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संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी पर सरकार की समिति को किया खारिज

न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर सरकार द्वारा गठित की गई समिति को संयुक्त किसान मोर्चा ने खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि सरकार ने तथाकथित किसान नेताओं को समिति में शामिल किया है जिनका दिल्ली की सीमाओं पर हुए किसान आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था.

SKM rejects governments MSP panel
संयुक्त किसान मोर्चा एमएसपी सरकार समिति खारिज
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Published : Jul 19, 2022, 6:19 PM IST

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने मंगलवार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार की समिति को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि निरस्त किए जा चुके कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले तथाकथित किसान नेता इसके सदस्य हैं. एसकेएम के वरिष्ठ सदस्य दर्शन पाल ने आरोप लगाया कि केंद्र की समिति फर्जी दिखती है क्योंकि वह किसानों के कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने की बात नहीं करती.

सरकार ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेते हुए इस तरह की एक समिति के गठन का वादा किया था, जिसके आठ महीने बाद सोमवार को एमएसपी पर एक समिति का गठन किया गया. पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल समिति के अध्यक्ष होंगे. सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तीन सदस्यों को समिति में शामिल करने का प्रावधान किया है. किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया, 'आज, हमने संयुक्त किसान मोर्चा के गैर-राजनीतिक नेताओं की एक बैठक की. सभी नेताओं ने सरकार की समिति को खारिज कर दिया. सरकार ने तथाकथित किसान नेताओं को समिति में शामिल किया है, जिनका दिल्ली की सीमाओं पर तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ हुए हमारे आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था.'

कोहाड़ ने कहा कि सरकार ने कॉरपोरेट जगत के कुछ लोगों को भी एमएसपी समिति का सदस्य बनाया है. किसान नेता ने कहा कि एसकेएम शाम को अपने रुख पर विस्तृत बयान जारी करेगा. किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि उन्हें इस समिति में कोई विश्वास नहीं है क्योंकि इसके नियम और संदर्भ स्पष्ट नहीं हैं. पाल ने कहा, 'समिति में पंजाब का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. केंद्र द्वारा गठित यह समिति किसानों के कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने की बात नहीं करती है.'

उन्होंने कहा, 'एसकेएम की तीन जुलाई की बैठक में हमने फैसला किया था कि हम किसी भी समिति के लिए अपने प्रतिनिधियों के नाम तभी देंगे जब केंद्र की समिति के संदर्भ की शर्तें हमें स्पष्ट कर दी जाएंगी. इस समिति में यह कमी दिखती है और यह फर्जी लगती है.' एसकेएम के नेतृत्व में हजारों किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक आंदोलन करते हुए अंतत: सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था. वहीं पिछले साल नवंबर में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमएसपी पर कानूनी गारंटी की किसानों की मांग पर चर्चा करने के लिए एक समिति गठित करने का वादा किया था.

कृषि मंत्रालय ने इस संबंध में समिति की घोषणा करते हुए एक राजपत्रित अधिसूचना जारी की. समिति में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, भारतीय आर्थिक विकास संस्थान के कृषि-अर्थशास्त्री सीएससी शेखर और आईआईएम-अहमदाबाद के सुखपाल सिंह तथा कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) के वरिष्ठ सदस्य नवीन पी सिंह शामिल होंगे. किसानों के प्रतिनिधियों में से समिति में, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता किसान भारत भूषण त्यागी, एसकेएम के तीन सदस्य और अन्य किसान संगठनों के पांच सदस्य होंगे, जिनमें गुणवंत पाटिल, कृष्णवीर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गुनी प्रकाश और सैय्यद पाशा पटेल शामिल हैं.

यह भी पढ़ें-संयुक्त किसान मोर्चा एमएसपी और अग्निपथ योजना को लेकर 22 अगस्त को पंचायत करेगा

वहीं किसान सहकारिता के दो सदस्य, इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी और सीएनआरआई महासचिव बिनोद आनंद समिति में शामिल हैं. कृषि विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ सदस्य, केंद्र सरकार के पांच सचिव और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के मुख्य सचिव भी समिति का हिस्सा हैं.

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने मंगलवार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार की समिति को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि निरस्त किए जा चुके कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले तथाकथित किसान नेता इसके सदस्य हैं. एसकेएम के वरिष्ठ सदस्य दर्शन पाल ने आरोप लगाया कि केंद्र की समिति फर्जी दिखती है क्योंकि वह किसानों के कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने की बात नहीं करती.

सरकार ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेते हुए इस तरह की एक समिति के गठन का वादा किया था, जिसके आठ महीने बाद सोमवार को एमएसपी पर एक समिति का गठन किया गया. पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल समिति के अध्यक्ष होंगे. सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तीन सदस्यों को समिति में शामिल करने का प्रावधान किया है. किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया, 'आज, हमने संयुक्त किसान मोर्चा के गैर-राजनीतिक नेताओं की एक बैठक की. सभी नेताओं ने सरकार की समिति को खारिज कर दिया. सरकार ने तथाकथित किसान नेताओं को समिति में शामिल किया है, जिनका दिल्ली की सीमाओं पर तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ हुए हमारे आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था.'

कोहाड़ ने कहा कि सरकार ने कॉरपोरेट जगत के कुछ लोगों को भी एमएसपी समिति का सदस्य बनाया है. किसान नेता ने कहा कि एसकेएम शाम को अपने रुख पर विस्तृत बयान जारी करेगा. किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि उन्हें इस समिति में कोई विश्वास नहीं है क्योंकि इसके नियम और संदर्भ स्पष्ट नहीं हैं. पाल ने कहा, 'समिति में पंजाब का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. केंद्र द्वारा गठित यह समिति किसानों के कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने की बात नहीं करती है.'

उन्होंने कहा, 'एसकेएम की तीन जुलाई की बैठक में हमने फैसला किया था कि हम किसी भी समिति के लिए अपने प्रतिनिधियों के नाम तभी देंगे जब केंद्र की समिति के संदर्भ की शर्तें हमें स्पष्ट कर दी जाएंगी. इस समिति में यह कमी दिखती है और यह फर्जी लगती है.' एसकेएम के नेतृत्व में हजारों किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक आंदोलन करते हुए अंतत: सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था. वहीं पिछले साल नवंबर में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमएसपी पर कानूनी गारंटी की किसानों की मांग पर चर्चा करने के लिए एक समिति गठित करने का वादा किया था.

कृषि मंत्रालय ने इस संबंध में समिति की घोषणा करते हुए एक राजपत्रित अधिसूचना जारी की. समिति में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, भारतीय आर्थिक विकास संस्थान के कृषि-अर्थशास्त्री सीएससी शेखर और आईआईएम-अहमदाबाद के सुखपाल सिंह तथा कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) के वरिष्ठ सदस्य नवीन पी सिंह शामिल होंगे. किसानों के प्रतिनिधियों में से समिति में, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता किसान भारत भूषण त्यागी, एसकेएम के तीन सदस्य और अन्य किसान संगठनों के पांच सदस्य होंगे, जिनमें गुणवंत पाटिल, कृष्णवीर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गुनी प्रकाश और सैय्यद पाशा पटेल शामिल हैं.

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वहीं किसान सहकारिता के दो सदस्य, इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी और सीएनआरआई महासचिव बिनोद आनंद समिति में शामिल हैं. कृषि विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ सदस्य, केंद्र सरकार के पांच सचिव और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के मुख्य सचिव भी समिति का हिस्सा हैं.

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