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महाराष्ट्र के शिक्षक को मिला ग्लोबल शिक्षक अवॉर्ड, सीएम और राज्यपाल ने दी बधाई

महाराष्ट्र में रणजीत सिंह डिसले ने पाठ्यपुस्तकों में क्विक रिसपॉन्स कोड विकसित किया है, जिससे उन्हें ग्लोबल टीचर अवॉर्ड मिला है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें बधाई दी है.

महाराष्ट्र के शिक्षक को मिला ग्लोबल शिक्षक अवॉर्ड
महाराष्ट्र के शिक्षक को मिला ग्लोबल शिक्षक अवॉर्ड
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Published : Dec 4, 2020, 3:11 PM IST

Updated : Dec 7, 2020, 8:21 PM IST

मुंबई : देश के एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक को लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने और भारत में क्यूआर कोडेड किताबों के माध्यम से शिक्षा में क्रांति को गति देने के उनके प्रयासों के लिए एक मिलियन डॉलर का ग्लोबल टीचर प्राइज 2020 मिला है.

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के परितेवाडी गांव के 32 वर्षीय रणजीत सिंह डिसले दुनियाभर के 140 देशों के 12,000 शिक्षकों में से नामित होकर 10 फाइनलिस्टों में से चुने गए और यह अवॉर्ड जीता.

शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा

इस अवसर पर मीडिया से बात करते उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि मुझे यह पुरस्कार मिला है. यह अवार्ड पूरी दुनिया के शिक्षकों के लिए एक प्ररेणा है. उन्होंने कहा कि शिक्षक ही किसी भी देश के विकास की नींव क्लास रूम में रखते है. ऐसे में टीचर्स की सराहना करना बेहद जरूरी है.

रणजीत सिंह डिसले का बयान

फाइनल में पहुंचने वालों के साथ शेयर करेंगे इनाम

सात करोड़ रुपये जीतने वाले डिसले का मानना है कि शिक्षक समाज में वास्तविक परिवर्तन का निर्माता है. इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की है कि वह अपनी पुरस्कार राशि का 50 प्रतिशत हिस्सा बाकी नौ फाइनलिस्टों के साथ शेयर करेंगे.

डिसले ने हालांकि पुरस्कार का बड़ा हिस्सा बाकी दावेदारों के साथ बांटने की घोषणा की और यह भी कहा कि यह फैसला भावनाओं में बहकर नहीं, बल्कि सोच समझकर काफी पहले ही ले लिया था. उन्होंने कहा, 'अगर मैं अकेले यह पुरस्कार ले लूं तो सही नहीं होगा क्योंकि सभी ने शानदार काम किया है. शिक्षक 'इनकम' के लिए नहीं 'आउटकम' के लिए काम करते हैं. हम सभी मिलकर समाज की दशा और दिशा बदल सकते हैं.'

सुनी जाए शिक्षकों की आवाज

'थ्री इडियट्स ' या 'तारे जमीं पर' के आमिर खान जैसे किरदारों की तरह डिसले का भी मानना है कि शिक्षकों को नयी पहल कर शिक्षा को रोचक बनाना चाहिए और सरकार से उनकी इतनी सी मांग है कि एक पूरी पीढ़ी को तैयार करने वाले शिक्षकों की आवाज सुनी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, 'शिक्षा के क्षेत्र में कई चुनौतियां हैं, मसलन लड़कियों की शिक्षा के आंकड़े अभी भी अच्छे नहीं हैं. बच्चों के बीच में ही स्कूल छोड़ देने की समस्या है जो कोरोना महामारी के बीच और बढ़ गई. सरकार और शिक्षकों को मिलकर इन चुनौतियों से निपटना होगा. इसके लिए जरूरी है कि शिक्षकों की आवाज सुनी जाए.'

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को प्राथमिकता

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उनकी उपलब्धि के लिए डिसले को बधाई दी. सीएमओ ने एक ट्वीट में कहा, 'महाराष्ट्र के सीएम ने रणजीत सिंह को बधाई दी. उद्धव ने रणजीत डिसले को मुलाकात के लिए आमंत्रित भी किया. डिसले ने सीएम को बताया कि वे अपने पुरस्कार का उपयोग शिक्षक नवाचार निधि के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए करेंगे.

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी डिसले को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट किया, 'रणजीत सिंह डिसले को मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. लंदन स्थित वर्की फाउंडेशन द्वारा सोलापुर जिले के परतेवाड़ी में एक शिक्षक को एक मिलियन डॉलर के ग्लोबल टीचर प्राइज 2020 के लिए चुने जाने पर, उन्हें बधाई.'

गौरवान्वित हुए असंख्य शिक्षक

बता दें कि देश में शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने का रणजीत सिंह डिसले का जज्बा 'थ्री इडियट्स' या 'तारे जमीं पर' के आमिर खान की याद दिलाता है. इसी जज्बे की वजह से 12,000 उम्मीदवारों के बीच उन्हें 'ग्लोबल टीचर' पुरस्कार मिला है. उनकी इस उपलब्धि ने भारत ही नहीं, बल्कि अभावों के बीच दुनिया में तालीम के बीज बो रहे असंख्य शिक्षकों को गौरवान्वित किया है.

समर्पण की कहानी हैं रणजीत

माइक्रोसॉफ्ट के 'इनोवेटिव एजुकेटर एक्सपर्ट' पुरस्कार और राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान के ' वर्ष 2018 के सर्वश्रेष्ठ नवप्रवर्तक' पुरस्कार से लेकर 'ग्लोबल टीचर' पुरस्कार तक, ये सब रणजीत डिसले की प्रतिभा और समर्पण की कहानी बयां करते हैं.

ऑनलाइन समारोह में विजेता की घोषणा

डिसले महाराष्ट्र के सोलापुर जिले की माढा तालुका स्थित दो हजार से भी कम की आबादी वाले परीतेवाडी गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं. डिसले को 'ग्लोबल टीचर' पुरस्कार के लिए चुने जाने की घोषणा लंदन में एक ऑनलाइन समारोह में अभिनेता स्टीफन फ्राई ने की थी.

सात करोड़ रुपये मिलेंगे

पहली बार भारत के किसी शिक्षक को यह पुरस्कार मिला है. बड़ी बात यह है कि डिसले को विश्व के 140 देशों से 12 हजार से अधिक शिक्षकों में से चुना गया है. यूनेस्को और लंदन के वार्की फाउंडेशन द्वारा दिए जाने वाले इस पुरस्कार में उन्हें सात करोड़ रुपये दिए जाएंगे.

यह भी पढ़ें : जानिए नेशनल अवॉर्ड विजेता दिव्यांग क्रिकेटर रामबाबू की कहानी

रैगिंग से परेशान होकर इंजीनियरिंग बीच में ही छोड़ने वाले डिसले को उनके पिता ने शिक्षक बनने की प्रेरणा दी. प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद वह 11 साल पहले सूखाग्रस्त परीतेवाड़ी में जिला परिषद प्राथमिक शाला में शिक्षक नियुक्त हुए. स्कूल के नाम पर टूटी-फूटी इमारत, 110 छात्र और पांच शिक्षक लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

क्यूआर कोड वाली किताबें

शिक्षा में नए प्रयोगों के हिमायती डिसले ने लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया और 'क्विक रिस्पांस' (क्यू आर) कोड पाठ्यपुस्तक लेकर आए जो जिले से राज्य और फिर पूरे देश में लागू हो गई. इसमें छात्र क्यू आर कोड स्कैन कर ऑडियो, वीडियो व्याख्यान, कहानी और प्रोजेक्ट देख सकते थे.

2018 के सर्वश्रेष्ठ नवप्रवर्तक

शिक्षा को रोचक और मनोरंजक बनाने वाले डिसले के इन प्रयासों से स्कूल में छात्रों की उपस्थिति सौ फीसदी रही और उसे जिले के सर्वश्रेष्ठ स्कूल का पुरस्कार मिला. लेकिन यह पुरस्कारों की एक कड़ी की शुरुआत भर थी जिसकी परिणिति दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के पुरस्कार के साथ हुई. उन्हें माइक्रोसॉफ्ट ने ' इनोवेटिव एजुकेटर एक्सपर्ट' का पुरस्कार दिया और उन्होंने राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान का 'वर्ष 2018 के सर्वश्रेष्ठ नवप्रवर्तक' का पुरस्कार भी जीता.

पहले प्रयास में रहे नाकाम

'ग्लोबल टीचर' पुरस्कार के लिए प्रक्रिया करीब साल भर चली और कोरोना महामारी के कारण विलंब भी होता गया. पहले प्रयास में नाकाम रहे डिसले इस बार सारी प्रक्रियाओं में खरे उतरते रहे और लड़कियों की शिक्षा तथा क्यूआर कोड ने उन्हें दूसरों से बेहतर बनाया.

(भाषा इनपुट के साथ)

मुंबई : देश के एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक को लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने और भारत में क्यूआर कोडेड किताबों के माध्यम से शिक्षा में क्रांति को गति देने के उनके प्रयासों के लिए एक मिलियन डॉलर का ग्लोबल टीचर प्राइज 2020 मिला है.

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के परितेवाडी गांव के 32 वर्षीय रणजीत सिंह डिसले दुनियाभर के 140 देशों के 12,000 शिक्षकों में से नामित होकर 10 फाइनलिस्टों में से चुने गए और यह अवॉर्ड जीता.

शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा

इस अवसर पर मीडिया से बात करते उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि मुझे यह पुरस्कार मिला है. यह अवार्ड पूरी दुनिया के शिक्षकों के लिए एक प्ररेणा है. उन्होंने कहा कि शिक्षक ही किसी भी देश के विकास की नींव क्लास रूम में रखते है. ऐसे में टीचर्स की सराहना करना बेहद जरूरी है.

रणजीत सिंह डिसले का बयान

फाइनल में पहुंचने वालों के साथ शेयर करेंगे इनाम

सात करोड़ रुपये जीतने वाले डिसले का मानना है कि शिक्षक समाज में वास्तविक परिवर्तन का निर्माता है. इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की है कि वह अपनी पुरस्कार राशि का 50 प्रतिशत हिस्सा बाकी नौ फाइनलिस्टों के साथ शेयर करेंगे.

डिसले ने हालांकि पुरस्कार का बड़ा हिस्सा बाकी दावेदारों के साथ बांटने की घोषणा की और यह भी कहा कि यह फैसला भावनाओं में बहकर नहीं, बल्कि सोच समझकर काफी पहले ही ले लिया था. उन्होंने कहा, 'अगर मैं अकेले यह पुरस्कार ले लूं तो सही नहीं होगा क्योंकि सभी ने शानदार काम किया है. शिक्षक 'इनकम' के लिए नहीं 'आउटकम' के लिए काम करते हैं. हम सभी मिलकर समाज की दशा और दिशा बदल सकते हैं.'

सुनी जाए शिक्षकों की आवाज

'थ्री इडियट्स ' या 'तारे जमीं पर' के आमिर खान जैसे किरदारों की तरह डिसले का भी मानना है कि शिक्षकों को नयी पहल कर शिक्षा को रोचक बनाना चाहिए और सरकार से उनकी इतनी सी मांग है कि एक पूरी पीढ़ी को तैयार करने वाले शिक्षकों की आवाज सुनी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, 'शिक्षा के क्षेत्र में कई चुनौतियां हैं, मसलन लड़कियों की शिक्षा के आंकड़े अभी भी अच्छे नहीं हैं. बच्चों के बीच में ही स्कूल छोड़ देने की समस्या है जो कोरोना महामारी के बीच और बढ़ गई. सरकार और शिक्षकों को मिलकर इन चुनौतियों से निपटना होगा. इसके लिए जरूरी है कि शिक्षकों की आवाज सुनी जाए.'

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को प्राथमिकता

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उनकी उपलब्धि के लिए डिसले को बधाई दी. सीएमओ ने एक ट्वीट में कहा, 'महाराष्ट्र के सीएम ने रणजीत सिंह को बधाई दी. उद्धव ने रणजीत डिसले को मुलाकात के लिए आमंत्रित भी किया. डिसले ने सीएम को बताया कि वे अपने पुरस्कार का उपयोग शिक्षक नवाचार निधि के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए करेंगे.

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी डिसले को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट किया, 'रणजीत सिंह डिसले को मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. लंदन स्थित वर्की फाउंडेशन द्वारा सोलापुर जिले के परतेवाड़ी में एक शिक्षक को एक मिलियन डॉलर के ग्लोबल टीचर प्राइज 2020 के लिए चुने जाने पर, उन्हें बधाई.'

गौरवान्वित हुए असंख्य शिक्षक

बता दें कि देश में शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने का रणजीत सिंह डिसले का जज्बा 'थ्री इडियट्स' या 'तारे जमीं पर' के आमिर खान की याद दिलाता है. इसी जज्बे की वजह से 12,000 उम्मीदवारों के बीच उन्हें 'ग्लोबल टीचर' पुरस्कार मिला है. उनकी इस उपलब्धि ने भारत ही नहीं, बल्कि अभावों के बीच दुनिया में तालीम के बीज बो रहे असंख्य शिक्षकों को गौरवान्वित किया है.

समर्पण की कहानी हैं रणजीत

माइक्रोसॉफ्ट के 'इनोवेटिव एजुकेटर एक्सपर्ट' पुरस्कार और राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान के ' वर्ष 2018 के सर्वश्रेष्ठ नवप्रवर्तक' पुरस्कार से लेकर 'ग्लोबल टीचर' पुरस्कार तक, ये सब रणजीत डिसले की प्रतिभा और समर्पण की कहानी बयां करते हैं.

ऑनलाइन समारोह में विजेता की घोषणा

डिसले महाराष्ट्र के सोलापुर जिले की माढा तालुका स्थित दो हजार से भी कम की आबादी वाले परीतेवाडी गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं. डिसले को 'ग्लोबल टीचर' पुरस्कार के लिए चुने जाने की घोषणा लंदन में एक ऑनलाइन समारोह में अभिनेता स्टीफन फ्राई ने की थी.

सात करोड़ रुपये मिलेंगे

पहली बार भारत के किसी शिक्षक को यह पुरस्कार मिला है. बड़ी बात यह है कि डिसले को विश्व के 140 देशों से 12 हजार से अधिक शिक्षकों में से चुना गया है. यूनेस्को और लंदन के वार्की फाउंडेशन द्वारा दिए जाने वाले इस पुरस्कार में उन्हें सात करोड़ रुपये दिए जाएंगे.

यह भी पढ़ें : जानिए नेशनल अवॉर्ड विजेता दिव्यांग क्रिकेटर रामबाबू की कहानी

रैगिंग से परेशान होकर इंजीनियरिंग बीच में ही छोड़ने वाले डिसले को उनके पिता ने शिक्षक बनने की प्रेरणा दी. प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद वह 11 साल पहले सूखाग्रस्त परीतेवाड़ी में जिला परिषद प्राथमिक शाला में शिक्षक नियुक्त हुए. स्कूल के नाम पर टूटी-फूटी इमारत, 110 छात्र और पांच शिक्षक लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

क्यूआर कोड वाली किताबें

शिक्षा में नए प्रयोगों के हिमायती डिसले ने लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया और 'क्विक रिस्पांस' (क्यू आर) कोड पाठ्यपुस्तक लेकर आए जो जिले से राज्य और फिर पूरे देश में लागू हो गई. इसमें छात्र क्यू आर कोड स्कैन कर ऑडियो, वीडियो व्याख्यान, कहानी और प्रोजेक्ट देख सकते थे.

2018 के सर्वश्रेष्ठ नवप्रवर्तक

शिक्षा को रोचक और मनोरंजक बनाने वाले डिसले के इन प्रयासों से स्कूल में छात्रों की उपस्थिति सौ फीसदी रही और उसे जिले के सर्वश्रेष्ठ स्कूल का पुरस्कार मिला. लेकिन यह पुरस्कारों की एक कड़ी की शुरुआत भर थी जिसकी परिणिति दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के पुरस्कार के साथ हुई. उन्हें माइक्रोसॉफ्ट ने ' इनोवेटिव एजुकेटर एक्सपर्ट' का पुरस्कार दिया और उन्होंने राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान का 'वर्ष 2018 के सर्वश्रेष्ठ नवप्रवर्तक' का पुरस्कार भी जीता.

पहले प्रयास में रहे नाकाम

'ग्लोबल टीचर' पुरस्कार के लिए प्रक्रिया करीब साल भर चली और कोरोना महामारी के कारण विलंब भी होता गया. पहले प्रयास में नाकाम रहे डिसले इस बार सारी प्रक्रियाओं में खरे उतरते रहे और लड़कियों की शिक्षा तथा क्यूआर कोड ने उन्हें दूसरों से बेहतर बनाया.

(भाषा इनपुट के साथ)

Last Updated : Dec 7, 2020, 8:21 PM IST
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