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सोनाई हत्या कांड : न्यायालय ने दोषी की सजा-ए-मौत के अमल पर रोक लगायी

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के अंतर-जातीय प्रेम संबंध को लेकर 2013 में हुई तीन दलितों की हत्या के दोषियों में से एक की सजा-ए-मौत की तामिल पर रोक लगा दी है.

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Published : Sep 28, 2021, 10:45 PM IST

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में अंतर-जातीय प्रेम संबंध को लेकर 2013 में हुई तीन दलितों की हत्या के दोषियों में से एक की सजा-ए-मौत की तामिल पर मंगलवार को रोक लगा दी.

न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने दोषी संदीप माधव कुर्हे की अपील विचारार्थ करते हुये कहा कि वह सजा-ए-मौत की तामिल पर रोक लगा रही है.

पीठ ने कुर्हे की याचिका को इस मामले के अन्य दोषियों की याचिकाओं के साथ जोड़ दिया जो पहले से सुनवाई के लिए लंबित हैं. बंबई उच्च न्यायालय ने तीन दलित लोगों की हत्या के मामले में चार लोगों की मौत की सजा बरकरार रखी थी. अदालत ने इस हत्याकांड में पांचवें आरोपी को बरी कर दिया था.

नासिक की सत्र अदालत ने जनवरी 2018 में छह लोगों... रघुनाथ दरानदले, रमेश दरानदले, प्रकाश दरानदले, गणेश उर्फ प्रवीण दरानदले, अशोक नावगिरे और संदीप माधव कुर्हे को मौत की सजा सुनायी थी.

इन लोगों को हत्या और आपराधिक षड्यंत्र सहित विभिन्न आरोपों में दोषी करार दिया गया था. घटना में मारे गए तीनों दलितों की पहचान सचिन घरू (24), संदीप तंवर (25) और राहुल कांदरे (20) के रूप में हुई थी. तीनों सफाई कर्मचारी थे.

पढ़ें- सरकार के साथ तालमेल बिठा वसूली करने वाले पुलिस अफसरों को होनी चाहिए जेल : सुप्रीम कोर्ट

सत्र अदालत के फैसले को छहों दोषियों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. दोषियों में से ऐक रघुनाथ दरानदले की मामले की सुनवाई के दौरान ही मृत्यु हो गयी. बंबई उच्च न्यायालय ने शेष पांच में से चार दोषियों रमेश दरानदले, प्रकाश दरानदले, गणेश उर्फ प्रवीण दरानदले और संदीप माधव कुर्हे की मौत की सजा बरकरार रखी. अदालत ने हालांकि अशोक नावगिरे (32) को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में अंतर-जातीय प्रेम संबंध को लेकर 2013 में हुई तीन दलितों की हत्या के दोषियों में से एक की सजा-ए-मौत की तामिल पर मंगलवार को रोक लगा दी.

न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने दोषी संदीप माधव कुर्हे की अपील विचारार्थ करते हुये कहा कि वह सजा-ए-मौत की तामिल पर रोक लगा रही है.

पीठ ने कुर्हे की याचिका को इस मामले के अन्य दोषियों की याचिकाओं के साथ जोड़ दिया जो पहले से सुनवाई के लिए लंबित हैं. बंबई उच्च न्यायालय ने तीन दलित लोगों की हत्या के मामले में चार लोगों की मौत की सजा बरकरार रखी थी. अदालत ने इस हत्याकांड में पांचवें आरोपी को बरी कर दिया था.

नासिक की सत्र अदालत ने जनवरी 2018 में छह लोगों... रघुनाथ दरानदले, रमेश दरानदले, प्रकाश दरानदले, गणेश उर्फ प्रवीण दरानदले, अशोक नावगिरे और संदीप माधव कुर्हे को मौत की सजा सुनायी थी.

इन लोगों को हत्या और आपराधिक षड्यंत्र सहित विभिन्न आरोपों में दोषी करार दिया गया था. घटना में मारे गए तीनों दलितों की पहचान सचिन घरू (24), संदीप तंवर (25) और राहुल कांदरे (20) के रूप में हुई थी. तीनों सफाई कर्मचारी थे.

पढ़ें- सरकार के साथ तालमेल बिठा वसूली करने वाले पुलिस अफसरों को होनी चाहिए जेल : सुप्रीम कोर्ट

सत्र अदालत के फैसले को छहों दोषियों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. दोषियों में से ऐक रघुनाथ दरानदले की मामले की सुनवाई के दौरान ही मृत्यु हो गयी. बंबई उच्च न्यायालय ने शेष पांच में से चार दोषियों रमेश दरानदले, प्रकाश दरानदले, गणेश उर्फ प्रवीण दरानदले और संदीप माधव कुर्हे की मौत की सजा बरकरार रखी. अदालत ने हालांकि अशोक नावगिरे (32) को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.

(पीटीआई-भाषा)

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