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विधानसभा चुनाव के कारण सिरीसिला के बुनकरों को मिला रहा बेहतर रोजगार - झंडे की कीमतों में ध्वज

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के कारण सिरीसिला में कपड़ा उद्योग फल फूल रहा है. चुनावों के कारण यहां लोगों को बड़ी तादाद में काम मिल रहा है. साथ ही अच्छी मजदूरी भी मिल रही है.

Legislativeनकरों को मिला रहा बहतर रोजगार
नकरों को मिला रहा बहतर रोजगार
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Published : Mar 18, 2021, 4:28 PM IST

Updated : Mar 18, 2021, 4:53 PM IST

हैदराबाद : इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश के किसी भी राज्य में चुनावों के संचालन के दौरान सिरीसिला में कपड़ा उद्योग फलने-फूलने लगता है. देखा जाए, तो अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव तेलंगाना के बटुकम्मा के साड़ी बुनकरों के लिए रोजगार लेकर आए हैं. तेलंगाना के सिरिसिला में इन दिनों अलग-अलग पार्टी के झंडे और अन्य चुनाव प्रचार सामग्री जैसे झंडे, बैनर, तौलिया, स्टोल इत्यादि को व्यक्तिगत ऑर्डरों पर तैयार किया जा रहा है.

देश के पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में भाग लेने वाले विभिन्न दलों की बदौलत सैकंड़ों लोग अपनी आजीविका पा रहे हैं.

देश भर के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को साथ साथ पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में भी नगरपालिका चुनाव होने जा रहे हैं ऐर चुनाव अभियान के लिए आवश्यक विभिन्न दलों के झंडे और बैनर, सिरिसिला जिले के राजन्ना में तैयार किए जा रहे हैं.

शहर के बुनकर करघे पर पॉलिएस्टर कपड़े का उत्पादन करते हैं, जिनपर विभिन्न पार्टी के प्रतीकों को प्रिंट किया जाता है उसके बाद उन्हें विभिन्न आकारों में काटकर यहां से निर्यात किया जाता है.

आमतौर यहां लोग कपड़े के व्यवसाय से जुडे़ हैं, जबकि पति यहां कपड़ा उद्योग में काम करते हैं, तब उनकी पत्नियां अपने परिवारों का समर्थन करने के लिए बीड़ी बनाने का काम करती हैं.

विधानसभा चुनाव के कारण सिरीसिला के बुनकरों को मिला रहा बेहतर रोजगार

हालांकि संबंधित राज्यों में चुनाव के बाद विभिन्न पार्टियों से बड़ी संख्या में ऑर्डर आ रहे हैं, जिससे यहां के लोगों को रोजगार मिल रहा है और साथ उन्हें बेहतर मजदूरी भी मिल रही है. इसके अलावा यहां के मदजूर काम पाकर खुश हैं.

पार्टी के झंडे और बैनर के निर्यात के लिए सिरिसिला व्यापारियों को दिए जाने वाले ऑर्डर और उसके बाद भुगतान ऑनलाइन किए जा रहे हैं.

चुनाव अभियान सामग्री की तैयारी में उपयोग किए जाने वाले पॉलिएस्टर कपड़े सामग्री का उत्पादन करने वाले लगभग 10,000 बुनकरों द्वारा कुल 27,000 करघों को काम पर लगाया गया है.

इस तरह जब तक ऑर्डर आते रहेंगे सभी बुनकर अपनी आजीविका को लेकर सुनिश्चित रहेंगे. मतदान क्षेत्रों के एजेंट व्यापारियों को सीधे ऑर्डर देते हैं, क्योंकि कपड़े के प्रकार को छोड़ दें , तो झंडे और बैनर सभी सस्ते होते हैं.

झंडे की कीमतें ध्वज के आकार के आधारित होती हैं, जो 4 से लेकर रु .30 प्रति टुकड़ा तक होती हैं. इसी तरह स्कार्फ भी आकार पर निर्भर होते हैं. इनकी कीमत 30 रुपये से लेकर 50 रुपये तक होती है.

फैंसी और डिजाइनर स्कार्फ की कीमत इन कीमतों से थोड़ी अधिक है. हालांकि, मूल्य पूर्व निर्धारित किया जाता है जब ऑर्डर लिया जाता है और फिर उसी के अनुसार आपूर्ति की जाती है.

शहर में लगभग 10 व्यापारियों के बड़े ऑर्डर लेने से, शहर की महिलाओं, युवाओं, हथकरघा बुनकरों और दर्जी को अच्छा रोजगार मिल रहा है.

ये कार्यकर्ता पहले बीड़ी बनाते थे. वे न्यूनतम 500 बीड़ी की तैयार के लिए प्रति माह लगभग 1500 से 2000 रुपये तक लेते थे. हालांकि, झंडे और चुनाव सामग्री के उत्पादन की शुरुआत के साथ, वही कार्यकर्ता लगभग 6000 से 9000 रुपये कमा रहे हैं.

फिलहाल पांच चार राज्यों में चुनाव हो रहे हैं और इससे लगभग 1000 मजदूर प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं, जबकि 500 अन्य महिलाओं को अप्रत्यक्ष रूप से इन ऑर्डर का लाभ मिल रहा है.

तमिलनाडु ने पहले भी 2014 के चुनावों में, सिरीसिलिया बुनकरों को लगभग 1 करोड़ हथकरघा साड़ियों का आदेश दिया था.

वर्तमान समय में, इन बुनकरों को न केवल स्थानीय क्षेत्रों से, बल्कि पड़ोसी राज्यों आंध्र प्रदेश ,तमिलनाडु और अन्य राज्यों से भी प्रचार सामग्री के थोक में ऑर्डर मिलने की उम्मीद हैं.

यह एक बार फिर साबित करता है कि एक लोकतांत्रिक देश में चुनाव न केवल अपने नागरिकों के जीवन को बदलते हैं, बल्कि इसके कई नागरिकों और उनके परिवारों के लिए आजीविका के लिए भी अहम होते हैं.

चुनाव सामाग्री तैयार करने वाली एक मजदूर ने कहा कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल जहां विधानसभा चुनाव हो रहे है. वहां चुनाव प्रचार के लिए आवश्यक विभिन्न दलों के झंडे और स्कार्फ सिरिसिला जिले के राजन्ना में बनाए जा रहे हैं, जबकि उनके पति कपड़ा उद्योग में काम करते हैं, पत्नियां अपने परिवारों का समर्थन करने के लिए बीड़ी उद्योग पर निर्भर हैं. हालाकिं संबंधित राज्यों में विभिन्न दलों से बड़ी संख्या में आदेश आने के बाद, यहां के उद्योग को रोजगार मिला है.

पढ़ें - पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव: 21 को जारी होगा भाजपा का घोषणा पत्र!

आय बढ़ रही है और मजदूकों को बेहतर मजदूरी मिल रही है. इससे श्रमिकों की खुशी दोगुनी हो गई क्योंकि उन्हें कई महीने से काम नहीं मिला. महिलाएं प्रति दिन 200 रुपये से अधिक मजदूरी पाकर खुश हैं.

ऐसी महिलाएं भी हैं जो दूसरे जिलों से यहां आती हैं और कपड़ा उद्योग में रोजगार पाती हैं. उन्होंने कहा कि यह काम चुनाव आने पर ही होगा. अन्य समय में हम बीड़ियों को बनाएंगे, लेकिन बीड़ी उद्योग में वे केवल मामूली मजदूरी मिलती है.

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि यह काम बीडि़यों को लपेटने के काम से आसान है. आय भी पर्याप्त रूप से आ रही है.

वे चाहते हैं कि सरकार पहल करे और उन्हें अच्छी आय के साथ स्थायी रोजगार प्रदान करे. उन्हें उम्मीद थी कि अगर उन्हें सिलाई मशीन जैसी कोई चीज मुहैया कराई जाए तो वे इसे स्व-नियोजित कर सकेंगे.

हैदराबाद : इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश के किसी भी राज्य में चुनावों के संचालन के दौरान सिरीसिला में कपड़ा उद्योग फलने-फूलने लगता है. देखा जाए, तो अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव तेलंगाना के बटुकम्मा के साड़ी बुनकरों के लिए रोजगार लेकर आए हैं. तेलंगाना के सिरिसिला में इन दिनों अलग-अलग पार्टी के झंडे और अन्य चुनाव प्रचार सामग्री जैसे झंडे, बैनर, तौलिया, स्टोल इत्यादि को व्यक्तिगत ऑर्डरों पर तैयार किया जा रहा है.

देश के पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में भाग लेने वाले विभिन्न दलों की बदौलत सैकंड़ों लोग अपनी आजीविका पा रहे हैं.

देश भर के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को साथ साथ पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में भी नगरपालिका चुनाव होने जा रहे हैं ऐर चुनाव अभियान के लिए आवश्यक विभिन्न दलों के झंडे और बैनर, सिरिसिला जिले के राजन्ना में तैयार किए जा रहे हैं.

शहर के बुनकर करघे पर पॉलिएस्टर कपड़े का उत्पादन करते हैं, जिनपर विभिन्न पार्टी के प्रतीकों को प्रिंट किया जाता है उसके बाद उन्हें विभिन्न आकारों में काटकर यहां से निर्यात किया जाता है.

आमतौर यहां लोग कपड़े के व्यवसाय से जुडे़ हैं, जबकि पति यहां कपड़ा उद्योग में काम करते हैं, तब उनकी पत्नियां अपने परिवारों का समर्थन करने के लिए बीड़ी बनाने का काम करती हैं.

विधानसभा चुनाव के कारण सिरीसिला के बुनकरों को मिला रहा बेहतर रोजगार

हालांकि संबंधित राज्यों में चुनाव के बाद विभिन्न पार्टियों से बड़ी संख्या में ऑर्डर आ रहे हैं, जिससे यहां के लोगों को रोजगार मिल रहा है और साथ उन्हें बेहतर मजदूरी भी मिल रही है. इसके अलावा यहां के मदजूर काम पाकर खुश हैं.

पार्टी के झंडे और बैनर के निर्यात के लिए सिरिसिला व्यापारियों को दिए जाने वाले ऑर्डर और उसके बाद भुगतान ऑनलाइन किए जा रहे हैं.

चुनाव अभियान सामग्री की तैयारी में उपयोग किए जाने वाले पॉलिएस्टर कपड़े सामग्री का उत्पादन करने वाले लगभग 10,000 बुनकरों द्वारा कुल 27,000 करघों को काम पर लगाया गया है.

इस तरह जब तक ऑर्डर आते रहेंगे सभी बुनकर अपनी आजीविका को लेकर सुनिश्चित रहेंगे. मतदान क्षेत्रों के एजेंट व्यापारियों को सीधे ऑर्डर देते हैं, क्योंकि कपड़े के प्रकार को छोड़ दें , तो झंडे और बैनर सभी सस्ते होते हैं.

झंडे की कीमतें ध्वज के आकार के आधारित होती हैं, जो 4 से लेकर रु .30 प्रति टुकड़ा तक होती हैं. इसी तरह स्कार्फ भी आकार पर निर्भर होते हैं. इनकी कीमत 30 रुपये से लेकर 50 रुपये तक होती है.

फैंसी और डिजाइनर स्कार्फ की कीमत इन कीमतों से थोड़ी अधिक है. हालांकि, मूल्य पूर्व निर्धारित किया जाता है जब ऑर्डर लिया जाता है और फिर उसी के अनुसार आपूर्ति की जाती है.

शहर में लगभग 10 व्यापारियों के बड़े ऑर्डर लेने से, शहर की महिलाओं, युवाओं, हथकरघा बुनकरों और दर्जी को अच्छा रोजगार मिल रहा है.

ये कार्यकर्ता पहले बीड़ी बनाते थे. वे न्यूनतम 500 बीड़ी की तैयार के लिए प्रति माह लगभग 1500 से 2000 रुपये तक लेते थे. हालांकि, झंडे और चुनाव सामग्री के उत्पादन की शुरुआत के साथ, वही कार्यकर्ता लगभग 6000 से 9000 रुपये कमा रहे हैं.

फिलहाल पांच चार राज्यों में चुनाव हो रहे हैं और इससे लगभग 1000 मजदूर प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं, जबकि 500 अन्य महिलाओं को अप्रत्यक्ष रूप से इन ऑर्डर का लाभ मिल रहा है.

तमिलनाडु ने पहले भी 2014 के चुनावों में, सिरीसिलिया बुनकरों को लगभग 1 करोड़ हथकरघा साड़ियों का आदेश दिया था.

वर्तमान समय में, इन बुनकरों को न केवल स्थानीय क्षेत्रों से, बल्कि पड़ोसी राज्यों आंध्र प्रदेश ,तमिलनाडु और अन्य राज्यों से भी प्रचार सामग्री के थोक में ऑर्डर मिलने की उम्मीद हैं.

यह एक बार फिर साबित करता है कि एक लोकतांत्रिक देश में चुनाव न केवल अपने नागरिकों के जीवन को बदलते हैं, बल्कि इसके कई नागरिकों और उनके परिवारों के लिए आजीविका के लिए भी अहम होते हैं.

चुनाव सामाग्री तैयार करने वाली एक मजदूर ने कहा कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल जहां विधानसभा चुनाव हो रहे है. वहां चुनाव प्रचार के लिए आवश्यक विभिन्न दलों के झंडे और स्कार्फ सिरिसिला जिले के राजन्ना में बनाए जा रहे हैं, जबकि उनके पति कपड़ा उद्योग में काम करते हैं, पत्नियां अपने परिवारों का समर्थन करने के लिए बीड़ी उद्योग पर निर्भर हैं. हालाकिं संबंधित राज्यों में विभिन्न दलों से बड़ी संख्या में आदेश आने के बाद, यहां के उद्योग को रोजगार मिला है.

पढ़ें - पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव: 21 को जारी होगा भाजपा का घोषणा पत्र!

आय बढ़ रही है और मजदूकों को बेहतर मजदूरी मिल रही है. इससे श्रमिकों की खुशी दोगुनी हो गई क्योंकि उन्हें कई महीने से काम नहीं मिला. महिलाएं प्रति दिन 200 रुपये से अधिक मजदूरी पाकर खुश हैं.

ऐसी महिलाएं भी हैं जो दूसरे जिलों से यहां आती हैं और कपड़ा उद्योग में रोजगार पाती हैं. उन्होंने कहा कि यह काम चुनाव आने पर ही होगा. अन्य समय में हम बीड़ियों को बनाएंगे, लेकिन बीड़ी उद्योग में वे केवल मामूली मजदूरी मिलती है.

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि यह काम बीडि़यों को लपेटने के काम से आसान है. आय भी पर्याप्त रूप से आ रही है.

वे चाहते हैं कि सरकार पहल करे और उन्हें अच्छी आय के साथ स्थायी रोजगार प्रदान करे. उन्हें उम्मीद थी कि अगर उन्हें सिलाई मशीन जैसी कोई चीज मुहैया कराई जाए तो वे इसे स्व-नियोजित कर सकेंगे.

Last Updated : Mar 18, 2021, 4:53 PM IST
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