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बाढ़ की चपेट में आए सिद्धि समाज के लोग जिदंगी बचाने के लिए कर रहे संघर्ष

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Published : Aug 3, 2021, 8:44 PM IST

ऐसे में उत्तर कन्नड़ (Uttara Kannada) जिले के यल्लापुरा तालुक के केलाशे गांव में सिद्धि समुदाय भयानक स्थिति का सामना कर रहा है. यहां भारी बारिश के कारण पहाड़ी और मिट्टी ढह गई है. उनके घरों के अंदर पानी भर चुका है. जान बचाने के लिए लोग इलाके से दूर अपने परिजनों के घरों पर शरण ले रहे हैं.

बाढ़
बाढ़

बेंगलुरु : सिद्धि समाज (Siddhi community) जो आदिवासी समुदाय (tribal community) में सबसे गरीब है. पिछले कुछ दिनों से चली आ रही बारिश और बाढ़ ने सैकड़ों वर्षों से जंगल में बसे इस समाज लोगों को बर्बाद कर दिया है.एक ओर जहां बाढ़ देखने को मिल रही है जिसने जगंलों में बसे घरों और खेतों को तबाह कर दिया है, तो वहीं दूसरी तरफ यहां अब पहाड़ भी खिसकने लगे हैं.

ऐसे में उत्तर कन्नड़ (Uttara Kannada) जिले के यल्लापुरा तालुक के केलाशे गांव में सिद्धि समुदाय इस भयानक स्थिति का सामना कर रहा है. यहां भारी बारिश के कारण पहाड़ी और मिट्टी ढह गई है. उनके घरों के अंदर पानी भर चुका है. जान बचाने के लिए लोग किसी तरह रस्सी बांधकर बाहर निकले और अपनी, महिलाओं और बच्चों की जान बचाई.

घर पानी से भर गए हैं और सारा सामान पानी में डूब गया है. भले ही अब बाढ़ कम हो गई हो, लेकिन उनके घर की दीवारें ढह गई हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि मौजूदा दीवारें जर्जर हैं और लोग घरों में रहने से डर रहे हैं.

बता दें कि केलाशे गांव (Kelashe village) में कुल 40 घर हैं. भारी बारिश से घरों और खेतों में कीचड़ फैल गई है.

ऐसे में वे अपने घरों को छोड़ चुके हैं. कुछ लोग करीब एक किलोमीटर दूर दूसरे घरों में शरण ले रहे हैं. केला, सुपारी, नारियल के बागान बर्बाद हो गए हैं.एक किलोमीटर के अंदर पहाड़ी के दोनों किनारों के ढहने से रहवासियों को चिंता सता रही है कि पहाड़ी फिर खिसकेगी.

ऐसी आपदाओं के बावजूद, अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिनिधि या अधिकारी (official representatives ) क्षेत्र में नहीं पहुंचे हैं. यहां केयर सेंटर की व्यवस्था भी नहीं है.

पूर्व मंत्री शिवराम हेब्बार (former minister Shivaram Hebbar) का गृहनगर भले ही यहां मौजूद है, लेकिन फिर भी लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित और उपेक्षित हैं.

इस क्षेत्र के लोग इस बात पर जोर देते हैं कि उन्हें उचित समाधान मुहैया कराया जाए. जिले में हुई भारी बारिश से काफी नुकसान हुआ है, लेकिन कुछ केयर सेंटर (Care center) ने तुरंत प्रतिक्रिया दी है, लेकिन केलाशे गांव के लोगों की अनदेखी की है , जिससे यहां के लोग किसी और के घर में रह रहे हैं. जल्द ही अधिकारियों को क्षेत्र के लोगों को आश्रय देने के लिए काम करना होगा.

पढ़ें- मसूरी-देहरादून मार्ग भूस्खलन के बाद बंद, यात्रियाें काे हुई भारी परेशानी, देखें वीडियाे

एक स्थानीय निवासी विजया सिद्धि ने बताया कि तीन दिन बाद जलस्तर कम हुआ. मकान की दीवारें गिर गई हैं और मिट्टी घरों में घुस गई है. हम वहां रहने से डरते हैं और अब दूसरे के घर आ गए.

वहीं एक और अन्य स्थानीय निवासी गोपाल सिद्धि ने का कहना है कि केलाशे गांव का गोवलीपाल क्षेत्र बारिश से बुरी तरह प्रभावित है. हम कई समस्या का सामना कर रहे हैं. पहाड़ी ढह गई है, हम अपने घरों में नहीं रह सकते. किसी भी सरकारी अधिकारी ने दौरा नहीं किया है और किसी ने भी इस आपदा पर प्रतिक्रिया नहीं दी है.

बेंगलुरु : सिद्धि समाज (Siddhi community) जो आदिवासी समुदाय (tribal community) में सबसे गरीब है. पिछले कुछ दिनों से चली आ रही बारिश और बाढ़ ने सैकड़ों वर्षों से जंगल में बसे इस समाज लोगों को बर्बाद कर दिया है.एक ओर जहां बाढ़ देखने को मिल रही है जिसने जगंलों में बसे घरों और खेतों को तबाह कर दिया है, तो वहीं दूसरी तरफ यहां अब पहाड़ भी खिसकने लगे हैं.

ऐसे में उत्तर कन्नड़ (Uttara Kannada) जिले के यल्लापुरा तालुक के केलाशे गांव में सिद्धि समुदाय इस भयानक स्थिति का सामना कर रहा है. यहां भारी बारिश के कारण पहाड़ी और मिट्टी ढह गई है. उनके घरों के अंदर पानी भर चुका है. जान बचाने के लिए लोग किसी तरह रस्सी बांधकर बाहर निकले और अपनी, महिलाओं और बच्चों की जान बचाई.

घर पानी से भर गए हैं और सारा सामान पानी में डूब गया है. भले ही अब बाढ़ कम हो गई हो, लेकिन उनके घर की दीवारें ढह गई हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि मौजूदा दीवारें जर्जर हैं और लोग घरों में रहने से डर रहे हैं.

बता दें कि केलाशे गांव (Kelashe village) में कुल 40 घर हैं. भारी बारिश से घरों और खेतों में कीचड़ फैल गई है.

ऐसे में वे अपने घरों को छोड़ चुके हैं. कुछ लोग करीब एक किलोमीटर दूर दूसरे घरों में शरण ले रहे हैं. केला, सुपारी, नारियल के बागान बर्बाद हो गए हैं.एक किलोमीटर के अंदर पहाड़ी के दोनों किनारों के ढहने से रहवासियों को चिंता सता रही है कि पहाड़ी फिर खिसकेगी.

ऐसी आपदाओं के बावजूद, अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिनिधि या अधिकारी (official representatives ) क्षेत्र में नहीं पहुंचे हैं. यहां केयर सेंटर की व्यवस्था भी नहीं है.

पूर्व मंत्री शिवराम हेब्बार (former minister Shivaram Hebbar) का गृहनगर भले ही यहां मौजूद है, लेकिन फिर भी लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित और उपेक्षित हैं.

इस क्षेत्र के लोग इस बात पर जोर देते हैं कि उन्हें उचित समाधान मुहैया कराया जाए. जिले में हुई भारी बारिश से काफी नुकसान हुआ है, लेकिन कुछ केयर सेंटर (Care center) ने तुरंत प्रतिक्रिया दी है, लेकिन केलाशे गांव के लोगों की अनदेखी की है , जिससे यहां के लोग किसी और के घर में रह रहे हैं. जल्द ही अधिकारियों को क्षेत्र के लोगों को आश्रय देने के लिए काम करना होगा.

पढ़ें- मसूरी-देहरादून मार्ग भूस्खलन के बाद बंद, यात्रियाें काे हुई भारी परेशानी, देखें वीडियाे

एक स्थानीय निवासी विजया सिद्धि ने बताया कि तीन दिन बाद जलस्तर कम हुआ. मकान की दीवारें गिर गई हैं और मिट्टी घरों में घुस गई है. हम वहां रहने से डरते हैं और अब दूसरे के घर आ गए.

वहीं एक और अन्य स्थानीय निवासी गोपाल सिद्धि ने का कहना है कि केलाशे गांव का गोवलीपाल क्षेत्र बारिश से बुरी तरह प्रभावित है. हम कई समस्या का सामना कर रहे हैं. पहाड़ी ढह गई है, हम अपने घरों में नहीं रह सकते. किसी भी सरकारी अधिकारी ने दौरा नहीं किया है और किसी ने भी इस आपदा पर प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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