अहमदाबाद : गुजरात के नरोदा गाम में हुए दंगा मामले में विशेष अदालत ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया. अदालत ने भाजपा की पूर्व मंत्री माया कोडनानी, विहिप नेता जयदीप पटेल और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी सहित सभी 67 आरोपियों को बरी कर दिया है. 2002 में हुए इस दंगे में 11 लोगों की मौत हुई थी. विशेष न्यायाधीश एस के बक्शी की अदालत ने फैसला सुनाया.
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क्या है नरोदा गाम दंगा मामला, विस्तार से जानें - 27 फरवरी 2002 को हुए गोधरा कांड के बाद अगले दिन बंद बुलाया गया था. इस दौरान नरोदा गाम में हिंसा फैल गई. 11 लोगों की जान चली गई. दिन भर दोनों संप्रदायों के लोगों के बीच तनाव की स्थिति बनी रही. लोग नारे लगा रहे थे. पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं. कई जगहों पर आग लगा दी गई. लोगों के घर जलाए जा रहे थे. कई जगहों पर तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुईं. बंद के दौरान नरोदा पाटिया में भी दंगे हुए. इस दंगे में 97 लोग मारे गए थे.
अंदाजा लगा सकते हैं कि उस वक्त क्या स्थिति रही होगी. इसका असर पूरे राज्य में देखने को मिला. अन्य जगहों पर भी हिंसा की घटनाएं हुईं. 27 शहरों में कर्फ्यू लगाया गया था. नरोदा पाटिया की घटना की जांच की गई. एसआईटी ने मुख्य आरोपी के तौर पर माया कोडनानी का नाम सामने रखा. इस मामले में 377 लोगों के बयान दर्ज किए गए थे.
विशेष अदालत ने 2012 में माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को दोषी ठहराया. 32 अन्य लोगों को भी दोषी पाया गया. इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई. हाईकोर्ट ने नरोदा पाटिया मामले में माया कोडनानी को बरी कर दिया था. माया कोडनानी गुजरात की पूर्व मंत्री रह चुकी हैं. बजरंगी बाबू बजरंग दल के नेता हैं. नरोदा पाटिया मामले में विशेष अदालत ने कोडनानी को 28 साल जेल की सजा सुनाई थी.
18 आरोपियों की हो चुकी मौत : आज का फैसला नरोदा गाम मामले पर है. इसमें कुल 86 आरोपियों के नाम थे. इनमें से 18 की मौत हो चुकी है. आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैर कानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार रखकर दंगा में भाग लेना), 120बी (आपराधिक षडयंत्र), 153 लगाई गई थी.
अमित शाह ने भी दी थी गवाही : इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी गवाही दी है. उन्होंने माया कोडनानी के पक्ष में गवाही दी थी. शाह ने कहा कि जिस दिन नरोदा गाम में दंगे हुए थे, उस दिन माया कोडनानी विधानसभा में थीं. हालांकि, आरोप पत्र में यह दावा किया गया है कि जिस दिन नरोदा गाम में दंगे हुए, उस दिन कोडननी सुबह 8.40 तक विधानसभा में थीं, जबकि 9.30 बजे तक वह नरोदा गाम पहुंच गई थीं.
आरोप पत्र में मोबाइल सिग्नल का भी हवाला दिया गया है. इस मामले पर 2017 में सुनवाई पूरी हो गई थी. गोधरा कांड में 58 कारसेवक मारे गए थे. 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की बोगी में आग लगा दी गई थी. ये सभी लोग अयोध्या से लौट रहे थे.
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