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सिख विरोधी दंगा : अदालत ने सज्जन कुमार के खिलाफ दस्तावेजों की जांच की - कांग्रेस नेता सिख विरोधी दंगे

सिख विरोधी दंगों (sikh riots case) के आरोपी पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के सरस्वती विहार के एक मामले में दस्तावेजों की जांच की गई. राउज एवेन्यू कोर्ट ने गवाहों के परीक्षण के लिए 15 और 17 जनवरी की तारीख दी है.

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सिख विरोधी दंगा
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Published : Dec 23, 2021, 10:43 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में गुरुवार को पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे (sikh riots case) के दौरान सरस्वती विहार के एक मामले में दस्तावेजों का जांच किया गया. स्पेशल जज एमके नागपाल ने दस्तावेजों की जांच के बाद अभियोजन पक्ष के गवाहों के परीक्षण के लिए 15 और 17 जनवरी 2022 की तारीख तय की है.

सुनवाई के दौरान सज्जन कुमार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए. सज्जन कुमार की तबीयत खराब होने की वजह से वह बीच में ही सुनवाई से चले गए. बीते 16 दिसंबर को कोर्ट ने दस्तावेजों की जांच का आदेश दिया था. 16 दिसंबर को सज्जन कुमार ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही थी. पिछले चार दिसंबर को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.

मामला एक नवंबर 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. शाम को करीब चार-साढ़े चार बजे दंगाइयों की भीड़ ने पीड़ितों के राज नगर इलाके स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया था. शिकायतकर्ताओं के मुताबिक, इस भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे, जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे.

शिकायत के मुताबिक, सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया, जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया था. भीड़ ने पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी को भी अंजाम दिया था.

शिकायतकर्ता की ओर से तत्कालीन रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाले जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 395, 397, 302, 307, 436 और 440 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए.

यह भी पढ़ें- 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय, कोर्ट ने किया तलब

शिकायतकर्ता ने सज्जन कुमार की पहचान तब की, जब उसने सज्जन कुमार की एक तस्वीर देखी. इस मामले को 1984 में बंद कर दिया गया था, लेकिन जब एसआईटी ने इसे दोबारा खोलने का आदेश दिया तब राउज एवेन्यू कोर्ट ने आरोप तय किया. कोर्ट ने कहा कि इस बात के पर्याप्त तथ्य हैं कि आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए जाएं.

नई दिल्ली : दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में गुरुवार को पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे (sikh riots case) के दौरान सरस्वती विहार के एक मामले में दस्तावेजों का जांच किया गया. स्पेशल जज एमके नागपाल ने दस्तावेजों की जांच के बाद अभियोजन पक्ष के गवाहों के परीक्षण के लिए 15 और 17 जनवरी 2022 की तारीख तय की है.

सुनवाई के दौरान सज्जन कुमार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए. सज्जन कुमार की तबीयत खराब होने की वजह से वह बीच में ही सुनवाई से चले गए. बीते 16 दिसंबर को कोर्ट ने दस्तावेजों की जांच का आदेश दिया था. 16 दिसंबर को सज्जन कुमार ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही थी. पिछले चार दिसंबर को कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.

मामला एक नवंबर 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. शाम को करीब चार-साढ़े चार बजे दंगाइयों की भीड़ ने पीड़ितों के राज नगर इलाके स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया था. शिकायतकर्ताओं के मुताबिक, इस भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे, जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे.

शिकायत के मुताबिक, सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया, जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया था. भीड़ ने पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी को भी अंजाम दिया था.

शिकायतकर्ता की ओर से तत्कालीन रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाले जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 395, 397, 302, 307, 436 और 440 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए.

यह भी पढ़ें- 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय, कोर्ट ने किया तलब

शिकायतकर्ता ने सज्जन कुमार की पहचान तब की, जब उसने सज्जन कुमार की एक तस्वीर देखी. इस मामले को 1984 में बंद कर दिया गया था, लेकिन जब एसआईटी ने इसे दोबारा खोलने का आदेश दिया तब राउज एवेन्यू कोर्ट ने आरोप तय किया. कोर्ट ने कहा कि इस बात के पर्याप्त तथ्य हैं कि आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए जाएं.

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