकड़ा चिंताजनक है. यहां हर साल एक हजार से अधिक लोग हादसों में जान गंवाते हैं. बेरोजगारी एक अन्य चुनौती है. प्रदेश में नौ लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं की फौज है. सामाजिक बुराई के रूप में नशा यहां के युवाओं का जीवन बर्बाद कर रहा है.

शिमला : छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल ने अपने गठन से लेकर अब तक सफलता के कई आयाम छुए हैं. छोटे पहाड़ी राज्य के नाम बड़ी सफलताएं दर्ज हैं. आजादी के तुरंत बाद छोटी रियासतों को जोड़कर हिमाचल का गठन हुआ. तब प्रदेश में केवल 228 किलोमीटर सड़के थीं. अब ग्रामीण इलाकों तक सड़को का जाल बिछा है और प्रदेश में चालीस हजार किलोमीटर लंबी सड़के हैं.

हिमाचल ने पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य भी हासिल किया है

यही नहीं, हिमाचल प्रदेश ने प्रति व्यक्ति आय में भी शानदार उपलब्धि हासिल की है. हिमाचल में कोरोना संकट के बावजूद प्रति व्यक्ति आय 1,83,286 रुपए सालाना है. ये देश के बड़े राज्यों से भी अधिक है. इसी तरह हिमाचल ने पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य भी हासिल किया है. आइए, हिमाचल दिवस के मौके पर इस पहाड़ी राज्य की सफलताओं पर एक विहंगम दृष्टि डालते हैं. कोरोना संकट आने से पहले हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय 1.95 लाख रुपए थी. ये आंकड़ा इतना शानदार था कि उस समय देश के 28 राज्यों में हिमाचल का स्थान चौथा था. फिलहाल, कोरोना काल में ये घटी है, लेकिन आने वाले समय में प्रदेश इसकी भरपाई कर लेगा.

आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को हिमाचल का गठन हुआ

आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को छोटी-बड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल का गठन हुआ. वो समय अभावों का था. यहां विकास के नाम पर कुछ भी गर्व करने लायक नहीं था. बाद में 25 जनवरी 1971 को हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला. उसके बाद से प्रदेश की तरक्की की रफ्तार बढ़ी. हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले सीएम डॉ. वाईएस परमार ने हिमाचल के विकास की नींव रखी. वे सड़कों को पहाड़ की भाग्य रेखाएं कहते थे. डॉ. परमार व उनके बाद आने वाली राजनीतिक पीढ़ी ने सड़कों के विकास पर ध्यान दिया और अब प्रदेश में चालीस हजार किलोमीटर सड़कों का जाल है.

हिमाचल प्रदेश के अन्य उजले पहलू देखें तो यहां प्रति व्यक्ति डॉक्टर्स व स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या देश में सबसे अधिक है. साथ ही प्रति व्यक्ति बैंक शाखाओं के मामले में भी हिमाचल टॉप पर है. ई-विधान प्रणाली वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. यहां देश की पहली ई-विधानसभा सफलता से काम कर रही है. अब बजट भी ई-विधान प्रणाली के जरिए ऑनलाइन पढ़ा जाता है. कैबिनेट की मीटिंग पेपरलेस हो रही है और साथ ही राज्य सचिवालय को भी पेपरलेस किया जा रहा है.

25 जनवरी 1971 को हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला

हिमाचल प्रदेश का गठन 15 अप्रैल 1948 को हुआ था. उस समय देश रियासतों में बंटा था और यहां भी कई रियासतें थीं. छोटी-बड़ी कुल 30 रियासतों को मिलाया गया और हिमाचल का गठन हो गया. ये रियासतें 27 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली थीं. हिमाचल का आगे बढ़ने का सफर रोमांचक रहा है. बाद में हिमाचल केंद्र शासित प्रदेश बना और अंतत: 25 जनवरी 1971 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिला.

हिमाचल तब देश का 18वां राज्य बना था. वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सत्तर लाख से अधिक की आबादी वाला राज्य है. यहां कुल 12 जिले हैं. सबसे पहले हिमाचल की कमान संभालने का गौरव डॉ. वाईएस परमार को मिला, जिन्हें हिमाचल निर्माता भी कहा जाता है. डॉ. वाईएस परमार प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे. अब जयराम ठाकुर के रूप में हिमाचल प्रदेश के पास अपेक्षाकृत युवा मुख्यमंत्री हैं. इस बीच, हिमाचल की कमान संभालने वालों में रामलाल ठाकुर, शांता कुमार, वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल का नाम है.

पहाड़ी राज्यों के लिए मिसाल है हिमाचल

हिमाचल प्रदेश बेशक आबादी के लिहाज से छोटा राज्य है, लेकिन इसकी उपलब्धियां विशाल हैं. कोरोना के कारण सकल घरेलू उत्पाद, प्रति व्यक्ति आय, विकास दर और सैलानियों की आमद में गिरावट आई है. ये महामारी पूरी दुनिया को परेशान कर रही है, लिहाजा हिमाचल भी इसके असर से अछूता नहीं है. वैसे हिमाचल को मुख्य रूप से फल राज्य के तौर पर जाना जाता है.

पिछली बार हिमाचल प्रदेश में 7.07 लाख टन फलों और 17.22 लाख टन से अधिक बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन हुआ. इस बार ये आंकड़ा काफी गिरा है. खैर, हिमाचल की पहचान फल राज्य के तौर पर तो है ही, इसे उर्जा राज्य के रूप में भी पहचाना जाता है. हिमाचल में अब सालाना औसतन 18 हजार मिलीयन यूनिट बिजली का उत्पादन होता है.

पढ़ें : 72 साल का हुआ राजस्थान, जानिए इतिहास से जुड़ी ये रोचक बातें

सिक्किम के बाद हिमाचल देश का एक और जैविक राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है. साक्षरता के मोर्चे पर हिमाचल का नंबर केरल के बाद है. यहां की साक्षरता दर 87 फीसदी से अधिक है. प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य संस्थानों की औसत भी हिमाचल की देश से बेहतर है. यहां 2900 से अधिक स्वास्थ्य संस्थान हैं. हिमाचल की खास बात ये भी है कि यहां के डॉक्टर्स देश के टॉप मोस्ट संस्थानों में अहम भूमिका निभा रहे हैं. एम्स दिल्ली से लेकर पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक हिमाचल के डॉक्टर्स हैं.

चुनौतियों का पहाड़ भी कम नहीं

छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल के पास आर्थिक संसाधन सीमित हैं. मुख्य रूप से ये राज्य केंद्र सरकार की सहायता पर अधिक निर्भर है. हिमाचल प्रदेश पर इस समय 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. तमाम उपलब्धियों के बावजूद ये कड़वी सच्चाई है कि हिमाचल प्रदेश में सडक़ हादसों का शिकार होने वाले लोगों की आंकड़ा चिंताजनक है. यहां हर साल एक हजार से अधिक लोग हादसों में जान गंवाते हैं. बेरोजगारी एक अन्य चुनौती है. प्रदेश में नौ लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं की फौज है. सामाजिक बुराई के रूप में नशा यहां के युवाओं का जीवन बर्बाद कर रहा है.

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