लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने हाथ मिलाते हुए संकेत दिया है कि सीट बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं होगी.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने जोर देकर कहा कि भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से हटाने के लिए वह कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के आवास पर बैठक के बाद सभी अटकलों को खारिज करते हुए शिवपाल सिंह यादव की पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा की थी.
गठबंधन की घोषणा के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष ने शुक्रवार को यहां अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की बैठक की और उनसे कहा, 'हम लोग साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और त्याग करना पड़ा तो त्याग भी करेंगे.' गठबंधन की चर्चा पर शिवपाल ने यह भी बताया कि पार्टी के लोगों को पहले ही बता दिया था कि गठबंधन के मामले में उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कम सीटें मिल सकती हैं.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि इस बार उनकी पार्टी ने सीटों के बंटवारे पर विचार-विमर्श करने के बाद ही गठबंधन की घोषणा की है. अखिलेश ने अपने चाचा से हाथ मिलाने में देरी के कारणों को स्पष्ट करते हुए कहा, "सपा ने इस बार गठबंधन की घोषणा तब की है जब सीटों का बंटवारा लगभग तय हो चुका है.'
यादव ने कहा कि लोग भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए तैयार हैं और सपा को एक विकल्प के रूप में देख रहे हैं. चाचा-भतीजा के पुनर्मिलन से पहले शिवपाल यादव ने कहा था कि वे 403 सदस्यीय उप्र विधानसभा के चुनाव में 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं. अब इस गठबंधन के बाद उन्हें कम सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है, इसलिए उन्होंने कहा कि हमें त्याग करना पड़े तो भी करेंगे.
सपा सूत्रों ने बताया कि अखिलेश के वहां पहुंचने से पहले सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव भी शिवपाल के आवास पर मौजूद थे. समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनकी सरकार में मंत्री रहे उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच मतभेद हुए. अखिलेश द्वारा शिवपाल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के बाद 2016 में चाचा और भतीजे के बीच संबंधों में खटास आ गई थी. अखिलेश जनवरी 2017 में सपा अध्यक्ष बने और शिवपाल ने 2018 में अपनी पार्टी बनाई. अब दोनों का एक साथ आना राजनीतिक मायने रखता है. हाल ही में पंचायत चुनाव के दौरान इटावा में सपा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) एक साथ आए थे, जहां उन्होंने 24 में से 18 वार्ड जीते थे और भाजपा वहां एक सीट जीत सकी थी.
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